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  प्रभु श्री राम ने इस नगर को किया था भाई  लक्ष्मण को समर्पित !  !

प्राचीन लक्ष्मणपुर या लखनपुर, लखन अहीर, स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी), शिराज- ए-हिंद, नवाबों का शहर और आज का जीवंत शहर लखनऊ की अपनी एक खास पहचान है। 

लखनऊ भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। लखनऊ, लखनऊ जिला और लखनऊ डिवीजन का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यह शहर अपनी बहुसांस्कृतिक खूबी, बाग़ों तथा कढ़ाई के काम से लिये जाना जाता है। 

यह उस क्षेत्र में स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहां के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत, और बढिय़ा व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी), शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज, लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक उछाल दिख रहा है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे प्रमुख-महानगरों के शीर्ष दस में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य का एक केंद्र है।

लखनऊ प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था। मान्यताओं के अनुसार यह श्रीराम की विरासत थी जिसे उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को समर्पित कर दिया था। इसलिए इसे लक्ष्मणपुर या लखनपुर के नाम से जाना गया। अन्य कथाओं के अनुसार इस शहर का नाम, लखन अहीर था जो कि लखन किले के मुख्य कलाकार थे, के नाम पर रखा गया था।

1775 में अवध के चौथे नवाब असिफुद्दोला या अशफ - उद - दुलाह ने अवध की राजधानी को फ़ैज़ाबाद से लखनऊ स्थानांतरित किया था। वास्तुकला की दृष्टि से अवध के नवाबों का इस शहर में काफी योगदान है, इसके अलावा उस समय के लखनऊ की मुग़ल चित्रकारी भी आज बहुत से संग्रहालय में सुरक्षित हैं। भवनों के स्तर पर बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, तथा रूमी दरवाज़ा मुग़ल वास्तुकला का जीता जागता उदाहरण है। हालांकि आधुनिक प्रशासन की उपेक्षा से इन महत्वपूर्ण विरासतों का खंडहरों में तब्दील होने का खतरा उपस्थित हो गया है।

प्राचीन अवध राज्य का विलय ब्रिटिश साम्राज्य में 1857 के सिपाही विद्रोह के फलस्वरुप हुआ था। यह शहर भारत के इस पहले व्यवस्थित स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सबसे पहले जीते गये कुछ शहरों में से था। ब्रिटिश शासकों को यह शहर अपने कब्ज़े में लेने के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ी। लखनऊ का शहीद स्मारक आज भी हमें उन क्रांतिकारियों की याद ताज़ा कराता है।

लखनऊ के आधुनिक वास्तुकारी में लखनऊ विधानसभा और चारबाग़ स्थित लखनऊ रेलवे स्टेशन का नाम लिया जा सकता है। विश्व के सबसे पुराने आधुनिक स्कूलों में से एक ला मार्टीनियर कॉलेज भी इस शहर में मौजूद है जिसकी स्थापना ब्रिटिश शासक क्लाउड मार्टिन की याद में की गयी थी। अहमद शाह अब्दाली के दिल्ली पर हमले के बाद शायर मीर तकी मीर अवध के चौथे नवाब अशफ - उद - दुलाह या असफ़ुद्दौला के दरबार मे लखनऊ चले आये थे और अपनी जिन्दगी के बाकी दिन उन्होंनेे यहीं गुजारे थे और 20 सितम्बर 1810 को यहीं उनका निधन हुआ। सन 1902 में नार्थ वेस्ट प्रोविन्स का नाम बदल कर यूनाइटिड प्रोविन्स ऑफ आगरा एण्ड अवध कर दिया गया। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे यूपी कहा गया। सन 1920 में प्रदेश की राजधानी को इलाहाबाद से लखनऊ कर दिया गया। प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद ही बना रहा और लखनऊ में उच्च न्यायालय की एक न्यायपीठ स्थापित की गयी।

 

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