इतिहास में आज-2 मई- सत्यजीत रे का जन्म हुआ
साल के हर दिन की तरह 2 मई के नाम पर भी इतिहास की कई अच्छी बुरी घटनाएं दर्ज हैं। अच्छी घटनाओं में कहें तो भारतीय सिने जगत के बेहतरीन निर्माता, निर्देशक और लेखक सत्यजीत रे का जन्म दो मई को ही हुआ था।
सत्यजीत रे (जन्म- 2 मई 1921-निधन-23 अप्रैल 1992) एक भारतीय फि़ल्म निर्देशक थे, जिन्हें 20वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फि़ल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कोलकाता (तब कलकत्ता) के एक बंगाली अहीर परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। उन्होंने अपने कॅरिअर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की। फ्रांसिसी फि़ल्म निर्देशक ज्यां रेनुआ से मिलने पर और लंदन में इतालवी फि़ल्म लाद्री दी बिसिक्लेत देखने के बाद फि़ल्म निर्देशन की ओर इनका रुझान हुआ।
रे ने अपने जीवन में 37 फि़ल्मों का निर्देशन किया, जिनमें फ़ीचर फि़ल्में, वृत्त चित्र और लघु फि़ल्में शामिल हैं। इनकी पहली फि़ल्म पथेर पांचाली को कान फि़ल्मोत्सव में मिले सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फि़ल्म अपराजितो और अपुर संसार के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। सत्यजीत रे फि़ल्म निर्माण से सम्बन्धित कई काम ख़ुद ही करते थे — पटकथा लिखना, अभिनेता ढूंढना, पाश्र्व संगीत लिखना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फि़ल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फि़ल्म आलोचक भी थे। रे को जीवन में कई पुरस्कार मिले जिनमें अकादमी मानद पुरस्कार और भारत रत्न भी शामिल हैं।
1983 में फि़ल्म घरे बाइर पर काम करते हुए राय को दिल का दौरा पड़ा जिससे उनके जीवन के बाकी 9 सालों में उनकी कार्य-क्षमता बहुत कम हो गई। घरे बाइरे का छायांकन सत्यजीत रे के बेटे की मदद से 1984 में पूरा हुआ। 1992 में हृदय की दुर्बलता के कारण राय का स्वास्थ्य बहुत बिगड़ गया, जिससे वह कभी उबर नहीं पाए। मृत्यु से कुछ ही हफ्ते पहले उन्हें सम्मानदायक अकादमी पुरस्कार दिया गया। 23 अप्रैल 1992 को उनका देहान्त हो गया। इनकी मृत्यु होने पर कोलकाता शहर लगभग ठहर गया और हज़ारों लोग इनके घर पर इन्हें श्रद्धांजलि देने आए।
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