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नई दिल्ली। रिलायंस जियो फोन और सिम कार्ड के अलावा जियो फाइ की बिक्री भी करता है जो कि एक हॉटस्पॉट डिवाइस है। जियो फाई का फायदा यह है कि इससे आप कई लैपटॉप और फोन को कनेक्ट करके इंटरनेट इस्तेमाल कर सकते हैं। जियो फाई के लिए कंपनी के पास तीन बेहतरीन प्लान हैं जिनके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है। एक प्लान 249 रुपये है जिसमें 30 जीबी डाटा मिलता है। आइए जानते हैं जियो फाई के सभी प्लान के बारे में...
JioFi का 299 रुपये वाला प्लान
JioFi के 299 रुपये वाला प्लान 40 जीबी डाटा के साथ आता है। इसका भी लॉक-इन पीरियड 18 महीने का है। डाटा खत्म होने के बाद इसकी स्पीड 64 Kbps हो जाएगी
JioFi का 349 रुपये वाला प्लान
JioFi का यह प्लान 50 जीबी डाटा और 18 महीने के लॉक-इन पीरियड के साथ आता है।
आपको बता दें कि JioFi मुफ्त में मिलता है। इस्तेमाल के बाद आप इसे वापस भी कर सकते हैं, हालांकि यदि आपकी कोई कंपनी है तो आपको कम-से-कम 200 JioFi का ऑर्डर देना होगा।
JioFi के फीचर्स की बात करें तो इसमें 150Mbps तक की स्पीड मिलती है। इसके अलावा इसमें 2300mAh की बैटरी दी गई है जो कि करीब 5-6 घंटे का बैकअप देती है। इसके साथ एक बार में 10 डिवाइस को कनेक्ट किया जा सकता है। - लंदन। ब्रिटेन दौरे पर आए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि जिस तरह दो वार्ताकार दलों के बीच चीजें चल रही हैं, उसे देखते हुए कहा जाता सकता है कि भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) दिवाली तक तैयार हो सकता है तथा संभव है कि अंतरिम समझौते की आवश्यकता ही न पड़े।गोयल दावोस में विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक में शामिल होने के बाद लंदन आए जहां वह एफटीए के चौथे दौर की वार्ता से पहले हितधारकों और कारोबारी जगत के लोगों से संवाद करेंगे। यह वार्ता 13 जून को ब्रिटेन में प्रस्तावित है।इंडिया ग्लोबल फोरम का सालाना कार्यक्रम ‘यूक्रे-इंडिया वीक’ 27 जून से शुरू होने वाला है, उससे पहले बृहस्पतिवार शाम को आयोजित एक कार्यक्रम में गोयल ने ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात के साथ तेज गति से हुए एफटीए का जिक्र किया और कहा कि यह संकेत है कि चीजें सही दिशा में चल रही हैं।मंत्री ने कहा, ‘‘कनाडा के साथ भी अंतरिम समझौता होने वाला है। ब्रिटेन के साथ भी अंतरिम समझौता करने पर सहमति बनी थी लेकिन जिस तरह से चीजें चल रही हैं, हमें लगता है कि दिवाली तक हम ब्रिटेन के साथ पूर्ण एफटीए कर लेंगे। इसे लेकर हमारे बीच बैठकें हो रही हैं जो अच्छी रही हैं।’’ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पिछले महीने जब भारत दौरे पर आए थे तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के बाद मसौदा एफटीए के लिए अक्टूबर में दिवाली तक की समयसीमा तय की गई थी।
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जी एंटरटेनमेंट ने चौथी तिमाही में 181.93 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया
नयी दिल्ली. जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइज लि. (जी लि.) का एकीकृत शुद्ध लाभ मार्च में समाप्त बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 181.93 करोड़ रुपये रहा है। कंपनी ने इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 272.36 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था। बीएसई को भेजी सूचना में कंपनी ने कहा कि तिमाही के दौरान उसकी कुल आय बढ़कर 2,361.17 करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 1,984.39 करोड़ रुपये रही थी। कंपनी ने कहा कि तिमाही के दौरान उसकी विज्ञापन आय 1,119.83 करोड़ रुपये रही। