रोजाना बादाम खाने से भारतीयों में मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है: अध्ययन
नयी दिल्ली. रोजाना बादाम खाने से एशियाई भारतीयों जैसी कुछ खास आबादी को रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। एक अध्ययन में इसकी जानकारी दी गयी है। बादाम और कार्डियोमेटाबोलिक स्वास्थ्य पर पहले प्रकाशित शोध का विश्लेषण करते हुए, शोधकर्ताओं और चिकित्सकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा कि बादाम ‘खराब' कोलेस्ट्रॉल को कम करके और आंतों के लाभकारी बैक्टीरिया को बढ़ाकर चयापचय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। अध्ययन का निष्कर्ष सर्वसम्मति से प्रकाशित लेख के रूप में पत्रिका ‘करंट डेवलपमेंट्स इन न्यूट्रिशन' में प्रकाशित हुआ है और यह स्वस्थ हृदय और आंत के अनुकूल भोजन के रूप में बादाम की भूमिका को साबित करता है। शोध के लेखक एवं फोर्टिस सेंटर फॉर डायबिटीज, ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल के अध्यक्ष डॉ. अनूप मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि निष्कर्ष यह भी बताते हैं कि बादाम संभावित रूप से एशियाई भारतीयों जैसी विशिष्ट आबादी को कैसे लाभ पहुंचा सकते हैं, जहां कार्डियोमेटाबोलिक बीमारियों की बढ़ती दर चिंता का विषय हैं। मिश्रा नेशनल डायबिटीज ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन के प्रमुख भी हैं।
बादाम खाने से एलडीएल या ‘खराब' कोलेस्ट्रॉल पांच यूनिट तक कम हो जाता है, और डायस्टोलिक रक्तचाप 0.17-1.3 एमएमएचजी महत्वपूर्ण मात्रा में कम हो जाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि प्री-डायबिटीज वाले एशियाई भारतीयों के लिए, रोजाना बादाम खाने से खाली पेट रहते समय रक्त शर्करा और एचबीए1सी को कम करने में मदद मिल सकती है। अध्ययन में कहा गया है कि विश्लेषण से पता चलता है कि बादाम के सेवन से वजन नहीं बढ़ता है, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और डायस्टोलिक रक्तचाप में थोड़ी कमी आती है, साथ ही कुछ आबादी (यानी एशियाई भारतीय) में ग्लाइसेमिक प्रतिक्रियाओं में सुधार होता है।'' मिश्रा ने कहा, ‘‘ये लाभ ऊर्जा के स्तर को स्थिर करने और भूख में उतार-चढ़ाव को कम करने में मदद करके वजन घटाने के प्रयासों में सहायता करते हैं। संतुलित पोषण और शारीरिक गतिविधि के साथ, बादाम खाना वजन घटाने में सहायक होता है।
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