औषधीय पौधा सत्यानाशी, जो करे कई रोगों का नाश
सत्यानाशी एक प्रकार का औषधीय पौधा है। शरीर में रोगों का नाश करने के अद्भुत गुण के कारण ही इसका नाम सत्यानाशी पड़ा। इस वनस्पति का उद्गम अमेरिका से माना जाता है लेकिन अब यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में समुद्रतल से 1500 मीटर तक कि उंचाई तक मिल जाती है। पर्वतीय क्षेत्र में भी ढलानों पर इस कंटीली वनस्पति को देखा जा सकता है। इसे स्वर्णक्षीरी,भड-भाड़, फिरंगी धतूरा जैसे नामों से जाना जाता है ।
इस वनस्पति का लेटीन नाम आरगेमोन मेक्सिकाना है जिसे अंग्रेजी में मेक्सिकन पोपी के नाम से भी जाना जाता है । इसके 2 से 4 फुट की झाड़ी में छोटे-छोटे कांटेदार पत्तियां इसकी खास पहचान है। यह वनस्पति कुमांऊं एवं गढ़वाल (जौनसार) के हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली लुप्त होने के खतरे का सामना कर रही इथनो-मेडिसिनल वनस्पतियों के अंतर्गत आती है। मेक्सिको में इसे सुखाकर औधषीय बनाई जाती है और इसका इस्तेमाल रीनल-कोलिक (किडनी में होनेवाले दर्द ) एवं प्रसव वेदना को कम करने के लिए किया जाता रहा है । स्पेनिश लोगों द्वारा भी इसका कारडोसानटो नाम से मदहोश एवं वेदना कम करने वाली चाय को बनाने में प्रयोग किया जाता रहा है । इसके बीज विषैले होते हंै इसलिए खाने योग्य नहीं होते हैं । सरसों के तेल में इसके बीजों की मिलावट के कारण ही वर्ष 1998 में भारत देश में ड्राप्सी हुआ था।
यह रेचक गुणों के साथ-साथ तिक्त,भेदन एवं उत्क्लेश करने वाली औषधि है ,जिसका प्रयोग पेट के कीड़ों से लेकर, खुजली, विष, आनाह, कफ़-पित्त एवं त्वचा रोगों में किया जा सकता है । इसके अलावा कई रोगों के उपचार में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
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