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 जानिए हवाई जहाज में अलग-अलग तरह की लाइट्स क्यों जलाई जाती है?
हवाई जहाज का आविष्कार राइट बंधुओं ने साल 1903 में किया था और इंसान का आसमान की ऊंचाइयों को छुने का सपना साकार हुआ था। हालांकि, कुछ-कुछ लोग ये भी कहते हैं कि राइट बंधुओं से आठ साल पहले यानी साल 1895 में मुंबई के रहने वाले शिवकर बापूजी तलपड़े ये कमाल कर चुके थे, लेकिन उनकी उपलब्धि इतिहास के पन्नों में कहीं खो गई। आज हम आपको हवाई जहाज की लाइट्स से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
टैक्सी लाइट
हवाई जहाज में यह ऐसी लाइट होती है, जो जहाज के टैक्सी मोड यानी जमीन पर दौड़ते हुए प्रयोग की जाती। 150 वोल्ट्स की इस लाइट की मदद से रनवे को देखा जाता है। हवाई जहाज को जैसे ही टैक्सी क्लेरेंस मिलता है, पायलट टैक्सी लाइट को जला देता है। इससे रनवे पर लगी लाइट्स चमकने लगती हैं और पायलट को देखने में मदद मिलती है।
टेक ऑफ लाइट
हवाई जहाज में टैक्सी लाइट के साथ टेक ऑफ लाइट भी लगी होती है। टैक्सी लाइट की अपेक्षा ये लाइट काफी चमकीली होती हैं और हवाई जहाज के टेक ऑफ के समय ही जलाई जाती है।
रनवे टर्न ऑफ लाइट
 हवाई जहाज में टैक्सी लाइट और टेक ऑफ लाइट के अलावा एक अलग किस्म की भी लाइट होती है, जिसे रनवे टर्न ऑफ लाइट कहते है। इसका एंगल और भी चौड़ा होता है। इस लाइट के मदद से पायलट रनवे को पूरे सही तरह से देख पाते हैं। 
विंग स्कैन लाइट
 हवाई जहाज का सबसे संवेदनशील हिस्सा उसका पंख होता है और इसे सुरक्षित रखना बहुत जरूरी होता है। इसी उद्देश्य से विंग पर लाइट्स लगाई जाती हैं, ताकि टेक ऑफ के समय अंधेरे में भी पायलट को जहाज की पूरी आकृति स्पष्ट समझ में आ सके। वहीं बादलों के बीच उड़ते समय पायलट इन्हीं लाइट्स की मदद से यह देख पाते हैं कि कहीं पंखों पर बर्फ तो नहीं जमी है या फिर कुछ हुआ तो नहीं है। 
एंटी कोलिजन बीकन
हवाई जहाज की एंटी कोलिजन बीकन लाइट जमीन पर साफ-सफाई या देख-रेख करने वाले क्रू के लिए मददगार होती हैं। चमकीले नारंगी रंग की ये लाइट्स पहले इंजन के शुरू होने के साथ जलाई जाती हैं और आखिरी इंजन के बंद होने के साथ बंद की जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि ग्राउंड क्रू को पता चल सके की अब हवाई जहाज पूरी तरह से बंद हो गया है। 
लैंडिंग लाइट
हवाई जहाज को लैंडिंग कराते समय आसमान और रनवे को सफाई से देखने के लिए लैंडिंग लाइट का इस्तेमाल किया जाता है। सफेद रंग की इस लाइट का प्रयोग ऐसे रनवे पर रोशनी देने के लिए किया जाता है, जहां लाइटिंग कम होती है। ये लाइट्स कभी पंखों के नीचे, कभी पंख की बाहरी सतह पर तो कभी कहीं और लगी होती हैं। इतना ही नहीं कई जहाजों में तो कई जगहों पर लैंडिंग लाइट्स लगी होती हैं।
नेविगेशन लाइट
नेविगेशन के लिए 3 लाइट्स लगी होती हैं। इस लाइट का इस्तेमाल उड़ते हुए हवाई जहाज की दिशा निर्धारित करने के लिए किया जाता है। पायलट की तरफ लगी लाइट हरी रोशनी में चमकती है, दूसरी तरफ लगी लाल रंग की और हवाई जहाज की पूंछ में लगी लाइट सफेद रोशनी देती है। इन लाइट्स के पोजिशन के हिसाब से  दूसरे हवाई जहाज के पायलट के लिए यह समझना आसान हो जाता है कि सामने नजर आ रहा हवाई जहाज कौन सी दिशा में उड़ रहा है। 
हाई इंटेंसिटी स्ट्रोब लाइट
यह लाइट नेविगेशन वाली लाल और हरी लाइट्स के नीचे लगी होती हैं। स्ट्रोब लाइट की रोशनी काफी चमकीली होती है। इस लाइट का इस्तेमाल हवाई जहाज को और भी सदृश्य बनाने के लिए किया जाता है। 
लोगो लाइट
हवाई जहाज के संचालन करने वाली हर कंपनी का अपना एक लोगो होता है। लोगो लाइट्स उसी लोगो को उभार कर दिखाने के लिए लगी होती हैं। इसके दो फायदे हैं, पहला ये कि देखते की समझ में आ जाता है कि कौन की कंपनी का हवाई जहाज उड़ रहा है और दूसरा बड़े पोस्टरों की तरह कंपनी का प्रचार भी होता है।

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