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 1,122.96 करोड़ रुपये रही थी। - नयी दिल्ली. सरकार ने कंपोजिशन योजना के तहत पंजीकृत छोटे करदाताओं द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 के लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) रिटर्न भरने में देरी के लिए जून तक दो महीने के लिए विलंब शुल्क माफ कर दिया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) ने बृहस्पतिवार एक अधिसूचना में कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीएसटीआर-4 दाखिल करने में देरी के लिए एक मई से 30 जून, 2022 तक विलंब शुल्क नहीं लगाया जाएगा। कंपोजिशन योजना के तहत पंजीकृत करदाताओं द्वारा जीएसटीआर-4 हर वर्ष दाखिल किया जाता है।जीएसटी के नियमों के अनुसार जीएसटीआर-4 दाखिल करने में देरी पर प्रतिदिन 50 रुपये के हिसाब से विलंब शुल्क लगाया जाता है। हालांकि, जहां देय कर की कुल राशि शून्य है, वहां अधिकतम 500 रुपये विलंब शुल्क के रूप में लगाया जा सकता है। अन्य मामलों में 2,000 रुपये तक विलंब शुल्क लगाया जा सकता है। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि छोटे करदाताओं की सुविधा के लिए सरकार ने 2021-22 के लिए 30 जून, 2022 तक जीएसटीआर भरने में देरी के लिए देय विलंब शुल्क को माफ कर दिया गया है। यह स्वागतयोग्य निर्णय है।
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नयी दिल्ली. म्यूचुअल फंड में निवेश की नई श्रेणी ‘फ्लेक्सी कैप' को लेकर निवेशकों का आकर्षण बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में इस श्रेणी में 35,877 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ है। इसमें म्यूचुअल फंड को कोष का बड़ी, मझोली और छोटी कंपनियों में बिना किसी निवेश सीमा के कम-से-कम 65 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी शेयर में लगाने की जरूरत होती है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) के आंकड़ों के अनुसार इक्विटी श्रेणी में सबसे अधिक पूंजी प्रवाह ‘फ्लेक्सी कैप'श्रेणी में ही हुआ है। मॉर्निंगस्टार के अनुसार, पूंजी बाजार नियामक सेबी ने नवंबर, 2020 में ‘फ्लेक्सी कैप' की शुरुआत की थी। उसके बाद से कई परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) ने ‘फ्लेक्सी-कैप' श्रेणी में अपने मौजूदा फंड को पुनर्गठित किया है। आंकड़ों के अनुसार, ‘फ्लेक्सी कैप' फंड में कुल 35,877 करोड़ रुपये के प्रवाह में से 2,478 करोड़ रुपये जून, 2021 को समाप्त तिमाही में आया। जबकि 18,258 करोड़ रुपये सितंबर, 2021 को समाप्त तिमाही तथा 6,191 करोड़ रुपये दिसंबर, 2021 को समाप्त तिमाही में आया। मार्च, 2022 को समाप्त तिमाही में इस श्रेणी में 8,950 करोड़ रुपये निवेश किये गये। बड़ी कंपनियों से जुड़े कोष में 2021-22 में 13,569 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। वहीं मझोली और छोटी कंपनियों वाले कोष में क्रमश: 16,308 करोड़ रुपये और 10,145 करोड़ रुपये का प्रवाह हुआ। एम्फी के अनुसार ‘फ्लेक्सी कैप' श्रेणी में कुल प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां मार्च, 2022 के अंत में 2,25,430 करोड़ रुपये पर पहुंच गईं। मॉर्निंग स्टार इंडिया के अनुसार, ‘‘इक्विटी फंड से संबंधित निवेश वाली योजनाओं में ‘फ्लेक्सी कैप' श्रेणी की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत पहुंच गयी है। -
मुंबई. वैश्विक बाजारों में तेजी के बीच एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के शेयरों में लिवाली से बृहस्पतिवार को घरेलू शेयर बाजारों में पिछले तीन दिन से जारी गिरावट का सिलसिला थम गया और सेंसेक्स 500 से अधिक अंक चढ़ गया। