राजपूत और मुग़ल शैली की वास्तुकला का नायब संयोजन जलमहल
जल महल का मतलब है पानी का किला ,जो कि जयपुर में स्थित है। इसका निर्माण 1750 वीं सदी में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा ठीक आम सागर के बीचों-बीच किया गया था । यह लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है। यह जल महल राजपूत और मुग़ल शैली की वास्तुकला का एक नायब संयोजन है। यह एक पांच मंजिला इमारत है। जब झील के पानी से भर जाती है तब इसकी चार मंजि़ले पानी से डूब जाती है और फिर केवल शीर्ष मंजि़ल दिखाई पड़ती है।
यह बिल्कुल मान सागर झील के मध्य में स्थित है। यह राजपूत और मुग़ल शैली की वास्तुकला का एक बेहतरीन संयोजन है। यहां से मान सागर झील और नाहरगढ़ हिल्स के चारो तरफ के नज़ारे बहुत आकर्षक नजऱ आते है। इसका निर्माण महल शाही परिवारों के खातिर एक पिकनिक स्पॉट के रूप में किया गया था।
अभी जहां सरोवर है पहले उस जगह का उपयोग पानी को इकट्टा करने के लिये किया जाता था। 1596 में इस क्षेत्र में पानी का अकाल पड़ा हुआ था। तभी आमेर के शासक ने एक बांध बनाने का निर्णय लिया ताकि वे बर्बाद हो रहे पानी को इकट्टा कर सके। योजना के अनुसार डैम का निर्माण किया गया और आमेर पर्वत और अमागढ़ पर्वत से पानी इकट्टा कर के इसके जमा किया जाने लगा। कुछ समय के लिये बने इस बांध को 17 वीं शताब्दी में पत्थरों का बनाया गया और आज यह बांध तकऱीबन 300 मीटर (980 फीट) लंबा और 28.5-34.5 मीटर (94-113 फीट) गहरा है। पानी बहाने के लिये आतंरिक 3 गेट का निर्माण भी किया गया है, ताकि जरुरत पडऩे पर खेती के लिए पानी को स्थानांतरित किया जा सके। तभी से यह बांध स्थानीय लोगों में काफी प्रसिद्ध हो गया और इसके बाद राजस्थान के बहुत से शासकों ने समय-समय पर इसकी मरम्मत भी करवाई और 18 वीं शताब्दी में आमेर के जय सिंह द्वितीय ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। उस समय और भी बहुत सी ऐतिहासिक इमारतें वहां थी, जैसे कि आमेर किला, जयगढ़ किला, नाहरगढ़ किला, खिलानगढ़ किला और कनक वृन्दावन घाटी। राजस्थान की ये सभी इमारतें और स्मारक आज भी पर्यटकों के लिये आकर्षण का मुख्य केंद्र बनी हुई हैं।
Leave A Comment