पुरातन ऐतिहासिक शहर पाटन
गुजरात की गढ़वाली पूर्व राजधानी, पाटन एक ऐसा शहर है जिसकी स्थापना 745 ईस्वी में की गई थी। तत्कालीन राजा वनराज चावड़ा द्वारा निर्मित यह पुरातन ऐतिहासिक शहर अपनी उत्कृष्ट ऐतिहासिक सम्पदाओं और प्राकृतिक भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। अपनी उत्कृष्ट प्राचीन वास्तुकला और प्राचीन सौंदर्य के लिए मशहूर पाटन में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल मौजूद हैं। ये स्थल इतिहास और एडवेंचर प्रेमी दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण हैं।
यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में हैं सहस्त्रलिंग तलाब, जो शहर के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है। यह सरस्वती नदी के तट पर कृत्रिम रूप से निर्मित एक टैंक है। गुजरात के महान शासक सिद्धराज जयसिंह द्वारा निर्मित यह पानी की टंकी अब सूखी है और इसके बारे में कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। बताया जाता है कि तलाव जैस्मीन ओडेन नामक एक महिला द्वारा शापित है जिसने सिद्धराज जयसिंह से शादी करने से इनकार कर दिया था। इस पंचकोणीय पानी की टंकी में लगभग 42 लाख 6 हजार 500 क्यूबिक मीटर पानी रखने की क्षमता है और इससे लगभग 17 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए सिंचाई हो सकती है। ये टैंक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है एवं इस स्थल पर भगवान शिव को समर्पित असंख्य मंदिरों के खंडहर मौजूद हैं।
इसी तरह पाटन में रानी के वाव को देश की सबसे सुंदर और जटिल नक्काशीदार बावड़ी में से एक माना जाता है। ये बावड़ी शिल्प कौशल की प्रतिभा का एक अद्भुत नमूना है एवं इसे भूमिगत वास्तुकला के एक महान उदाहरण के रूप में जाना जाता है। सोलंकी राजवंश की रानी उदयमती द्वारा निर्मित इस बावड़ी की दीवारें भगवान गणेश और अन्य हिंदू देवताओं की जटिल विस्तृत मूर्तियों से सजी हुई हैं। ये बावड़ी वास्तुकला से सजी की एक उत्कृष्ट कृति है और इसकी दीवारों पर शानदार नक्काशी की गई है।
पाटन शहर में सौ से अधिक जैन मंदिर हैं। सोलंकी युग के इन मंदिरों में से एक सबसे महत्वपूर्ण पंचसारा पाश्र्वनाथ जैन दरेसर है, जो भव्यता और बेहतरीन शिल्प कौशल का प्रतीक है। इस पूरे मंदिर को पत्थर से बनाया गया है और इसका प्राचीन सफेद संगमरमर का फर्श इसकी भव्यता को और अधिक बढ़ा देता है।
1886 से 1890 के आसपास निर्मित खान सरोवर को गुजरात के तत्कालीन गवर्नर खान मिर्ज़ा अज़ीज़ कोका द्वारा कृत्रिम रूप से बनवाया गया था। कई इमारतों और संरचनाओं के खंडहरों के पत्थरों से निर्मित यह पानी की टंकी एक विशाल क्षेत्र में फैली हुई है और इसकी ऊंचाई 1273 फीट से लेकर 1228 फीट तक है। टैंक के चारों तरफ पत्थर की सीढिय़ां हैं और असाधारण चिनाई से खान सरोवर को अलग किया गया है।
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