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 503.27 अंक यानी 0.94 प्रतिशत की बढ़त के साथ 54,252.53 अंक पर पहुंच गया। दिन में कारोबार के दौरान यह एक समय 596.96 अंक चढ़कर 54,346.22 तक पहुंच गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 144.35 अंक यानी 0.90 प्रतिशत की मजबूती के साथ 16,170.15 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स की कंपनियों में टाटा स्टील, भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी, नेस्ले, विप्रो, टीसीएस और टेक महिंद्रा के शेयरों में लाभ रहा। वहीं, दूसरी तरफ सन फार्मा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान यूनिलीवर, लार्सन एंड टुब्रो और डॉ. रेड्डीज के शेयर नुकसान में रहे। एशिया के अन्य बाजारों में चीन का शंघाई कंपोजिट लाभ के साथ बंद हुआ ,जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, हांगकांग का हैंगसेंग और जापान के निक्की में गिरावट आई। यूरोप के बाजार दोपहर के सत्र में बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे तथा अमेरिकी बाजार बुधवार को बढ़त लेकर बंद हुए थे। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.54 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 114.7 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी निवेशक घरेलू बाजारों से लगातार निकासी कर रहे हैं। उन्होंने बुधवार को 1,803.06 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। चॉइस ब्रोकिंग की पलक कोठारी ने कहा, डेरिवेटिव अनुबंधों के मासिक निपटान के दिन अंतत: बाजार तीन दिन की गिरावट से उबरते हुए लाभ के साथ बंद हुआ। - • जिन्दल पैंथर के नाम से बाजार में अग्रणी सीमेंट की उपलब्धता
• 25 लाख टन सीमेंट एवं 25 लाख टन क्लिंकर प्रतिवर्ष उत्पादन का लक्ष्य• प्लांट में ऊर्जा संरक्षण की व्यवस्था, 12 मेगावाट के वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम से चलेगा प्लांटरायपुर। राष्ट्र की प्रगति को तेज गति देने के लिए जिन्दल पैन्थर सिमेंट (जेएसपी) रायगढ़ क्षेत्र में सीमेंट प्लांट लगाएगा। इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार के साथ एक एमओयू हुआ है जिसे शासन की ओर से श्री मनोज कुमार पिंगुआ प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग तथा जिंदल सिमेंट की ओर से श्री प्रदीप टण्डन अध्यक्ष जे.एस.पी. ने हस्ताक्षर किए ।इसके साथ स्टील, ऊर्जा, माइनिंग एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में अग्रणी जिन्दल स्टील एंड पावर की सेवाओं में सीमेंट उत्पादन भी प्राथमिक रूप से जुड़ जाएगा।जाने-माने उद्योगपति श्री नवीन जिन्दल के नेतृत्व वाली कंपनी जिन्दल स्टील एंड पावर के सीमेंट प्लांट लगाने के इस फैसले से “लोहे से बना-लोहे सा बना” जिन्दल पैंथर नाम से मशहूर बाजार में अग्रणी सीमेंट ब्रांड की उपलब्धता बढ़ जाएगी। इस सीमेंट प्लांट से 25 लाख टन सीमेंट एवं 25 लाख टन क्लिंकर प्रतिवर्ष उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। पर्यावरण आवश्यकताओं और समय की मांग के अनुरूप प्लांट में ऊर्जा संरक्षण की भी व्यवस्था की गई है और 12 मेगावाट के वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम से यह प्लांट चलाकर “क्लीन एंड ग्रीन इंडिया” के सपनों के अनुरूप राष्ट्र के विकास को गति दी जाएगी। सीमेंट प्लांट लगने से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हजारों रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है। इसके अलावा क्षेत्र में विकास की एक और बयार बहेगी।जिन्दल स्टील एंड पावर के प्रेसिडेंट श्री प्रदीप टण्डन ने बताया कि यह सीमेंट प्लांट आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जो चेयरमैन श्री नवीन जिन्दल की दूरदर्शी सोच का परिणाम है। -
नयी दिल्ली। मौजूदा कीमत स्थिति के कारण वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने की गुंजाइश फिलहाल कम है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है। इन कर स्लैब को घटाकर संभवत: तीन करने पर विचार किया जा रहा है। इसके तहत कुछ वस्तुओं पर कर बढ़ाया जाएगा जबकि कुछ के मामले में कर में कमी की जाएगी। इसके अलावा, सोने और स्वर्ण आभूषणों पर तीन प्रतिशत कर लगता है। सूत्रों ने कहा, लेकिन मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है। ऐसे में जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने की गुंजाइश कम है। सूत्र ने कहा कि अर्थव्यवस्था कोविड महामारी के प्रभाव से उबर रही थी लेकिन इस साल रूस-यूक्रेन युद्ध ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। उसने कहा, ‘‘पूर्व में जीएसटी परिषद तत्कालीन मौजूदा स्थिति से अवगत थी।''
