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 श्रीविष्णु के आंखों से टपके प्रेमाश्रु से निर्मित हुई ये नदी....
  पुराणों, वेदों में भारत की कई नदियों का वर्णन मिलता है। इसी में से एक है सरयू नदी, जिसे घाघरा नदी भी कहते हैं। घाघरा नदी का उद्गम दक्षिणी तिब्बत के मापचाचुंग ग्लेशियर से हुआ है, जहां इसे गोग्रा एवं कर्णाली के नाम से जाना जाता है। इसे सरयू नदी , सरजू, शारदा, आदि नामों से भी जाना जाता है। सरयू नदी वैदिक कालीन नदी है जिसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। सरयू नदी को बौद्ध ग्रंथों में सरभ के नाम से पुकारा गया है। इतिहासविद् कनिंघम ने अपने एक मानचित्र पर इसे मेगस्थनीज द्वारा वर्णित सोलोमत्तिस नदी के रूप में चिन्हित किया है और ज्यादातर विद्वान टालेमी द्वारा वर्णित सरोबेस नदी के रूप में मानते हैं।
 पुराणों में वर्णित है कि सरयू नदी भगवान विष्णु के नेत्रों से प्रकट हुई है। आनंद रामायण में उल्लेख है कि प्राचीन काल में शंकासुर दैत्य ने वेद को चुरा कर समुद्र में डाल दिया और स्वयं वहां छिप गया था। तब भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य का वध किया था और ब्रह्मा को वेद सौंप कर अपना वास्तविक स्वरूप धारण किया। उस समय हर्ष के कारण भगवान विष्णु की आंखों से प्रेमाश्रु टपक पड़े। ब्रह्मा ने उस प्रेमाश्रु को मानसरोवर में डाल कर उसे सुरक्षित कर लिया। इस जल को महापराक्रमी वैवस्वत महाराज ने बाण के प्रहार से मानसरोवर से बाहर निकाला। यही जलधारा सरयू नदी कहलाई।
 रामायण में वर्णित है कि सरयू अयोध्या से होकर बहती है। रामचरित मानस में तुलसीदास ने इस नदी का गुणगान किया है। मत्स्य पुराण के अध्याय 121 और वाल्मीकि रामायण के 24वें सर्ग में इस नदी का वर्णन है। वामन पुराण के 13वें अध्याय, ब्रह्म पुराण के 19वें अध्याय और वायु पुराण के 45वें अध्याय में गंगा, यमुना, गोमती, सरयू और शारदा, आदि नदियों का हिमालय से प्रवाहित होना बताया गया है। रामायण के अनुसार इसी नदी में भगवान राम ने जलसमाधि ली थी।
जहां तक घाघना नाम की बात है, तो घाघरा नाम संस्कृत शब्द घग्घर से लिया गया है। घग्घर शब्द का अर्थ है जल की गडग़ड़ाहट की आवाज। वास्तव में इस नदी के जल प्रवाह से इसी प्रकार की आवाज सुनाई देती है, जिसके कारण इस नदी का नाम घाघरा पड़ा। यह नदी हिमालय से निकलकर बलिया और छपरा के बीच में गंगा में मिल जाती है।
 अपने ऊपरी भाग में, जहां इसे  काली नदी  के नाम से जाना जाता है, यह काफ़ी दूरी तक भारत (उत्तराखण्ड राज्य) और नेपाल के बीच सीमा बनाती है।  घाघरा रामायण काल में सरयू कोसल जनपद की प्रमुख नदी थी-सरयू नदी का ऋग्वेद में उल्लेख है और यह कहा गया है कि  यदु  और  तुर्वसस ने इसे पार किया था।  पाणिनि ने  अष्टाध्यायी में सरयू का नामोल्लेख किया है।  पद्मपुराण  के उत्तरखंड  में भी सरयू नदी का माहात्म्य वर्णित है। सरयू नदी अयोध्यावासियों की बड़ी प्रिय नदी थी।  
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