ब्रेकिंग न्यूज़

 महाभारत काल में कैसी होती थी अक्षौहिणी सेना
 महाभारत हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति के इतिहास वर्ग में आता है। कभी कभी इसे केवल भारत कहा जाता है। यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। इसी में अक्षौहिणी सेना का उल्लेख मिलता है।  दरअसल अक्षौहिणी प्राचीन भारत में सेना का माप हुआ करता था। ये संस्कृत का शब्द है। विभिन्न स्रोतों से इसकी संख्या में कुछ कुछ अंतर मिलते हैं।  प्राचीन भारत में सेना के चार अंग होते थे-हाथी, घोड़े, रथ और पैदल। जिस सेना में ये चारों अंग होते थे, वह चतुरंगिणी सेना कहलाती थी। महाभारत के युद्घ में अठारह अक्षौहिणी सेना नष्ट होने का उल्लेख मिलता है। आइये जानें कैसी होती थी यह अक्षौहिणी सेना .......
 
महाभारत के अनुसार-
एक अक्षौहिणी में 21 हजार 870 हाथी, 21 हजार 870 रथ, 65 हजार 610 घोड़े और 1 लाख  9 हजार 350 पैदल सैनिक होते थे। महाभारत के युद्ध में इस प्रकार की 18 अक्षौहिणी सेना ने भाग लिया था और सभी नष्ट हो गई थी। 
 
 महाभारत के आदिपर्व और सभापर्व में सेना का उल्लेख इस प्रकार है-
 
-एक रथ, एक हाथी, पांच पैदल सैनिक और तीन घोड़े-बस, इन्हीं को सेना के मर्मज्ञ विद्वानों ने  पत्ति  कहा है।
-इस पत्ति की तिगुनी संख्या को विद्वान पुरुष  सेनामुख कहते हैं। तीन  सेनामुखो को एक  गुल्म  कहा जाता है।
- तीन गुल्म का एक  गण  होता है, तीन गण की एक  वाहिनी होती है और तीन वाहिनियों को सेना का रहस्य जानने वाले विद्वानों ने  पृतना  कहा है। 
- तीन पृतना की एक चमू  तीन चमू की एक  अनीकिनी और दस अनीकिनी की एक 'अक्षौहिणी' होती है।  
- एक अक्षौहिणी सेना में रथों की संख्या 21 हज़ार  870  बताई गई है। हाथियों की संख्या भी इतनी ही कहनी चाहिये। 
- एक अक्षौहिणी में पैदल मनुष्यों की संख्या एक लाख 9350 होती है। 
-इसी तरह एक अक्षौहिणी सेना में घोड़ों की ठीक-ठीक संख्या  65 हजार 610 कही गयी है। 

फ़ारसी विद्वान लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ तथा विचारक अलबरुनी के अनुसार
 
अलबरुनी ने अक्षौहिणी की परिमाण-संबंधी व्याख्या इस प्रकार की है-
-एक अक्षौहिणी में 10 अंतकिनियां होती हैं।
-एक अंतकिनी में 3 चमू होते हैं।
-एक चमू में 3 पृतना होते हैं।
-एक पृतना में 3 वाहिनियां होती हैं।
-एक वाहिनी में 3 गण होते हैं।
-एक गण में 3 गुल्म होते हैं।
-एक गुल्म में 3 सेनामुख होते हैं।
-एक सेनामुख में 3 पंक्ति होती हैं।
-एक पंक्ति में 1 रथ होता है।
शतरंज के हाथी को  रूख  कहते हैं जबकि यूनानी इसे  युद्ध-रथ  कहते हैं। इसका आविष्कार एथेंस में  मनकालुस'(मिर्तिलोस) ने किया था और एथेंसवासियों का कहना है कि सबसे पहले युद्ध के रथों पर वे ही सवार हुए थे। लेकिन उस समय के पहले उनका आविष्कार एफ्रोडिसियास (एवमेव) हिन्दू कर चुका था, जब महाप्रलय के लगभग 900 वर्ष बाद मिस्त्र पर उसका राज्य था। उन रथों को दो घोड़े खींचते थे। रथ में एक हाथी, तीन सवार और पांच प्यादे होते हैं।
- हर रथ में चार घोड़े और उनका सारथी होता है जो बाणों से सुसज्जित होता है, उसके दो साथियों के पास भाले होते हैं और एक रक्षक होता है जो पीछे से सारथी की रक्षा करता है और एक गाड़ीवान होता है।
- हर हाथी पर उसका हाथीवान बैठता है और उसके पीछे उसका सहायक जो कुर्सी के पीछे से हाथी को अंकुश लगाता है; कुर्सी में उसका मालिक धनुष-बाण से सज्जित होता है और उसके साथ उसके दो साथी होते हैं जो भाले फेंकते हैं और उसका विदूषक हौहवा होता है जो युद्ध से इतर अवसरों पर उसके आगे चलता है।
- तदनुसार जो लोग रथों और हाथियों पर सवार होते हैं उनकी संख्या 2 लाख 84 हजार 323 होती है (एवमेव के अनुसार)। जो लोग घुड़सवार होते हैं उनकी संख्या 87 हजार 480 होती है। एक अक्षौहिणी में हाथियों की संख्या 21 हजार 870 होती है, रथों की संख्या भी 21 हजार 870 होती है, घोड़ों की संख्या 1 लाख 53 हजार 90 और मनुष्यों की संख्या 4 लाख 59 हजार 283 होती है।
एक अक्षौहिणी सेना में समस्त जीवधारियों- हाथियों, घोड़ों और मनुष्यों-की कुल संख्या 6 लाख 34 हजार 243 होती है। अठारह अक्षौहिणीयों के लिए यही संख्या एक करोड़ 14 लाख 16 हजार 374 हो जाती है अर्थात 3 लाख 93 हजार 660 हाथी, 27 लाख 55 हजार 620 घोड़े, 82 लाख 67 हजार 94 मनुष्य हो जाती है। 
------

 

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english