नागासाकी हमले में करीब 40 हजार लोग तुरंत मारे गए थे
नागासाकी जापान का एक शहर है। यह वही शहर है जो 9 अगस्त 1945 में बम गिरने से तबाह हुआ था। नागासाकी का मतलब लम्बा प्रायद्वीप है। वह दक्षिण पश्चिम क्यूशू द्वीप में समुद्र के किनारे पर है।
शुरुआती योजना के मुताबिक़ नागासाकी उन शहरों में था ही नहीं जिन्हें निशाना बनाया जाना था। इन शहरों में सबसे ऊपर जापान का प्राचीन शहर क्योटो था, लेकिन वो निशाना बनने से बच गया। नागासाकी, दूसरा शहर है जिस पर द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1945 में अमरीका ने परमाणु बम गिराया था। हिरोशिमा पर हुए हमले के बावजूद जापान समर्पण के लिए तैयार नहीं था। संभवत: अधिकारियों को हिरोशिमा में हुई तबाही की जानकारी नहीं मिली थी, लेकिन उसके तीन दिन बाद अमेरिकियों ने नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया। पहले क्योटो पर हमला होना था लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्री की आपत्ति के बाद नागासाकी को चुना गया।
फैट मैन नाम का बम 22 हजार टन टीएनटी की शक्ति का था। हमले में करीब 40 हजार लोग तुरंत मारे गए। नागासाकी 1945 में मित्सुबिशी कंपनी के हथियार बनाने वाले कारखानों का केंद्र था। नागासाकी के बंदरगाह पर उसका जहाज बनाने का कारखाना था। एक अन्य कारखाने में टारपीडो बनाए जाते थे जिनसे जापानियों ने पर्ल हार्बर में अमेरिकी युद्धपोतों पर हमला किया था। शहर में बहुत ज्यादा जापानी सैनिक तैनात नहीं थे, लेकिन युद्धपोत बनाने वाले कारखाने के छुपे होने के कारण उस पर सीधा हमला करना संभव नहीं था। नागासाकी पर परमाणु हमले के एक दिन बाद जापान के सम्राट हीरोहीतो ने अपने कमांडरों को देश की संप्रभुता की रक्षा की शर्त पर मित्र देशों की सेना के सामने समर्पण करने का आदेश दिया। मित्र देशों ने शर्त मानने से इंकार कर दिया और हमले जारी रखे। औपचारिक रूप से युद्ध 12 सितंबर 1945 को समाप्त हो गया, लेकिन हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु हमलों का शिकार होने वालों की तकलीफ का अंत नहीं हुआ है। इस तकलीफ ने जापान के बहुमत को युद्धविरोधी बना दिया है।
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