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 इतिहास में आज- 29 अप्रैल- आज ही के दिन लाल किले की नींव रखी गई थी
 राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की पहचान है लाल किला। 29 अप्रैल वर्ष 1639 को लाल किले की नींव रखी गई थी।  लाल किला जिसे रेड फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। लाल किले का निर्माण सबसे प्रसिद्ध मुगल बादशाहों में से एक शाहजहां ने किया था।  यमुना नदी के तट पर निर्मित किले-महल को वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी द्वारा डिजाइन किया गया था। 
 शानदार किले को बनाने में  करीब 10 साल  का समय लगा।  किले ने 1648 से 1857 तक मुगल सम्राटों के शाही निवास के रूप में कार्य किया।  इसने प्रसिद्ध आगरा किले से शाही निवास का स्थान लिया जब शाहजहां ने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने का फैसला किया।  लाल किले का नाम लाल-बलुआ पत्थर की दीवारों से लिया गया है, जो किले को लगभग अभेद्य बना देता है।  यह किला पुरानी दिल्ली में स्थित है, भारत की विशाल और प्रमुख संरचनाओं में से एक है और मुगल वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है।  इसे अक्सर मुगल रचनात्मकता का शिखर माना जाता है।  आधुनिक समय में किला भारत के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय प्रधानमंत्री हर साल 15 अगस्त को किले से अपना स्वतंत्रता दिवस भाषण देते हैं।  वर्ष 2007 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। 
  लाल किले में पर्यटकों को एक और मुगलकालीन संरचना देखने को मिलेगी। यह है किले का दूसरा हमाम। मुमताज महल के पास बना यह हमाम अब तक झाडिय़ों में छिपा हुआ था। इसकी साफ-सफाई और संरक्षण के बाद लोग इसे देख सकेंगे। हालांकि, अब इसके अवशेष ही बचे हैं। करीब 160 साल बाद पर्यटक इसे देख पाएंगे। 1857 में अंग्रेजों ने जब लाल किले पर कब्जा किया तो बड़े पैमाने पर तोडफ़ोड़ की। किले के दक्षिणी हिस्से में मुमताज महल है। यह शाही हरम का हिस्सा था। इसके बाद कोई भी इमारत सुरक्षित नहीं बची। उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिहाज से जो निर्माण किए वे आज भी मौजूद हैं। मुमताज महल के पास अब तक यहां केवल झाडिय़ां ही थीं। अब साफ-सफाई कर दी गई है। कन्जर्वेशन के बाद लोगों को यह ऐतिहासिक धरोहर देखने को मिलेगी। यह हमाम करीब 40 फीट लंबा और 15 फीट चौड़ा है। अब तक इस हिस्से की ओर लोगों को जाने की इजाजत नहीं थी।
 आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की योजना है कि हमाम के संरक्षण के बाद में इसे लोगों को देखने की इजाजत दी जाएगी। लाल किले में मोती मस्जिद और दीवान-ए-खास के पास एक और हमाम है। ऐसा माना जाता है कि यह शाही बच्चों के नहाने के लिए था। यह हमाम किले के उत्तरी हिस्से की ओर है। मुमताज महल के पास वाले हमाम और दीवान-ए-खास के पास मौजूद हमाम में काफी दूरी है।
 शाहजहां ने आगरा से हटाकर अपनी राजधानी दिल्ली लाने के बाद शाहजहांनाबाद शहर बसाया और लाल किले की नींव सन् 1639 में रखी। 9 साल बाद यानी सन् 1648 में लाल किला बनकर तैयार हो गया। तब से अब तक इस ऐतिहासिक धरोहर ने कई राज देखे और देश के बदलाव का गवाह बना रहा। यह अपने आपमें बेशुमार ऐतिहासिक धरोहर समेटे हुए है।
 लाल किले में बड़े पैमाने पर संरक्षण का काम चल रहा है। इनमें छत्ता बाजार की छतों की मुगलकालीन नक्काशी और दुकानों के गेट मेहराब की तरह करना शामिल है। इसके अलावा, खास महल और दीवान-ए-खास में भी संरक्षण का काम चल रहा है।
 
 

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