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भोजन के समय और हृदय रोग के जोखिम के बीच है संबंध: अध्ययन
नयी दिल्ली. अगर आप सुबह आठ बजे तक नाश्ता और रात आठ बजे रात का खाना खा लेते हैं तो एक हालिया अध्ययन के मुताबिक आप हृदय रोग के जोखिम को कई गुना कम कर सकते हैं। व्यस्त और भागदौड़ भरी दिनचर्या वाले लोगों के लिये चिकित्सक इसे हृदय संबंधी बीमारियों से बचने का एक मंत्र मानते हैं। एक अध्ययन का हवाला देते हुए डॉक्टरों ने जल्दी, नियमित और सही समय पर भोजन के महत्व पर जोर दिया है। फ्रांस में यूनिवर्सिटी सोरबोन पेरिस नॉर्ड के नेतृत्व में एक अध्ययन में भोजन के समय और हृदय रोग (सीवीडी) के जोखिम के बीच संबंध बताया गया है, जो भारत के लिए विशेष रुचि का विषय है। ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज-2022' अध्ययन के अनुसार, भारत में प्रति एक लाख जनसंख्या पर हृदय संबंधी मृत्यु दर 272 है, जो वैश्विक औसत 235 से बहुत अधिक है। सीवीडी हृदय और रक्त वाहिकाओं के विकारों का एक समूह है और इसमें कोरोनरी हृदय रोग, सेरेब्रोवास्कुलर रोग, रूमेटिक हृदय रोग और अन्य स्थितियां शामिल हैं। ‘नेचर कम्युनिकेशंस' पत्रिका में प्रकाशित फ्रांसीसी अध्ययन में पाया गया कि दिन का पहला और आखिरी भोजन जल्दी खाने के साथ-साथ रात के समय लंबे समय तक उपवास करने से हृदय रोगों का खतरा कम हो सकता है। यह 2019 में 1.86 करोड़ वार्षिक मौतों के साथ दुनिया में मृत्यु दर का प्रमुख कारण है, जिनमें से लगभग 79 लाख मौतें आहार के कारण होती हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, निष्कर्ष में अतिरिक्त वैज्ञानिक अध्ययनों के माध्यम से हृदय रोग को रोकने में भोजन के समय की संभावित भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। यह अध्ययन विशिष्ट रूप से भारत को ध्यान में रखकर नहीं किया गया है लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर में रीजेंसी अस्पताल के कन्सलटेंट हृदय रोग विशेषज्ञ अभिनीत गुप्ता ने कहा कि देश में हृदय रोगों के बढ़ते बोझ को देखते हुए इसके निष्कर्षों का आबादी पर प्रभाव पड़ सकता है। गुप्ता ने  बताया, “एक डॉक्टर के रूप में, मैं भारत में लोगों को सलाह दूंगा कि वे अपने भोजन के समय का ध्यान रखें और पोषण के प्रति संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं।” उन्होंने कहा, “हालांकि अलग-अलग लोगों की आहार की जरूरतें अलग-अलग हो सकती हैं, नियमित, दो भोजन के बीच समय अंतराल पर जोर देना और सोने से पहले भारी भोजन से बचना महत्वपूर्ण है।” डॉ. गुप्ता ने कहा, “यह सलाह स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने के स्थापित सिद्धांतों के अनुरूप है, जिसमें एक संतुलित आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि और अन्य कारक शामिल हैं जो हृदय को स्वस्थ रखने में योगदान देते हैं।” दिल्ली के उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के वरिष्ठ परामर्शदाता, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, विजय कुमार ने कहा, समय पर भोजन करने के ज्ञान का पालन करना, विशेष रूप से शाम को, अब हृदय संबंधी समस्याओं को रोकने में अपनी भूमिका के लिए वैज्ञानिक मान्यता प्राप्त कर चुका है। फ्रांसीसी अध्ययन में कहा गया था कि सूर्य का प्रकाश के अलावा, उपवास की अवधि के साथ भोजन सेवन (भोजन, नाश्ता, आदि) का दैनिक चक्र शरीर के विभिन्न अंगों की सर्कडीयन (शरीर की आंतरिक घड़ी) लय को लयबद्ध करता है, जो रक्तचाप विनियमन जैसे हृदय संबंधी चयापचयी कार्यों को प्रभावित करता है। सर्कडीयन लय हमारे शरीर की आंतरिक घड़ी है जो पूरे दिन शारीरिक कार्यों को व्यवस्थित करती है।
 
अध्ययन में 103,389 (एक लाख से अधिक) प्रतिभागियों के आंकड़ों का उपयोग किया गया, जिनमें से 79 प्रतिशत महिलाएं थीं, जिनकी औसत आयु 42 वर्ष थी। नतीजे बताते हैं कि दिन में पहला भोजन बाद में करना, जैसे कि नाश्ता न करना, हृदय रोग के उच्च जोखिम से जुड़ा है, प्रति घंटे की देरी से जोखिम में छह प्रतिशत की वृद्धि होती है। अध्ययनकर्ताओं ने कहा, इसका मतलब है कि जो लोग सुबह नौ बजे दिन में पहली बार नाश्ता करते हैं उनमें उन लोगों के मुकाबले हृदय रोग से पीड़ित होने का खतरा छह प्रतिशत ज्यादा होता है जो सुबह आठ बजे नाश्ता करते हैं। उन्होंने कहा कि रात 8 बजे से पहले खाने की तुलना में देर से (रात 9 बजे के बाद) खाने से सेरेब्रोवास्कुलर रोग जैसे हृदयाघात का खतरा 28 प्रतिशत बढ़ जाता है, खासकर महिलाओं में। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि रात के समय उपवास की लंबी अवधि - दिन के आखिरी भोजन और अगले दिन के पहले भोजन के बीच का समय - सेरेब्रोवास्कुलर रोग के कम जोखिम से जुड़ा होता है, जो दिन में अपना पहला और आखिरी भोजन जल्द खाने के विचार का समर्थन करना। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, हृदय रोगों के कारण दुनिया भर में होने वाली कुल 1.77 करोड़ मौतों में से भारत का पांचवां हिस्सा है, खासकर युवा आबादी में। कुमार ने  बताया, “नवीनतम अध्ययन इन बीमारियों के विकास और प्रगति पर आहार के महत्वपूर्ण प्रभाव को रेखांकित करता है।”

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