जानिए होम आइसोलेशन और होम क्वारंटाइन में क्या है फर्क?
कोरोना वायरस (कोविड-19) संकट के बीच दो कीवर्ड हैं जो हर दिन सुनने को मिलते हैं- होम आइसोलेशन और होम क्वारंटाइन। कोविड-19 के लक्षणों और संभावनाओं के अनुसार सरकार ने होम आइसोलेशन और होम क्वारंटाइन की गाइडलाइन जारी की है। जिसके तहत कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों का उपचार किया जाता है या उनकी जान बचाई जाती है। होम आइसोलेशन और होम क्वारंटाइन सुनने में एक जैसे लगते हैं, मगर दोनों में काफी अंतर है। हालांकि ये दोनो कीवर्ड कोरोना वायरस से ही ताल्लुक रखते हैं फिर भी दोनों में फर्क किया गया है।
आइए विस्तार से समझते हैं होम आइसोलेशन और होम क्वारंटाइन के बीच अंतर क्या है?
होम आइसोलेशन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, होम आइसोलेशन उनका किया जाता है जो कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए जाते हैं। होम आइसोलेशन सिर्फ उन लोगों को किया जाता है, जो वेरी माइल्ड (बहुत कम लक्षणों वाले), एसिम्टोमैटिक (जिनमें लक्षण दिखाई नहीं देते मगर जांच में पॉजिटिव होते हैं) और प्रीसिम्टोमैटिक (ऐसे पेशेंट जिनके शुरूआती लक्षण होते हैं) होते हैं।
कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर पेशेंट का घर में ही चिकित्सक समय-समय पर देखभाल करते हैं। इसमें सरकार द्वारा सारी सुविधा जैसे दवाई, भोजन इत्यादि उपलब्ध कराए जाते हैं। घर में पर्याप्त जगह न होने की स्थिति में होम आइसोलेशन सेंटर में पेशेंट को रखा जाता है। सीवियर केस यानी गंभीर मामलों में पेशेंट को कोविड अस्पतालों में भर्ती कर उनकी देखभाल की जाती है। कोरोना पॉजिटिव पेशेंट की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही उन्हें डिसचार्ज किया जाता है या होम आइसोलेशन से बाहर निकलने के लिए कहा जाता है।
होम क्वारंटाइन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, होम क्वारंटाइन उन लोगों को किया जाता है, जिनको इस बात का अंदेशा होता है कि वह किसी कोरोना वायरस पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आए हैं। ऐसी परिस्थितियों में यह परखना जरूरी हो जाता है कि संपर्क में आए व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण दिखाई दे रहे हैं या नहीं। होम क्वारंटाइन कोई भी हो सकता है, जिसे इस बात की आशंका हो कि वह कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आया है। अगर किसी ने यात्रा की है तो भी उसे होम क्वारंटाइन होने के लिए कहा जाता है। क्वारंटाइन में कम से कम 14 दिनों तक खुद को दूसरों से अलग रखकर अपने लक्षणों को पहचाने की कोशिश की जाती है। होम क्वारंटाइन से व्यक्ति खुद को और अपने परिवार को संक्रमित होने से बचा सकते हैं।
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