क्रिकेट विश्व कप का बुखार चढ़ने के साथ कश्मीर में बने बल्लों की मांग में जोरदार उछाल
संगम (जम्मू-कश्मीर). उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक विशेषज्ञ बैट (बल्ला) निर्माता सुनील कुमार उन कई विशेषज्ञ कारीगरों में से हैं, जिन्हें संगम ने आकर्षित किया है। इस दक्षिण कश्मीर शहर में बैट निर्माताओं ने अगले सप्ताह से शुरू होने वाले क्रिकेट विश्व कप से पहले ऑर्डर में वृद्धि देखी है। । अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा आयोजित विश्व कप क्रिकेट प्रतियोगिता से पहले कश्मीरी विलो (लकड़ी) से बने बल्लों की बिक्री में वृद्धि देखी गई है। इस वर्ष ऑर्डर अधिक कहीं हैं क्योंकि भारत 12 साल के अंतराल के बाद विश्व कप क्रिकेट का आयोजन कर रहा है। कुमार ने कहा, ''क्रिकेट विश्व कप नजदीक आने के साथ बल्लों की मांग इतनी बढ़ गई है कि हम सभी ऑर्डर पूरे नहीं कर पा रहे हैं।'' अधिक काम से अधिक कमाई होने को लेकर कुमार खुश हैं कि उनके द्वारा बनाए गए बैट अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक पहुंचेंगे। कुमार ने कहा, ‘‘मैं 20 साल के अनुभव के साथ एक बैट निर्माता हूं। मैंने रोहित शर्मा, विराट कोहली, केएल राहुल, आंद्रे रसेल और ड्वेन ब्रावो जैसे दिग्गज क्रिकेटरों के लिए बल्ले बनाए हैं।'' क्रिकेट बैट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर के प्रवक्ता फवजुल कबीर ने कहा कि आईसीसी द्वारा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में इनके इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद पिछले दो वर्षों में कश्मीर विलो बैट की मांग लगातार बढ़ी है। जीआरबी स्पोर्ट्स ब्रांड के तहत बल्ला बनाने वाले कबीर कहते हैं, ‘‘हम 102 वर्षों से क्रिकेट के बल्ले का निर्माण कर रहे हैं, लेकिन वर्ष 2021 तक हमें कोई राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली। आईसीसी की मंजूरी मिलने के बाद हमारे बल्ले विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दिखाई दिए और मांग कई गुना बढ़ गई।'' कबीर ने दावा किया कि कश्मीर क्रिकेट बल्लों की 80 प्रतिशत वैश्विक मांग को पूरा करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘विश्व कप नजदीक है और भारत इसकी मेजबानी कर रहा है, इसलिए मांग कई गुना बढ़ गई है। हम सालाना लगभग 30 लाख बल्ले बनाते हैं, लेकिन इस महीने और पिछले महीने की मांग 15 गुना अधिक थी। हमने दो महीने में लगभग 30 से 40 लाख बल्ले बनाए हैं जिसकी हमने डिलिवरी कर दी है।'' कबीर ने दावा किया कि ‘‘वर्ष 2021 के शून्य निर्यात'' से शुरू होकर अब तक कश्मीर से 1.85 लाख से अधिक बल्ले विभिन्न देशों में निर्यात किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम दुनिया को कश्मीर विलो के रूप में एक बेहतर विकल्प दे रहे हैं, वह भी सस्ती कीमत पर। गुणवत्ता के लिहाज से भी, अगर आप हमारा बल्ला देखें, तो (टी-20) विश्व कप में सबसे बड़ा छक्का एक खिलाड़ी ने हमारे ही बल्ले से लगाया था।'' उन्होंने कहा, विश्व कप के इस संस्करण के दौरान कम से कम 17 खिलाड़ी उनकी कंपनी के बैट का इस्तेमाल करेंगे। एक बैट निर्माण इकाई के कर्मचारी मुश्ताक अहमद शेख ने कहा कि यहां के कामगार विश्व कप का इंतजार करते हैं क्योंकि उनका भत्ता बढ़ जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम हमेशा विश्व कप का इंतजार करते हैं क्योंकि हमारा काम कई गुना बढ़ जाता है और हमें दोगुनी मजदूरी मिलती है। हम इन दिनों दिन-रात काम करते हैं क्योंकि यह हमारी आजीविका का स्रोत है।'' शेख ने कहा कि विश्व कप के दौरान खरीदार अपने ऑर्डर तीन से चार गुना बढ़ा देते हैं।
उन्होंने कहा, जो लोग आमतौर पर 1,000 बल्लों का ऑर्डर देते हैं, वे अब 3,000 से 4,000 बल्लों की मांग करते हैं।'' रणजी ट्रॉफी खेलने वाले जम्मू-कश्मीर के पूर्व क्रिकेटर उमर आलम ने कहा कि कश्मीर विलो बैट की गुणवत्ता में सुधार के लिए किया गया निवेश अब फायदेमंद साबित हो रहा है। आलम ने कहा, ‘‘निवेशक शानदार काम कर रहे हैं। कश्मीरी निर्माता युवाओं के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को भी बल्ले मुहैया करा रहे हैं।'' उनका मानना है कि कश्मीर विलो बल्ला अपनी टिकाऊपन के कारण इंग्लिश विलो के बैट से कहीं बेहतर हैं।
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