देश का अनोखा तैरता पोस्टऑफिस
भारत में पोस्टआफिस की एक समृद्ध श्रंृखला रही है। आज दुनिया की सबसे बड़ी डाक सेवा भारत में है। लगभग 500 साल पुरानी भारतीय डाक प्रणाली आज दुनिया की सबसे विश्वसनीय और बेहतर डाक प्रणाली मानी जाती है। आज हम आपको देश में एक ऐसे अनोखे पोस्ट आफिस के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे तैरते हुए पोस्टआफिस के नाम से जाना जाता है।
जम्मू-कश्मीर में है तैरने वाला डाकघर जम्मू-कश्मीर में जहां शाम होते ही सड़क पर सन्नाटा छा जाता है, वहीं श्रीनगर में डल झील के किनारे बना डाकघर रात को भी खुला रहता है। कुछ साल पहले तक यह डाकघर बुरी हालत में था। इमारत पुरानी थी, रंग-रोगन फीका पड़ चुका था, जाले लगे थे। श्रीनगर के इस 24 घंटे खुले रहने वाले डाकघर की काया पलटने वाले यहां के पोस्टमास्टर जनरल जॉन सैमूएल थे। सैम्युअल ने आते ही इसकी सफाई की जिम्मेदारी ली। सैम्युअल के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज यह डाकघर एक पर्यटन के केंद्र के रूप में उभरा है। सैम्युअल के प्रयत्नों से आज कश्मीर के 1700 डाक खाने काम कर रहे है। इस डाकघर को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्षन में दूसरा स्थान मिला। दूसरे डाकघरों से अलग हैं कुछ चीजें धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की मशहूर डल झील में स्थित इस "फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस" में वो सारे कामकाज होते हैं जो दूसरे सामान्य पोस्ट ऑफिस में होते हैं। हालांकि इस पोस्ट ऑफिस में कुछ चीजें दूसरे डाकघरों से अलग भी हैं। मसलन, इस डाकखाने की मुहर पर तारीख और पते के साथ शिकारी खे रहे नाविक की तस्वीर बनी होती है। ये पोस्ट है तो अंग्रजों के जमाने का लेकिन इसे नया नाम (फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस) साल 2011 में मिला। पहले इसका नाम 'नेहरू पार्क पोस्ट ऑफिस' था पहले इस पोस्ट ऑफिस का नाम "नेहरू पार्क पोस्ट ऑफिस" था, लेकिन 2011 में तत्कालीन चीफ पोस्ट मास्टर जान सैम्युअल ने इसका नाम "फ्लोटिंग पोस्ट ऑफिस" रखवाया।
अगस्त, 2011 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और तत्कालीन केंद्रीय संचार और आईटी मंत्री सचिन पायलट ने इसका उद्घाटन किया। ये पोस्ट ऑफिस जिस हाउसबोट में है उसमें दो कमरे हैं। एक कमरा पोस्ट ऑफिस के तौर पर काम करता है और दूसरा कमरा संग्रहालय के तौर पर। संग्रहालय में भारतीय डाक के इतिहास से जुड़ी सामग्री प्रदर्शन के लिए रखी गई है। आप ये न समझिएगा कि ये "तैरता डाकघर" केवल सजावट की चीज है। डल झील के हाउसबोट में रुकने वाले सैलानी और वहां घूमने वाले पर्यटक अपने मित्रों-परिजनों को डाक भेजने के लिए इस्तेमाल करते हैं। स्थानीय नागरिक इस डाकघर की बचत योजनाओं का भी लाभ उठाते हैं और अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई इसमें जमा करते हैं। डल झील इलाके में करीब 50 हजार लोग रहते होंगे। आम तौर पर इस पोस्ट ऑफिस को कामकाज में कोई दिक्कत नहीं आती लेकिन साल 2014 में आई बाढ़ में ये पोस्ट ऑफिस भी संकट में घिर गया था। राहत एवं बचाव दल के जवानों ने इस पोस्ट ऑफिस को बाढ़ के दौरान एक जगह अंकुश लगाकर बांधना पड़ा था। जब बाढ़ थम गई तो इसे दोबारा डल झील में वापस लाया गया।
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