पौधा आधारित यौगिक साइटिसिन धूम्रपान छोड़ने का किफायती उपाय साबित हो सकता है : अध्ययन
नयी दिल्ली. एक अध्ययन में दावा किया गया है कि पौधों में पाया जाने वाला एक तत्व ‘साइटिसिन', प्लसीबो की तुलना में सफलतापूर्वक धूम्रपान छोड़ने की संभावना को दो गुना बढ़ा देता है और ‘निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी' से अधिक प्रभावी हो सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि कम लागत वाले एवं धूम्रपान रोकने में मददगार ‘साइटिसिन' का उपयोग पूर्वी यूरोप में 1960 के दशक से किया जा रहा है और इसके उपयोग के बाद कोई गंभीर सुरक्षा चिंताएं नहीं देखी गई हैं। प्लसीबो, ऐसी चिकित्सा को कहते हैं जिसका वैज्ञानिक आधार नहीं होता। ऐसी चिकित्सा पद्धति या तो प्रभावहीन होती है, या फिर यदि कोई सुधार दिखता भी है तो उसका कारण अन्य होता है। साइटिसिन को मध्य और पूर्वी यूरोप के बाहर के अधिकतर देशों में लाइसेंस प्राप्त नहीं है और ना ही इसका विपणन किया जाता है, जिसके चलते यह दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में उपलब्ध नहीं है। इस सूची में निम्न और मध्यम आय (एलएएमआई) वाले देश भी शामिल हैं, जहां यह वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकती है। जर्नल ‘एडिक्शन' में प्रकाशित अध्ययन में लगभग 6,000 रोगियों पर प्लसीबो के साथ साइटिसिन की तुलना करने वाले आठ परीक्षणों के परिणामों को एकत्रित किया गया। शोधकर्ताओं के मुताबिक, संयुक्त परिणामों से पता चला है कि साइटिसिन, प्लसीबो की तुलना में धूम्रपान बंद करने की संभावना को दो गुना से अधिक बढ़ा देता है। उन्होंने यह भी पाया कि ‘निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी' की तुलना में साइटिसिन अधिक प्रभावी हो सकता है।
‘निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी' तंबाकू के अलावा अन्य माध्यमों से निकोटिन लेकर तंबाकू सेवन विकार वाले लोगों के इलाज के लिए एक चिकित्सकीय रूप से अनुमोदित तरीका है। अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स स्थित ‘सेंट्रो नेशनल डी इन्टॉक्सिकेशियंस' (सीएनआई) से जुड़े एवं शोधकर्ता ओ. डी. सैंटी ने कहा, ‘‘हमारा अध्ययन इस सबूत को पुख्ता करता है कि साइटिसिन धूम्रपान रोकने में एक प्रभावी और सस्ता तरीका है। यह एलएएमआई देशों में धूम्रपान की समस्या से निपटने में बहुत उपयोगी साबित हो सकता है, जहां धूम्रपान छोड़ने वाली किफायती दवाओं की तत्काल आवश्यकता है।
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