ब्रेकिंग न्यूज़

  कैसे पहचाने भारतीय सेना में आफिसरों की रैंक
भारतीय सेना में तीन तरह के कर्मी होते हैं-
1. कमिशंड ऑफिसर- ये सेना के सीनियर मैनेजमेंट होते हैं। जनरल से लेकर लेफ्टिनेंट तक के रैंक इसके तहत आते हैं। ये आईएएस के समकक्ष माने जाते हैं।
 2. जूनियर कमिशंड ऑफिसर- ये सेना के जूनियर मैनेजमेंट होते हैं। सेना में सूबेदार मेजर से लेकर नायब सूबेदार तक के रैंक इसके तहत आते हैं। 
 3. नॉन-कमिशंड ऑफिसर- ये जेसीओ द्वारा दिए गए आदेश पर अमल करते हैं। हवलदार से लेकर सिपाही तक के रैंक इसके तहत आते हैं।
सभी सैन्य कर्मियों की वर्दी पर अलग-अलग बैज लगे होते हैं। बैज देखकर पता चल जाता है कि यह अधिकारी किस पद पर है। आइए जानते हैं रैंक और बैज...
 लेफ्टिनेंट- पहचान: बैज पर पांच किनारों वाले दो सितारे। कमिशंड ऑफिसर रैंक में यह सबसे शुरुआती पद है।
 कैप्टन- पहचान: बैज पर पांच किनारों वाले तीन सितारे। दो साल की कमिशंड सर्विस पूरी होने पर समय सीमा के आधार पर यह प्रमोशन मिलता है।
 मेजर-पहचान: बैज पर अशोक चिह्न। समयसीमा के हिसाब से 6 साल की कमिशंड सर्विस पूरी करने पर प्रमोशन मिलता है।
 लेफ्टिनेंट कर्नल- पहचान: बैज पर पांच किनारों वाला एक सितारा और इसके ऊपर अशोक चिह्न। कमीशंड सेवा में 13 साल रहने के बाद प्रमोशन मिलता है।
 कर्नल- पहचान: बैज पर पांच किनारों वाले दो सितारे और इनके ऊपर अशोक चिह्न। कर्नल के पद पर प्रमोशन चयन के जरिए कमिशंड सर्विस में 15 साल रहने के बाद होता है।
 ब्रिगेडियर- पहचान: बैज पर पांच किनारों वाले तीन सितारे और इनके ऊपर अशोक चिह्न। ब्रिगेडियर के पद पर प्रमोशन चयन के जरिए कमिशंड सर्विस में 25 साल रहने के बाद होता है।
 मेजर जनरल- पहचान: बैज पर पांच किनारों वाला सितारा और इसके नीचे तलवार और डंडा क्रॉस रूप में। मेजर जनरल पद पर प्रमोशन चयन के जरिए कमिशंड सर्विस में 32 साल तक रहने के बाद होता है।
 लेफ्टिनेंट जनरल-पहचान: बैज पर अशोक चिह्न और इसके नीचे तलवार और डंडा क्रॉस रूप में। लेफ्टिनेंट जनरल को कमिशंड सर्विस में 36 साल तक रहने के बाद चुना जाता है। वह वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ या आर्मी कमांडर्स का पद भी संभाल सकते हैं।
 जनरल या सेना प्रमुख- पहचान: बैज पर अशोक चिह्न। इसके नीचे पांच किनारों वाला सितारा। इसके नीचे तलवार और डंडा क्रॉस रूप में। फील्ड मार्शल के मानद रैंक के बाद यह सर्वोच्च रैंक होता है। सिर्फ चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ   ही यह रैंक हासिल कर सकता है।
 फील्ड मार्शल- पहचान: बैज पर अशोक चिह्न और खिलते कमल की माला में तलवार और डंडा क्रॉस रूप में चिह्न। यह इंडियन आर्मी का सर्वोच्च रैंक है। ये अपने पद से कभी रिटायर नहीं होते।  
 सूबेदार मेजर/रिसालदार मेजर- पहचान: बैज पर स्ट्राइप के साथ अशोक चिह्न। चयन से प्रमोशन के बाद इस रैंक तक पंहुचा जाता है।
 सूबेदार/रिसालदार- पहचान: बैज पर स्ट्राइप के साथ दो सुनहरे सितारे। इस रैंक पर चयन के जरिए प्रमोशन होता है। रिटायरमेंट- 30 साल की सर्विस या 52 साल की उम्र में जो भी पहले हो।
 नायब सूबेदार/नायब रिसालदार- पहचान: बैज पर स्ट्राइप के साथ एक सुनहरा सितारा। इस रैंक पर प्रमोशन चयन के आधार पर होता है। कुछ स्थितियों में सीधे भर्ती भी होती है।
 सैनिक- पहचान: इसकी वर्दी पर कोई निशान नहीं होता। इनकी पहचान कॉर्प्स से होती है, जिसमें वह सर्विस देता है। मसलन, सिग्नल्स के सिपाही को सिग्नलमैन, पैदल सेना के सिपाही को राइफलमैन और बख्तरबंद कॉर्प्स के सिपाही को गनर कहा जाता है।
 लांस नायक- पहचान: एक धारी वाली पट्टी। प्रमोशन चुनाव के आधार पर होता है। रिटायरमेंट- 22 साल की सर्विस या 48 साल की उम्र।
 नायक या लांस दफादार- पहचान: बैज पर दो धारियों वाली पट्टी। प्रमोशन चुनाव के आधार पर। 24 साल की सर्विस या 49 साल की उम्र में ये रिटारयर होते हैं। 
 हवलदार या दफादार- पहचान: बैज पर तीन धारियों वाली पट्टी। इस रैंक पर चयन के आधार पर प्रमोशन होता है।

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english