जीएसटी के तहत जरूरी सामानों पर या तो छूट है या फिर निम्न दर से कर लगाया जाता है। जबकि आरामदायक और समाज के नजरिये से अहितकर वस्तुओं पर ऊंची दर 28 प्रतिशत कर लगाया जाता है। साथ ही ऐसी वस्तुओं पर उपकर भी लगाया जाता है। जीएसटी लागू होने से राज्यों के संभावित राजस्व नुकसान की क्षतिपूर्ति करने के लिये उपकर लगाया जाता है। जीएसटी परिषद ने कर दरों को युक्तिसंगत बनाकर राजस्व वृद्धि और कर दरों में विसंगतियों को दूर करने के बारे में सुझाव देने को लेकर पिछले साल कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था। -
नयी दिल्ली. रेलवे के उपक्रम रेलटेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2021-22 में अपनी अबतक की सबसे ऊंची एकीकृत आय हासिल की है। रेलटेल की एकीकृत आय बीते वित्त वर्ष में 15 प्रतिशत बढ़कर 1,628 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। कंपनी ने बुधवार को एक बयान में यह जानकारी दी। कंपनी की वित्त वर्ष 2020-21 में एकीकृत आय 1,411 करोड़ रुपये थी। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) ने मंगलवार को हुई अपनी 132वीं बोर्ड की बैठक में कहा कि एकीकृत आधार पर रेलटेल का बीते वित्त वर्ष के दौरान शुद्ध मुनाफा 209 करोड़ रुपये रहा, जबकि इसी अवधि के दौरान उसका कर-पूर्व मुनाफा 281 करोड़ रुपये रहा।
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मुंबई. वैश्विक बाजारों में मजबूती के रुख के बावजूद सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और उपभोक्ता कंपनियों के शेयरों में जबर्दस्त बिकवाली से घरेलू शेयर बाजारों ने बुधवार को लगातार तीसरे दिन शुरुआती बढ़त को गंवा दिया, जिससे सेंसेक्स 300 से अधिक अंक नीचे आ गया। विदेशी निवेशकों की लगातार निकासी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने घरेलू बाजारों पर और दबाव डाला।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स एक बार फिर शुरूआती बढ़त गंवाने के बाद 303.35 अंक यानी 0.56 प्रतिशत की गिरावट के साथ 53,749.26 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 99.35 अंक यानी 0.62 प्रतिशत फिसलकर 16,025.80 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स की कंपनियों में एशियन पेंट्स में सबसे अधिक 8.04 प्रतिशत की गिरावट रही। टीसीएस, विप्रो, टेक महिंद्रा, लार्सन एंड टुब्रो, इन्फोसिस, भारतीय स्टेट बैंक, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और एमएंडएम के शेयर भी गिरावट में रहे। वहीं, दूसरी तरफ एनटीपीसी, भारती एयरटेल, एचडीएफसी, कोटक महिंद्रा बैंक, नेस्ले, आईसीआईसीआई बैंक और आईटीसी के शेयर इस दौरान लाभ में रहे। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘निवेशकों को अमेरिका में ‘मंदी' की संभावना दिख रही है। इससे वैश्विक बाजार प्रभावित हुए हैं जिसका असर यहां भी दिखाई दे रहा है।'' इसके अलावा बीएसई स्मॉलकैप 2.94 प्रतिशत और मिडकैप 1.93 प्रतिशत टूट गया।
एशिया के अन्य बाजारों में चीन का शंघाई कंपोजिट, दक्षिण कोरिया का कॉस्पी और हांगकांग का हैंगसेंग लाभ के साथ बंद हुए, जबकि जापान के निक्की में कमजोरी का रुख रहा। यूरोपीय बाजार दोपहर के सत्र में बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे, जबकि अमेरिकी बाजार मंगलवार को गिरावट लेकर बंद हुए। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.37 प्रतिशत चढ़कर 115.1 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी निवेशकों का घरेलू बाजारों से निकासी का सिलसिला जारी है। उन्होंने मंगलवार को 2,393.45 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। -
