क्या होते हैं पीपीई किट, ये कोरोना वायरस से कैसे बचाते हैं
कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच पूरी दुनिया में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट या पीपीई की मांग आपूर्ति बढ़ गई है। यह कोरोना वायरस से जारी जंग में ढाल बनकर सामने आया है। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए पीपीई किट एक आवश्यक उपकरण है।
पीपीई किट का प्रयोग न सिर्फ कोविड-19 के लिए किया जा रहा है बल्कि पहले भी इसका प्रयोग इबोला जैसे गंभीर संक्रामक रोगों में किया जाता रहा है। आइये जाने कि पीपीई किट क्या है, पीपीई किट कैसे काम करती है, पीपीई किट को लेकर भारत सरकार की गाइडलाइन क्या है।
पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट एक मेडिकल डिवाइस या उपकरण है जो स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा संक्रामक रोगों (बैक्टीरिया, वायरस आदि से फैले संक्रमण) से खुद को सुरक्षित रखने के लिए पहना जाता है। पीपीई, स्वास्थ्य कर्मी के शरीर को संक्रामक विषाणुओं या संक्रमित व्यक्ति के शरीर के साथ संपर्क को रोकता है, जिसमें एक संक्रामक एजेंट हो सकता है। पीपीई एक संभावित संक्रामक एजेंट और स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता के बीच एक दीवार का काम करता है।
पीपीई में ग्लव्स, गाउन, शू कवर, हेड कवर, मास्क, रेस्पिरेटर (श्वासयंत्र), आंखों की सुरक्षा, फेस शील्ड और गॉगल्स शामिल हैं। इसमें दस्ताने, संभावित संक्रामक पदार्थों या दूषित सतहों को सीधे छूने पर दस्ताने आपकी रक्षा करने में मदद करते हैं। गाउन, जूते और हेड कवर, एक दूषित वातावरण के अंदर संभावित जोखिम से बचाते हैं। सर्जिकल मास्क नाक और मुंह को शरीर के तरल पदार्थ के छींटों से बचाने में मदद करते हैं, इससे पहले कि आप सांस लें, श्वासयंत्र हवा को फि़ल्टर कर देती है। इसी प्रकार के गॉगल्स आंखों की सुरक्षा करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के मुताबिक, पीपीई को बहुत ही सावधानी के साथ पहना और निकाला जाता है। इसे पहनने के दौरान, सबसे पहले गाउन पहना जाता है, उसके बाद फेस शील्ड और फिर बाकी चीजें। और जब इसे उतारते हैं तो सबसे पहले गाउन उतारना चाहिए इसके बाद ग्लब्स उतारकर अच्छे से हाथ धोएं। इसके बाद बाकी उपकरण को उतारें और दोबारा हाथ धोएं।
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते पीपीई की डिमांड अचानक से बढ़ी है। पूरे विश्व में चीन इसका सर्वाधिक उत्पादन करता है। हालांकि, भारत में भी पीपीई किट का उत्पादन तेजी से बढ़ा है। भारत सरकार ने अनुमान लगाया है कि 25 अप्रैल तक पीपीई का उत्पादन एक दिन में लगभग 30 हजार यूनिट होगा। भारत में रेलवे समेत कई सरकारी और गैर सरकारी कंपनियां पीपीई के निर्माण में दिन-रात लगी हैं।
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