बेहतरीन इंजीनियर होती हैं मधुमक्खियां
मधुमक्खियां फूलों के रस से शहद का निर्माण करती हैं और उससे अपने छत्ते में जमा करके रखती हैं, जिससे सर्दी के मौसम में उनके पास खाने-पीने की कमी न हो। मधुमक्खियों का छत्ता मोम से बनता है और 1 ग्राम मोम बनाने के लिए मधुमक्खी 16 ग्राम शहद का प्रयोग करती हैं। यह छत्ता मधुमक्खियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके प्रत्येक कोष्ठ का प्रयोग मधुमक्खियां अपने बच्चों (लार्वा) को रखने और शहद को जमा करने के लिए करतीं हैं।
हरेक कोष्ठ की दीवारें इस प्रकार बनी होतीं हैं कि वे एक दूसरे को 120 डिग्री के कोण पर काटती हैं और एक व्यापक षट्कोण समिति के साथ छत्ता बनाती हैं। सराहना योग्य बात ये है की मधुमक्खियां हरेक कोष्ठ को बिल्कुल सही दूरी पर और एकदम सटीक कोण पर बनाती हैं। ये वाकई में प्रशंसनीय है। मधुमक्खियां बिना इंजीनियरिंग पढ़े हुए भी अच्छी इंजीनियर होती हैं। किंतु, मधुमक्खी के छत्ते के कोष्ट षट्कोण आकार के होते क्यों हैं?
यही प्रश्न बहुत से वैज्ञानिकों के मस्तिष्क में भी आया और इस पर शोध किया गया। शोध के अनुसार इस प्रकार बनाया गया ढांचा, निश्चित आयतन में कम से कम मोम का उपयोग करके बनाया जा सकता है। मधुमक्खियों से मनुष्य ने सीखा कि कैसे कम से कम सामग्री का उपयोग करके अधिक से अधिक मजबूत ढांचे बनाये जा सकते हैं।
अगर फूलों के आस-पास मंडराते समय मधुमक्खियों को खतरे का आभास होता है तो वे अपने ही अंदाज में अपने साथियों को खतरे के प्रति आगाह कर देती हैं। वैज्ञानिकों को इस बात का तब पता चला जब उन्होंने कुछ फूलों के पास मरी हुई मधुमक्खियां रख दीं और फिर अध्ययन किया कि वहां आने वाली अन्य मधुमक्खियां खतरे के प्रति क्या प्रतिक्रिया देती हैं। अध्ययन से पता चला कि खतरे को भांपते ही वे एक अनोखे नृत्य (वैगल डांस) के ज़रिए दूसरी मधुमक्खियों तक संदेश पहुंचा देती हैं कि आगे खतरा है। जब मधुमक्खियां अपने छत्ते की ओर वापस आती हैं तो ये एक जटिल किस्म का नृत्य करती हैं। इसके बारे में 40 साल पहले पता लगाया गया था। अगर उन्हें लगता है कि फूलों के आस-पास मकडिय़ों आदि के जाल में फंसने का ख़तरा है तो वे छत्ते पर लौटकर ऐसा नहीं करती। यानी मधुमक्खियों ये पता लगा लेती हैं कि कुछ फूलों के पास जाना खतरनाक हो सकता है और वे खतरे का ये संदेश अपने विगल डांस के माध्यम से दूसरे साथियों को भी देती हैं।
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