नयी दिल्ली। सरकार ने सालाना 20-20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर सीमा शुल्क तथा कृषि अवसंरचना उपकर को मार्च, 2024 तक हटाने की घोषणा की है। वित्त मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी अधिसूचना के अनुसार सालाना 20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 में आयात शुल्क नहीं लगाया जाएगा। सरकार का मानना है आयात शुल्क में इस छूट से घरलू कीमतों में नरमी आएगी और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक ट्वीट में लिखा, ‘‘यह निर्णय उपभोक्ताओं को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करेगा।'' इसका मतलब है कि 31 मार्च, 2024 तक कुल 80 लाख टन कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल का शुल्क मुक्त आयात किया जा सकेगा। इससे घरेलू स्तर पर कीमतों को नीचे लाने में मदद मिलेगी।
सॉल्वैट एक्सट्रैक्टर्स ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि सरकार के इस फैसले से सोयाबीन तेल के दाम तीन रुपये प्रति लीटर तक नीचे आएंगे। सरकार ने 20-20 लाख टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेलों के लिए शुल्क दर कोटा (टीआरक्यू) संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है। मेहता ने कहा कि टीआरक्यू के तहत सीमा शुल्क और 5.5 प्रतिशत का कृषि अवसंरचना कर हट जाएगा।
गौरतलब है कि सरकार ने तेल की बढ़ती कीमतों के बीच पिछले सप्ताह पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाया था। साथ ही इस्पात और प्लास्टिक उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कुछ कच्चे माल पर आयात शुल्क भी हटाने का निर्णय लिया था। -
नयी दिल्ली। खरीफ फसलों की बुवाई से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंगलवार को कहा कि किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज समय पर मिलने चाहिए और राज्य सरकारें नकली बीजों की बिक्री पर सख्ती से रोक लगाएं। एक राष्ट्रीय वेबिनार को संबोधित करते हुए, तोमर ने कहा कि केंद्र के साथ राज्य सरकारों को बीज श्रृंखला बनाने को अगले 10-15 वर्षों के लिए एक रूपरेखा तैयार करनी चाहिए। एक सरकारी बयान में तोमर के हवाले से कहा गया है, ‘‘यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की समय पर आपूर्ति हो। राज्य सरकारों को कालाबाजारी और नकली बीज बेचने वालों पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए।'' बीज अच्छा है, तो भविष्य भी अच्छा है। उन्होंने कहा कि कृषि के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता से उत्पादन, उत्पादकता और किसानों की आय में वृद्धि होती है। मंत्री ने आगे कहा कि पूरी बीज श्रृंखला को व्यवस्थित किया जाए ताकि किसानों को कोई परेशानी न हो। कुछ फसलों में गुणवत्तापूर्ण बीजों की आपूर्ति की कमी को दूर करने और बेहतर योजना तैयार करने पर जोर देने की आवश्यकता है। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित बीज जमीनी स्तर पर किसानों तक पहुंचने चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही राज्यों को जिला स्तर पर कृषि विभाग से जुड़े सभी पहलुओं पर सुनियोजित तरीके से काम करना चाहिए, ताकि किसानों को कोई परेशानी न हो। कृषि सचिव मनोज आहूजा ने कहा कि पंचायत स्तर पर किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए, वहीं बीज की गुणवत्ता जांच के प्रति भी किसानों को जागरूक किया जाए। -
