ऐसे हुई एक जून को विश्व दुग्ध दिवस की शुरुआत
एक जून यानी विश्व दुग्ध दिवस। संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है। इसका मकसद डेयरी या दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में स्थिरता, आजीविका और आर्थिक विकास का योगदान है। दुनियाभर में दूध से पोषित हो रहे लोगों व इससे चलने वाली आजीविका के कारण इस दिन को विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद दुनियाभर में दूध को वैश्विक भोजन के रूप में मान्यता देना है।
हर साल दुग्ध दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक थीम निर्धारित किया जाता है। इस थीम का मकसद यह होता है कि लोगों तक दूध की पहुंच को आसान बनाया जा सके साथ ही लोगों को दूध के प्रति जागरूक भी किया जा सके। वर्ष 2020 की थीम है-वल्र्ड मिल्क डे की 20वीं वर्षगांठ।
साल 2001 में इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई थी। इसकी शुरुआत संयुक्त राष्ट्र के विभाग खाद्य औऱ कृषि संगठन द्वारा की गई थी। अब सवाल आता है कि 1 जून को ही क्यों चुना गया, तो इसकी वजह है कि संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन द्वारा इसे मान्यता दिए जाने से पहले इसी दिन बहुत से देश विश्व दुग्ध दिवस पहले से ही मना रहे थे। पिछले साल विश्व दुग्ध दिवस में 72 देशों ने भाग लिया था। इन देशों में लगभग 586 प्रोग्राम्स का आयोजन किया गया था।
भारत में 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन साल 1921 में श्वेत क्रांति के जनक व भारत में दुग्ध उत्पादन के जनक कहे जाने वाले वर्गीज कुरियन का जन्म हुआ था। भारत एक कृषि प्रधान राष्ट्र है ऐसे में हमारे लिए विश्व दुग्ध दिवस बहुत महत्व रखता है। जब से हम पैदा हुए हैं, दूध हमारे भोजन में मुख्य भोजन है। यह पूरे देश में संस्कृतियों और क्षेत्रों में समान है। खाना पकाने में दूध के उपयोग की भिन्नता है, लेकिन यह एक दिन में कम से कम एक भोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें कैल्सियम, मैगनिशियम, ऑयोडीन, आयरन, पोटेशियम, फोलेट्स, जिंक, फॉसफोरस, विटामिन डी, राइबोफ्लेविन, विटामिन ए, विटामिन बी12, प्रोटीन, स्वस्थ फैट होते हैं। क्योंकि इसमें उच्च गुणवत्ता के प्रोटीन और दूसरे कई अमीनो एसिड और फैटी एसिड मौजूद होता है तो दूध एक एनर्जी ड्रिंक हो सकता है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा दे.
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