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 क्यों आती है कुछ लोगों के पसीने से बदबू
कुछ लोग शरीर से निकलने वाली खास तरह की बदबू से परेशान रहते हैं। शोधकर्ताओं ने इस बदबू के लिए जिम्मेदार जीन की पहचान की है। एफएमओ 3 नामक जीन में गड़बड़ी होने की वजह से इंसान को बदबू की शिकायत होती है।
 एक नए शोध से पता चला है कि नाक में दम करने वाली शरीर की बदबू के लिए  फिश ओडोर सिंड्रोम  जिसे असामान्य जीन में गड़बड़ी भी कहा जाता है, शरीर में बदबू के लिए जिम्मेदार हो सकता है। क्लिनिकल भाषा में इसे ट्राईमिथाइलअमिनुरिया (टीएमए) कहा जाता है।
 अधिक मात्रा में कंपाउड ट्राईमिथाइलामाइन के निकलने से यह होता है। टीएमए तब बनता है जब कोई इंसान ऐसे पौष्टिक पदार्थ का पाचन करता है जिसमें कोलाइन होती है। जैसे सोया, राजमा, अंडे और लीवर में कोलाइन अच्छी मात्रा में होती है। अमेरिकन जर्नल ऑफ मेडिसिन में शोधकर्ता पॉल वाइस ने लिखा है,  स्वच्छ रहने के बावजूद कई इंसान चयापचय में गड़बड़ी और ट्राईमिथाइलअमिनुरिया की वजह से दुर्गंध पैदा कर सकते हैं।
 समाज और मनोविज्ञान पर ट्राईमिथाइलअमिनुरिया का असर महत्वपूर्ण है। हालांकि टीएमए का इलाज बिना किसी खास टेस्ट के संभव नहीं है। एफएमओ 3 नामक जीन में गड़बड़ी के कारण ट्राईमिथाइलअमिनुरिया होता है. टीएमए की खुद की तेज दुर्गंध होती है, लेकिन सिर्फ 10 से 15 फीसदी ही ट्राईमिथाइलअमिनुरिया वाले लोगों को विशिष्ट बदबू होती है। इस वजह से इसका इलाज करना मुश्किल हो जाता है। यह गड़बड़ी अगर माता पिता में हो तो उनके बच्चों में भी हो सकती है। ब्रिटेन में एक शोध ने अनुमान लगाया है कि एफएमओ 3 जीन एक फीसदी श्वेत लोगों में होता है। कुछ जातीय समूहों के साथ इक्वाडोर और न्यू गिनी के लोगों में एफएमओ 3 उच्च दर में पाए जाते हैं। 
 वर्तमान शोध के लिए वाइस और उनके सहयोगियों ने यह पता लगाया कि तेज बदबू की शिकायत के साथ आने वाले मरीजों में ट्राईमिथाइलअमिनुरिया का इलाज कैसा किया गया। उन्हें पता चला कि 353 मरीजों में से एक तिहाई ट्राईमिथाइलअमिनुरिया के लिए पॉजिटिव पाए गए. मरीज को पेय पदार्थ में कोलाइन मिलाकर दिया गया और उसके बाद मरीज के मूत्र में टीएमए की मात्रा मापी गई. पॉजिटिव पाए गए 118 मरीजों में से 3.5 फीसदी मरीजों ने मछली की गंध जैसी बदबू की शिकायत की।
 शोध में शामिल बहुत से मरीजों ने शोधकर्ताओं के पास आने से पहले कई डॉक्टरों से अपनी बीमारी के बारे में संपर्क किया था। शोध में शामिल एक और वैज्ञानिक जॉर्ज प्रेटी बताते हैं कि  अनुभवों से पता चलता है कि शरीर में रहस्मयी बदबू के लिए सांस में बदबू भी जिम्मेदार है। प्रेटी के मुताबिक,  सांस की बदबू गलती से शरीर की बदबू मान ली जाती है, क्योंकि जब बोलते हैं या फिर सांस लेते हैं तो सांस की बदबू भी बाहर आती है ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि यह शरीर की बदबू हो सकती है।
 अमेरिका के कुछ ही लैब इस तरह की गड़बड़ी की जांच करते हैं। लेकिन इस तरह की बदबू  की बीमारी आपको है या नहीं इसके लिए अपने खान पान की आदतों में बदलाव लाएं। वाइस कहते हैं कि कोलाइन युक्त खाने से बचना भी एक रास्ता है। वाइस के मुताबिक अगर आपकी डाइट में बदलाव से इस परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है तो यह एक मजबूत सुराग बीमारी की पहचान के लिए।

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