नयी दिल्ली। सरकार की गेहूं खरीद विपणन वर्ष 2022-23 में पिछले वित्तवर्ष की तुलना में अब तक 53 प्रतिशत घटकर 182 लाख टन रह गई है। इसका मुख्य कारण निर्यात के लिए निजी कारोबारियों द्वारा गेहूं की आक्रामक खरीदारी करना है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। रबी विपणन वर्ष अप्रैल से मार्च तक चलता है लेकिन अधिकांश खरीद जून तक समाप्त हो जाती है। पिछले विपणन वर्ष में अबतक की सर्वाधिक 433.44 लाख टन गेहूं की खरीद की गई थी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत आवश्यकता को पूरा करने के लिए सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य की खरीद एजेंसियां न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इस अनाज की खरीद करती हैं। गेहूं उत्पादन में गिरावट और निर्यात में वृद्धि के कारण मौजूदा वर्ष के लिए गेहूं खरीद लक्ष्य को संशोधित कर 195 लाख टन कर दिया गया है, जो पहले 444 लाख टन था। सरकारी सूत्रों के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में सरकारी एजेंसियों द्वारा गेहूं की खरीद कम रही। विपणन वर्ष 2022-23 में सरकार की गेहूं खरीद घटकर 96 लाख टन रह गई, जबकि एक साल पहले यह 132 लाख टन रही थी। इसी तरह हरियाणा में गेहूं की खरीद 84 लाख टन से घटकर 40 लाख टन रह गई, जबकि मध्य प्रदेश में इसी अवधि के दौरान खरीद पहले के 118 लाख टन से घटकर 42 लाख टन रह गई। उत्तर प्रदेश में विपणन वर्ष 2022-23 में गेहूं की खरीद तेज गिरावट के साथ 2.64 लाख टन रह गई, जो एक साल पहले की अवधि में 33 लाख टन रही थी। सूत्रों ने कहा कि राजस्थान के मामले में इसी अवधि में 16 लाख टन की तुलना में खरीद सिर्फ 1,010 टन की हुई। सूत्रों ने सरकार की खरीद में तेज गिरावट का की वजह निर्यात करने के लिए निजी कंपनियों द्वारा की गई आक्रामक खरीदारी को बताया। सरकार ने कीमतों पर नियंत्रण के लिए 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। -
नयी दिल्ली. वाहन कंपनी हुंदै मोटर इंडिया ने 'ग्रैंड आई10 निओस कॉरपोरेट' संस्करण उतारा है। इसकी शोरूम कीमत 6.28 लाख रुपये से शुरू होती है। कंपनी ने सोमवार को यह जानकारी दी। ये नया मॉडल 'मैनुअल' और 'ऑटोमैटिक' दोनों पावरट्रेन में उपलब्ध है। मैनुअल संस्करण की कीमत 6.28 लाख रुपये है जबकि ऑटोमैटिक मैनुअल ट्रांसमिशन (एएमटी) की कीमत 6.97 लाख रुपये है। हुंदै मोटर इंडिया के निदेशक (बिक्री, विपणन और सेवा) तरुण गर्ग ने कहा, ‘‘हुंदै ने भारत में प्रगतिशील और नए युग के ग्राहकों के लिए ग्रैंड आई10 निओस उतारी थी। निओस को मिली शानदार प्रतिक्रिया के बाद अब हमने इसका कॉरपोरेट संस्करण उतारा है।
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मुंबई. प्रीमियम मोटरसाइकिल विनिर्माता केटीएम ने अपनी लोकप्रिय बाइक केटीएम आरसी 390 का 2022 संस्करण उतारने की सोमवार को घोषणा की। इसकी शोरूम कीमत 3,13,922 रुपये है। कंपनी ने कहा कि इस नई मोटरसाइकिल की बुकिंग भी देशभर में केटीएम के शोरूम में शुरू हो गई है। केटीएम आरसी 390 वर्ष 2014 में भारतीय बाजार में आने के समय से ही खासा लोकप्रिय स्पोर्ट्स मॉडल रहा है। भारत में केटीएम मोटरसाइकिल का वितरण करने वाली कंपनी बजाज ऑटो लिमिटेड के अध्यक्ष (प्रोबाइकिंग) सुमीत नारंग ने कहा, ‘‘नई पीढ़ी की यह बाइक रोमांच-प्रेमियों के बीच प्रीमियम खंड में अपनी बढ़त बरकरार रखने में सफल रहेगी।
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मुंबई. घरेलू विमानन कंपनी आकाश एयर को अपना पहला विमान जून के मध्य तक मिलने की उम्मीद है। इसे अमेरिका में बोइंग के पोर्टलैंड संयंत्र में अंतिम रूप दिया जा रहा है। चर्चित निवेशक राकेश झुनझुनवाला के समर्थन वाली आकाश एयर ने सोमवार को बयान में कहा कि जुलाई तक वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने के लिए सब कुछ पटरी पर चल रहा है। एयरलाइन की योजना मार्च, 2023 तक घरेलू मार्गों पर 18 विमानों के जरिये परिचालन करने की है। मुंबई की विमानन कंपनी को नागर विमानन मंत्रालय से पिछले वर्ष अक्टूबर में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मिल गया था। - नयी दिल्ली । इंजीनियरिंग निर्यात संवर्द्धन परिषद (ईईपीसी) ने सोमवार को उम्मीद जताई कि सरकार के शुल्क से संबंधित कदमों से घरेलू बाजार में इस्पात उत्पादों की कीमतों में 10 से 15 प्रतिशत गिरावट आएगी। उल्लेखनीय