19 अप्रैल: अंतरराष्ट्रीय लहसुन दिवस: कैसे हुई लहसुन की उत्पत्ति
लहसुन का प्रयोग, सूप, सब्जी, दाल, रोटी, नान आदि भोजन की लगभग सभी चीजों में होता है। इसके गुणों को देखते हुए ही इसके सम्मान में हर साल 19 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय लहसुन दिवस मनाया जाता है। अनेक देशों में इसे मिठाइयों और पेय में भी डाला जाता है। अनेक प्रकार की वाइन में इसका प्रयोग होता है। महान यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स ने भी लहसुन को कई रोगों की अचूक दवा बताते हुए लहसुन के गुणों के बारे में विस्तार से लिखा है। कई औषधियों में इसका उपयोग किया जाता है।
ईसाई देवी देवता शास्त्र के अनुसार जब शैतान ने ईडेन गार्डेन का त्याग किया तब उसके बांएं पदचिह्न से लहसुन की उत्पत्ति हुई। अनेक जनजातियों में इसका प्रयोग भूत और चुड़ैलों को भगाने में किया जाता है। मच्छरों, दीमकों और कीटों को भगाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।
लहसुन की तीन सौ से भी अधिक किस्में विश्व में पाई जाती हैं और इसके प्रयोग के प्रमाण ईसापूर्व 4 हजार वर्ष से भी पहले के मिलते हैं। मिस्र में पिरामिड बनाने वाले मजदूरों को भोजन में लहसुन, नमक और रोटी दी जाती थी। मिशिगन झील के किनारे उगने वाली लहसुन की एक प्रजाति शिकागुआ, के नाम पर शिकागो शहर का नामकरण किया गया था। कहा जाता है कि लहसुन को सब से पहले चीन में उगाया गया और चीन से यह दुनिया में फैल गया।
100 ग्राम लहसुन का रासायनिक विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इसमें करीब 6.3 ग्राम प्रोटीन, 0.1 ग्राम वसा, 29.8 ग्राम कार्बोज, 62 ग्राम नमी, 0.8 ग्राम रेशा, 30 मि.ग्रा. कैल्शियम, 301 मि.ग्रा. फॉस्फोरस, 1.2 मि.ग्रा. लौहतत्व, 0.06 मि.ग्रा. थायेमीन, 0.23 मि.ग्रा रिबोफ्लेविन, 0.4 मि.ग्रा. नियासिन, 13 मि.ग्रा. विटामिन सी, 145 कि. कैलोरी ऊर्जा होती है। लहसुन में 17 अमीनो ऐसिड पाए जाते हैं, साथ ही प्रोबायोटिक इन्युलिन भी पाया जाता है जो पाचक बैक्टीरिया को बढ़ाता है, इसी के कारण पाचन तंत्र को लाभ मिलता है।
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