कुरकुरा और स्वादिष्ट भुजिया सेव पहले इस नाम से जाना जाता था....
राजस्थान का प्रमुख शहर बीकानेर, सुनहरी रेत के टीलों, ऊँटों और वीर राजपूत राजाओं के साथ रेगिस्तान के गहरे रोमांस की मिसाल है। राजस्थान राज्य के उत्तर पश्चिमी भाग में यह शहर थार रेगिस्तान के बीच में स्थित है। यह राठौर राजकुमार, राव बीकाजी द्वारा वर्ष 1488 में स्थापित किया गया था। यह शहर अपनी समृद्ध राजपूत, संस्कृति स्वादिष्ट भुजिया नमकीन रंगीन त्योहारों, भव्य महलों, सुंदर मूर्तियों और विशाल रेत के पत्थर के बने किलों के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर 'बीकाजी' और 'हल्दीराम' जैसे विश्व प्रसिद्ध वैश्विक ब्रांडों का उद्गम स्थल रहा है।
मुख्य भोजन ऐसा जिससे मुंह में पानी आ जाये। बीकानेर विशाल भुजिया उद्योग का उद्गम स्थल रहा है, जो कि 1877 में राजा ड़ूगर सिंह के शासनकाल में शुरू किया गया। बीकानेर में भुजिया सबसे पहले ड़ूगरशाही के नाम से शुरू की गई जो कि राजा के मेहमानों के नाश्ते के तहत निर्मित की गई। उसके बाद से यह सबकी पसंद बनता चला गया। बीकानेरी भुजिया बेसन, मसाले, कीट दाल, वनस्पति तेल, नमक, लाल मिर्च, काली मिर्च, इलायची, और लौंग के साथ तैयार की जाती है।
बड़े मिठाई और नमकीन कंपनियों में से एक, 'हल्दीराम के' भुजिया सेव ब्रांड वर्ष 1937 में गंगा भीसेन अग्रवाल द्वारा स्थापित किया गया था। दुनिया भर में पहचान बना चुके हल्दीराम के भुजिया की खास बात इसका कुरकुरा और स्वादिष्ट होना है। गंगाजी को उनकी मां और लोग प्यार से हल्दीराम कहते थे। यही कारण है कि इस प्रोडक्ट का नाम हल्दीराम रखा गया। गंगाजी ने भुजिया की रेसिपी अपनी एक आंटी से सीखी थी। एक बार उन्होंने बीकानेर में एक फैमिली के स्टॉल पर यह भुजिया रेसिपी ट्राय की, जिसे लोगों ने काफी पसंद किया।
हल्दीराम की बनाई भुजिया जब लोगों को पसंद आई तो उन्होंने इसे बड़े स्तर पर शुरू करने की योजना बनाई। उन्होंने एक दुकान खोली, जिसमें यह भुजिया बेचना शुरू किया। यह भुजिया आम तौर पर मिलने वाली भुजिया से पतली और चटपटी थी इसलिए यह जल्द ही लोगों के बीच लोकप्रिय हो गई। हल्दीराम ने इस भुजिया का नाम पहले तो बीकानेर के राजा डूंगर सिंह के नाम पर डूंगर सेव रखा। कुछ ही समय में उनकी यह भुजिया ब्रैंड के रूप में स्थापित हो गई।
बीकानेर में तो हल्दीराम की भुजिया के चर्चे जोर शोर से होने लगे थे। इस कारोबार को आगे ले जाने का किस्सा भी मजेदार है। दरअसल हल्दीराम अपने एक रिश्तेदार की शादी में शरीक होने कोलकाता गए थे। तब उन्हें आइडिया आया कि क्यों ना यहां भी भुजिया की एक दुकान खोली जाए। बस, इस आइडिया के साथ उन्होंने वहां एक दुकान खोली और वह चल निकली। हालांकि हल्दीराम की पहली पीढ़ी उनके इस कारोबार का ज्यादा विस्तार नहीं कर सकी, लेकिन उनकी दूसरी पीढ़ी यानी की उनके पोतों ने इस कारोबार को और विस्तार दिया और 1970 में नागपुर और 1982 में दिल्ली तक ले गए। अब तो कंपनी के 30 से अधिक नमकीन प्रोडक्ट्स मौजूदा समय में बाजार में हैं। इनमें सबसे मशहूर है आलू भुजिया।
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