हज़ारो साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा
हज़ारो साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा
नरगिस एक प्रकार का खूबसूरत फूल है, जो सर्दियों में खिलता है। यह नॉरशिसस वंश का पुष्प है। यह सफ़ेद , पीले और अनेक रंगों का होता है। इसकी पत्तियां लंबी और पतली होती हैं। इसे अंग्रेजी में डैफोडिल्स कहा जाता है।
इस फूल के बारे में अल्लामा इक़बाल का शेर है-
हज़ारो साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।
इकबाल की ये पंक्तियां उनकी नज्म तुलू-ए-इस्लाम से हैं। इसमें उन्होंने इस्लाम के उदय का वर्णन किया है।
हज़ारो साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है......
इस पंक्ति के आगे पीछे की दो-दो लाइनें इस तरह से हैं
जहांबानी से है दुश्वार-तर, कार-ए-जहांबीनी
जिगर खूं हो तो चश्म-ए-दिल में होती है, नजऱ पैदा।
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।
नवा पैदा हो ऐ बुलबुल, के हो तेरे तरन्नुम से
कबूतर के तन-ए-नाज़ुक में शाहीन का जगि़र पैदा।
एक यूनानी किवदंती के अनुसार नार्सिसस नाम का एक सुंदर यूनानी युवक था । उसके अप्रतिम सौंदर्य को देखकर कोई भी उस पर मोहित हो जाता था किंतु वह किसी के प्रेम को भी स्वीकार नहीं करते था, क्योंकि उसेें स्वयं अपने सौंदर्य का आभास नहीं था। एक बार एक इको नाम की अप्सरा को उससे प्रेम हो गया, लेकिन नार्सिसस ने उसके प्रेम को भी अस्वीकार कर दिया, जिस कारण वह अप्सरा व्याकुल हो गयी। अप्सरा की यह अवस्था देखकर देवी नेमसिस ने नार्सिसस को एक झील में जाने के लिए प्रेरित किया। नार्सिसस जब झील में गया तो वहां अपने प्रतिबिंब को देखकर स्वयं ही मोहित हो गया और उस झील में ही विलीन हो गया। उस स्थान पर एक सुन्दर पुष्प उगा जिसे नरगिस के नाम से जाता जाता है।
इस फूल को लेकर कई किंवदंतियां हंै। एक किंवदंती के अनुसार नरगिस न केवल शरद ऋतु के जाने का प्रतीक है बल्कि समृद्धि, धन और अच्छे भाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। वेल्स में, यह कहा जाता है कि यदि आपको डैफोडिल फूल इसके खिलने के मौसम से पहले दिखाई दे जाता है तो आपके अगले 12 महीनों में धन की कमी नहीं होगी। चीनी किंवदंती के अनुसार नव वर्ष पर यदि डैफोडिल फूल खिलता है तो यह साल भर में अतिरिक्त धन और अच्छी किस्मत लाने वाला कहलाता है। कुछ देशों में पीले रंग का डैफोडिल ईस्टर के साथ जुड़ा हुआ है। यह फूल सौभाग्य लाता है और दुर्भाग्य को दूर करता है।
श्रीनगर में नरगिस के फूलों के बगीचे को एशिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा बाग माना जाता है। यहां नरगिस के फूलों के बीच शांति का एक अपूर्व सा अनुभव होता है। श्रीनगर में इस उद्यान को देखकर लगता है मानों किसी ने कालीन बिछा रखा है। ये गार्डन कई लोगों को रोजग़ार मुहैया कराता है। वसंत के दिनों में पीला नरगिस सबसे ज्यादा खिलता है। इसके नाम का एक बहुत ही विशेष अर्थ है। यह एक बारहमासी फूल है और इसका हल्का पीला फूल वसंत के आने का पहला संकेत है। ये फूल मार्च के महीने में खिलता है और पुन: उद्भव और नई शुरुआत का प्रतीक है। ये फूल यह इंगित करता है कि शरद चली गई है और वसंत के आगमन का समय आ गया है।
नरगिस मंद-मधुर सुगंध वाला कंदीय पौधा है। नरगिस की सफेद पांच पंखुडिय़ों के बीच पीला सुगंधित प्याला खुला होता है और पांच फूल एक साथ एक टहनी पर चक्राकार रूप से खिलते हैं। इस फूल का जिक्र मुगलकालीन इतिहास में भी मिलता है। हिमाचल प्रदेश में सर्दियों में इस फूल की बहार आती है। खासकर कुल्लू क्षेत्र में ये फूल ज्यादा मिलते हैं। नरगिस का फूल 2 हफ्तों तक सूखता नहीं है। कुल्लू क्षेत्र में फाल्गुन संक्राति को स्वर्ग प्रवास पर गए देवी -देवताओं के पृथ्वी में आगमन के मौके पर आयोजित होने वाली पूजा में इस फूल का खास महत्व होता है। लोग अपने इष्ट देवताओं का स्वागत इस नरगिस फूल से करते हैं। वहीं देवताओं के कार-करिदें अपनी पारंपारिक वेशभूषा से सज्जित सधारण कपड़ों के साथ सिर पर कुल्लूवी टोपी में नरगिस फूल की दो डंडियां खास तौर से लगाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह फूल सिर्फ साज-सज्जा के लिए ही माना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय फूल मार्के्रट में इस नरगिस फूल की बहुत मांग है।
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