दुनिया के सबसे खतरनाक वायरस
1. मारबुर्ग वायरस- इसे दुनिया का सबसे खतरनाक वायरस कहा जाता है। वायरस का नाम जर्मनी के मारबुर्ग शहर पर पड़ा जहां 1967 में इसके सबसे ज्यादा मामले देखे गए थे। 90 फीसदी मामलों में मारबुर्ग के शिकार मरीजों की मौत हो जाती है।
2. इबोला वायरस- वर्ष 2013 से 2016 के बीच पश्चिमी अफ्रीका में इबोला संक्रमण के फैलने से ग्यारह हजार से ज्यादा लोगों की जान गई। इबोला की कई किस्में होती हैं। सबसे घातक किस्म के संक्रमण से 90 फीसदी मामलों में मरीजों की मौत हो जाती है।
3. हंटा वायरस- कोरोना के बाद इन दिनों चीन में हंटा वायरस के कारण एक व्यक्ति की जान जाने की खबर ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं। यह कोई नया वायरस नहीं है। इस वायरस के लक्षणों में फेफड़ों के रोग, बुखार और गुर्दा खराब होना शामिल हैं।
4. रेबीज- कुत्तों, लोमडिय़ों या चमगादड़ों के काटने से रेबीज का वायरस फैलता है। हालांकि पालतू कुत्तों को हमेशा रेबीज का टीका लगाया जाता है , लेकिन भारत में यह वायरस आज भी समस्या बना हुआ है। एक बार वायरस शरीर में पहुंच जाए और समय पर इलाज न हो, तो मौत पक्की है।
5. एचआईवी-अस्सी के दशक में एचआईवी की पहचान हुई। एचआईवी के कारण एड्स होता है जिसका आज भी पूरा इलाज संभव नहीं है।
6. चेचक- इंसानों ने हजारों सालों तक इस वायरस से जंग लड़ी। मई 1980 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषणा की कि अब दुनिया पूरी तरह से चेचक मुक्त हो चुकी है। उससे पहले तक चेचक के शिकार हर तीन में से एक व्यक्ति की जान जाती रही।
7. इन्फ्लुएंजा- दुनिया भर में सालाना हजारों लोग इन्फ्लुएंजा का शिकार होते हैं। इसे फ्लू भी कहते हैं। वर्ष 1918 में जब इसकी महामारी फैली तो दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी संक्रमित हुई और पांच करोड़ लोगों की जान गई। इसे स्पेनिश फ्लू का नाम दिया गया।
8. डेंगू- मच्छर के काटने से डेंगू फैलता है। अन्य वायरस के मुकाबले इसका मृत्यु दर काफी कम है, लेकिन इसमें इबोला जैसे लक्षण हो सकते हैं। 2019 में अमेरिका ने डेंगू के टीके को अनुमति दी।
9. रोटा- यह वायरस नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। वर्ष 2008 में रोटा वायरस के कारण दुनिया भर में पांच साल से कम उम्र के लगभग पांच लाख बच्चों की जान गई।
10.कोरोना वायरस- इस वायरस की कई किस्में हैं। वर्ष 2012 में सऊदी अरब में मर्स फैला जो कि कोरोना वायरस की ही किस्म है। यह पहले ऊंटों में फैला, फिर इंसानों में। इससे पहले 2002 में सार्स फैला था जिसका पूरा नाम सार्स-कोव यानी सार्स कोरोना वायरस था। यह वायरस 26 देशों तक पहुंचा।
वर्ष 2020 में दुनिया के अधिकांश हिस्सों में फैले कोरोना वायरस के कारण होने वाली बीमारी का नाम कोविड-19 दिया गया है।
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