है इस्पात उत्पादों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, जिसके मद्देनजर सरकार ने शुल्क के मोर्चे पर कुछ कदम उठाए हैं। कुछ इस्पात वस्तुओं पर निर्यात शुल्क लगाने के सरकार के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन महेश देसाई ने कहा कि इंजीनियरिंग सामान विनिर्माताओं और निर्यातकों को इस कदम से लाभ होगा और वैश्विक बाजारों में वें अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। देसाई ने बयान में कहा, ‘‘इस्पात निर्यातकों को लगता है कि प्राथमिक इस्पात उत्पादों की कीमतों में 10 प्रतिशत की कमी आएगी। वहीं द्वितीयक इस्पात उत्पादकों के लिए दाम 15 प्रतिशत घटेंगे।'' वहीं रियल एस्टेट कंपनियों के निकाय क्रेडाई और नारेडको ने भी इस्पात और सीमेंट की कीमतों में कमी लाने के लिए सरकार के कदमों की सराहना की है। उद्योग निकायों ने उम्मीद जताई है कि विनिर्माता इसका लाभ अपने ग्राहकों को भी देंगे। क्रेडाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन पटोदिया ने कहा कि इस्पात उत्पादों पर आयात शुल्क कम करने के सरकार के कदम से सभी हितधारकों को राहत मिलनी चाहिए। क्रेडाई और नारेडको दोनों पिछले एक साल से इस्पात और सीमेंट की कीमतों में आई तेजी का मुद्दा उठाते रहे हैं। उत्पादों की उच्च कीमतों से समग्र निर्माण लागत में वृद्धि हुई है। वहीं कई बिल्डरों ने निर्माण लागत में वृद्धि की भरपाई के लिए घरों की कीमतें बढ़ा दी हैं। सरकार ने बीते शनिवार को इस्पात उद्योग द्वारा उपयोग किए जाने वाले कोकिंग कोल और फेरो-निकेल सहित कुछ कच्चे माल के आयात पर सीमा शुल्क समाप्त करने की घोषणा की थी।
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नयी दिल्ली,। मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को कहा कि लंबे समय तक उच्च तापमान भारत के लिए नुकसानदेह है, क्योंकि इससे महंगाई बढ़ सकती है और वृद्धि प्रभावित हो सकती है। मूडीज के मुताबिक दीर्घावधि में, भौतिक जलवायु जोखिमों के प्रति भारत के अत्यधिक नकारात्मक ऋण जोखिम का मतलब है कि इसकी आर्थिक बढ़त का अस्थिर होना। भारत को लगातार जलवायु संबंधी घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वैसे तो भारत में गर्मी की लहर काफी आम हैं, लेकिन यह आमतौर पर मई और जून में अधिक होती हैं। हालांकि, इस साल नयी दिल्ली में मई में गर्मी की पांचवीं लहर देखी गई, जिससे अधिकतम तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक चढ़ गया। मूडीज ने कहा, "लंबे समय तक उच्च तापमान देश के उत्तर-पश्चिम के अधिकांश हिस्से को प्रभावित करेगा, जिससे गेहूं उत्पादन पर असर पड़ सकता है। साथ ही यह बिजली की कटौती का कारण भी बन सकता है। इस कारण उच्च मुद्रास्फीति और वृद्धि के जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।" भारत सरकार ने अत्यधिक गर्मी के चलते जून, 2022 को समाप्त होने वाले फसल वर्ष के लिए गेहूं उत्पादन के अपने अनुमान को 5.4 प्रतिशत घटाकर 15 करोड़ टन कर दिया है। कम उत्पादन और वैश्विक स्तर पर गेहूं की अधिक कीमतों को भुनाने के लिए निर्यात बढ़ने से घरेलू स्तर पर मुद्रास्फीति के दबाव बढ़ने लगे, जिसके चलते सरकार को गेहूं निर्यात रोकने का फैसला लेना पड़ा। मूडीज ने कहा, "यह प्रतिबंध ऐसे समय में आया है, जब रूस-यूक्रेन सैन्य संघर्ष के बाद भारत गेहूं की मांग के वैश्विक अंतर को पूरा करने में सक्षम हो सकता है।" मूडीज ने कहा कि प्रतिबंध से हालांकि मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने में कुछ हद तक मदद मिलेगी, लेकिन इससे निर्यात और बाद में वृद्धि को नुकसान होगा। फरवरी के अंत में रूस-यूक्रेन सैन्य संघर्ष शुरू होने के बाद वैश्विक स्तर पर गेहूं की कीमतों में 47 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। एजेंसी ने कहा कि प्रतिबंध के कारण भारत के निर्यात भागीदारों को गेहूं की कीमतों में और उछाल का सामना करना पड़ सकता है।
