मधुमक्खियों के होते हैं दो पेट
हमारी दुनिया में मधुमक्खियों की सबसे खूबसूरत देन है शहद। मधुमक्खियों की अपनी एक अनोखी दुनिया है। दुनिया भर में मधुमक्खियों की लगभग 20 हजार से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें ज्यादातर घरों में दिखने वाली मधुमक्खियां शामिल हैं। मधुमक्खियों की कुछ ही प्रजातियां हैं, जिनसे शहद उत्पादन किया जाता है। इनमें यूरोपीय हनी-बी सबसे उपयुक्त है। दक्षिण एशिया में मधुमक्खियों की लगभग 6 प्रजातियां हैं, जिन्हें शहद बनाने के लिए पाला जाता है।
भारत में भुनगा या डम्भर मधुमक्खी पाई जाती है, जो कि आकार में सबसे छोटी होती है। यह सबसे कम शहद देती है। इनके शहद का स्वाद भी थोड़ा खट्टा होता है, लेकिन आयुर्वेद में इस शहद को बहुत उपयुक्त माना जाता है। खास बात है कि ये मधुमक्खियां जड़ी बूटियों के उन नन्हें फूलों से भी पराग इक_ा कर लेती हैं, जहां अन्य कीट नहीं पहुंच पाते हैं। इनका वैज्ञानिक नाम एपिस मेलीपोना है।
हैरान कर देने वाली यह है कि मक्खियों की अधिकतर प्रजातियां डंक नहीं मारती हैं। वैज्ञानिकों की मानें, तो नर मधुमक्खी कभी डंक नहीं मारती है, ऐसा सिर्फ मादा मधुमक्खी ही करती है। आपको जानकर हैरानी होगी मधुमक्खियां 1 किलो शहद बनाने में लगभग 40 लाख फूलों का रस चुस्ती है। एक स्वस्थ मक्खी का जीवनकाल लगभग 45 दिनों का होता है।
मधुमक्खियों के दो पेट होते हैं जिनमें से एक का उपयोग वह खाना खाने के लिए व दूसरे का उपयोग फूलों का रस इक_ा करने में करती हैं। मधुमक्खियों में भी कुत्तों की तरह ही बम ढूंढने की शक्ति होती है। इनमें 170 तरह के सूंघने वाले रिसेप्टर्स होते हैं।
मधुमक्खियों के झुंड में एक लीडर मक्खी होती है जो इन मक्खियों की रानी होती है। छत्ते में रहने वाली हजारों मक्खियों को रानी मक्खी के आदेश का पालन करना पड़ता है।
धरती पर मौजूद सभी जीव-जंतुओं में से मधुमक्खियों की भाषा सबसे कठिन है। एक मधुमक्खी औसतन 1 घंटे में 183 बार पंख फडफ़ड़ा सकती है। एक जानकारी के मुताबिक मधुमक्खियों की उडऩे की तीव्रता 15 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है।
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