जोड़ों के दर्द के लिए लाभदायक शल्लकी
शल्लकी एक प्रकार की औषधि है। सदियों से आयुर्वेद के चिकित्सक जोड़ों के दर्द की चिकित्सा में इसका प्रयोग कराते आ रहे हैं । बोस्वेलीया सीराटा के नाम से प्रचलित यह वनस्पति अंग्रेजी दवाओं मैं पेन-किलर्स का एक बेहतर विकल्प है। इस वनस्पति के अच्छे प्रभाव संधिवात (ओस्टीयोआर्थ्रराईटीस) एवं रयूमेटाइडआर्थराईटीस जैसे घुटनों के सूजन की अनेक अवस्थाओं में कारगर साबित हुए हैं। राजस्थान,मध्यप्रदेश एवं आंध्रप्रदेश में शलाई के नाम से जाना जाने वाला यह पौधा अपने सक्रिय तत्व बोस्वेलिक एसिड के कारण वैज्ञानिकों की नजऱों में आया है ।
यह प्राथमिक एवं सेकेंडरी स्तर के ब्रेन ट्यूमर में भी प्रभावी पाई गई है। शल्लकी में पाया जानेवाला सक्रिय तत्व जिसे ए.के.बी.ए.नाम दिया गया ,आस्टीयोआर्थ्रायटीस से जूझ रहे रोगियों के लिए एक अच्छा विकल्प है । ब्रिटिश विशेषज्ञ भी इस बात को मानते हंै कि आस्टीयोआर्थ्रायटीस के रोगियों के लिए एक सुरक्षित दर्द निवारक औषधि की जरूरत है ,क्योंकि वर्तमान में उपलब्ध दर्द एवं सूजन सहित मांसपेशियों को रिलेक्स करने वाली औषधियां दुष्प्रभाव के कारण भी जानी जा रही हैं। अभी इस वनस्पति पर और भी अधिक शोध किये जा रहे हैं। वैज्ञानिकों ने इसे कोलाईटीस, ब्रोंकाईटीस सहित अनेक सूजन प्रधान व्याधियों में प्रभावी पाया है ।
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