कोरोना के इलाज में इस्तेमाल हो रहा रेमडेसिविर इंजेक्शन क्या है?
रेमडेसिविर इंजेक्शन इस समय खबरों में है। केंद्र सरकार ने इस इंजेक्शन के निर्यात पर रोक लगा दी है। कोविड 19 के उपचार में इस इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा रहा है। कोरोना वायरस के इलाज में प्रयुक्त शुरुआती दवाओं में रेमडेसिविर भी शामिल थी। जिसकी वजह से यह दवा मीडिया की सुर्खियों में रही है।
दरअसल देश में कोरोना वायरस का संक्रमण एक बार फिर से खूब तेजी से फैल रहा है। इस बीच अस्पतालों में न सिर्फ बेड की कमी हो गई है बल्कि इसके इलाज में प्रभावी दिखे एंटी वायरल इंजेक्शन रेमडेसिविर की मांग भी बढ़ गई है। देश के कई हिस्सों से इसके कालाबाजारी और जमाखोरी की भी खबरें आ रही हैं। घरेलू बाजार में इसकी कमी न हो, इसे देखते हुए केंद सरकार ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
क्या है रेमडेसिविर दवा?
रेमडेसिविर एक एंटी वायरल दवा है। इसका डेवलपमेंट हेपटाइटिस सी के इलाज के लिए हुआ था। लेकिन, बाद में इबोला वायरस के इलाज में इसका उपयोग किया गया। कोरोना वायरस के इलाज में प्रयुक्त शुरुआती दवाओं में रेमडेसिविर भी शामिल थी। जिसकी वजह से यह दवा मीडिया की सुर्खियों में रही है। हालांकि 20 नवंबर 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि कोरोना मरीजों के इलाज में डॉक्टरों को रेमडेसिविर के इस्तेमाल से बचना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के दावों के उलट दवा बनाने कंपनी ने रेमडेसिविर के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि दवा कोरोना के इलाज में कारगर हैं।
क्या अनुसंधान में प्रभावी रहा है रेमडेसिविर?
बीते साल दिसंबर महीने में ब्रिटेन स्थित कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने कोरोना वायरस से संक्रमित और दुर्लभ इम्युन सिस्टम वाले एक मरीज को रेमडेसिविर दवा दी थी। इलाज के दौरान पाया गया कि उस मरीज के स्वास्थ्य में जबरदस्त सुधार हुआ। यही नहीं, उसके शरीर से कोरोना वायरस का खात्मा भी हो गया। इस अध्ययन को नेचर कम्युनिकेशंस ने प्रकाशित किया था। उसी के बाद भारत सहित कई देशों में रेमडेसिविर के इस्तेमाल की खबरें आईं। रेमडेसिविर पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने कहा था कि दवा उस समय ज्यादा कारगर होती है, जब संक्रमण के शुरुआती स्टेज में इसे मरीज को दिया जाए।
भारत में इसे कौन कौन कंपनी बना रही है?
भारत में रेमडेसिविर दवा को इंजेक्शन के रूप में कई कंपनियां बना रही हैं। इनमें डाक्टर रेड्डी लैब , जायडस कैडिल, सिप्ला और हेटेरो लैब शामिल हैं।
क्या है इसकी कीमत?
इस समय भारत में यह इंजेक्शन 100 एमजी के वॉयल में आ रहा है। इसके एक वॉयल की कीमत 2800 रुपये से 6000 रुपये के बीच है। इसकी सबसे सस्ती दवा कैडिला जायडस बना रही है। इसके एक वॉयल की कीमत 2800 रुपये है। सिप्ला भी इस दवा को बना रही है। उसके दवा की कीमत 4000 रुपये है। डॉक्टर रेड्डी लैब की यह दवा 5400 रुपये की है। इसकी सबसे महंगी दवा हेटेरो लैब की है। उसकी दवा की कीमत 5000 से 6000 रुपये की पड़ती है।
Leave A Comment