चक्रवर्ती किसे कहते हैं?
चक्रवर्ती एक संस्कृत शब्द है। विश्व शासक की प्राचीन भारतीय अवधारणा है, जो संस्कृत के चक्र, यानी पहिया और वर्ती यानी घूमता हुआ, से उत्पन्न हुआ है। इस प्रकार, चक्रवर्ती को ऐसा शासक माना जा सकता है, जिसके रथ का पहिया हर समय घूमता हो या जिसकी गति को कोई रोक नहीं सके। पहिए के घूमने को धार्मिकता और नैतिक सत्ता के चक्र धर्म से भी जोड़ा जा सकता है, जैसा बौद्ध धर्म में होता है। बुद्ध का सारनाथ का उपदेश विधि का घूमता हुआ चक्र है और एक चक्रवर्ती से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने राज्य में सदाचारिता या धार्मिकता के चक्र का घूर्णन सुनिश्चित करेगा।
बौद्ध और जैन स्रोतों में तीन प्रकार के धर्मनिरपेक्ष चक्रवर्तियों का उल्लेख मिलता है-
1. चक्रवाल चक्रवर्ती-प्राचीन भारतीय सृष्टिशास्त्र में वर्णित सभी चार महाद्वीपों पर राज करने वाला राजा।
2. दीप चक्रवर्ती- सिर्फ एक महाद्वीप पर राज करने वाला राजा, जो पहले वाले से कम शक्तिशाली होता है।
3. प्रदेश चक्रवर्ती- एक महाद्वीप के किसी हिस्से के लोगों पर शासन करने वाला राजा, जो स्थानीय राजा के समकक्ष होता है।
चक्रवाल चक्रवर्ती, की उपाधि ग्रहण करने वाले सबसे पहले सम्राट अशोक (तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व) थे। अशोक ने अपने अभिलेखों में चक्रवर्ती उपाधि का उल्लेख नहीं किया है। बाद के साहित्य में उनका इस रूप में वर्णन जरूर मिलता है। उस काल के बौद्ध और जैन दार्शनिकों ने चक्रवाल चक्रवर्ती की अवधारणा को सदाचारी और नैतिक कानूनों को बनाए रखने वाले राजा के साथ जोड़ा दिया। धर्मनिपेक्षता मेें चक्रवर्ती को बुद्ध के समकक्ष माना जाता है। उन्हें बुद्ध के समान ही कई गुणों से जोड़ा जाता है।
भारत में चक्रवर्ती एक सरनेम भी है।
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