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नयी दिल्ली. जीएसटी परिषद की अगले महीने होने वाली वाली बैठक में संक्षिप्त रिटर्न और मासिक कर भुगतान फॉर्म.. जीएसटीआर-3बी में संशोधन पर विचार किया जा सकता है। एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि फर्जी इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) के दावों पर रोक और सही मामलों के तेजी से निपटान के लिए जीएसटीआर-3बी फॉर्म में बदलाव पर विचार किया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, संशोधित फॉर्म करदाता को सकल इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी), किसी विशेष महीने में दावा की गई राशि और करदाता के बही-खाते में शेष बची राशि के संबंध में स्पष्टता प्रदान करेगा। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) मामलों पर निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय जीएसटी परिषद की बैठक अगले महीने होने की संभावना है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘संशोधित फॉर्म फर्जी आईटीसी दावों पर अंकुश लगाने और ईमानदार करदाता को तेजी से आईटीसी का लाभ उठाने में मददगार साबित होगा।'' अधिकारी ने बताया, ‘‘जीएसटी परिषद की विधि समिति जीएसटीआर-3बी को सुव्यवस्थित करने पर विचार कर रही है ताकि आईटीसी के खुलासे पर और स्पष्टता आए। जीएसटीआर-3बी फॉर्म में संशोधन के मुद्दे को परिषद की अगली बैठक में रखे जाने की उम्मीद है।'' जीएसटीआर-3बी एक संक्षिप्त ब्योरा और मासिक जीएसटी भुगतान से संबंधित फॉर्म है। यह फॉर्म विभिन्न श्रेणी के करदाता महीने की 20, 22 और 24 तारीख को भरते हैं।
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नयी दिल्ली/मुंबई/चेन्नई | पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने के केंद्र सरकार के फैसले के अगले ही दिन रविवार को महाराष्ट्र, राजस्थान एवं केरल ने इन पेट्रोलियम उत्पादों पर स्थानीय स्तर पर लगने वाले शुल्क वैट में कटौती करने की घोषणा कर दी। हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के वैट में कटौती करने संबंधी राज्यों से किए गए आह्वान के बावजूद कुछ राज्य सरकारों ने राजस्व संग्रह में आने वाली कमी का हवाला देते हुए ऐसा कर पाने में अपनी असमर्थता जताई। महाराष्ट्र सरकार ने पेट्रोल पर लगने वाले मूल्य-वर्द्धित कर (वैट) में 2.08 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर लगने वाले शुल्क में 1.44 रुपये प्रति लीटर की कटौती करने की घोषणा की। राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि पेट्रोल एवं डीजल पर वैट घटाने से राज्य के खजाने को 2,500 करोड़ रुपये की वार्षिक क्षति होगी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा कि राज्य सरकार पेट्रोल पर वैट में 2.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 1.16 रुपये प्रति लीटर की कटौती करेगी। इसके पहले केरल की वाममोर्चा सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट में कटौती करने की घोषणा कर दी थी। केरल सरकार ने पेट्रोल पर वैट में 2.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर लगने वाले शुल्क में 1.36 रुपये प्रति लीटर की कटौती करने का फैसला किया है। हालांकि तमिलनाडु सरकार ने वैट में कटौती की अपेक्षा को गलत बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल एवं डीजल पर कर बढ़ाते समय राज्यों से कभी भी परामर्श नहीं किया था। वित्त मंत्री पलानिवेल त्यागराजन ने कहा कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती किए जाने के बावजूद पेट्रोल एवं डीजल की दरें वर्ष 2014 की तुलना में अब भी अधिक हैं। केंद्र सरकार ने शनिवार को ही पेट्रोल एवं डीजल पर लगने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती करने का फैसला लिया था। पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में आठ रुपये प्रति लीटर और डीजल पर उत्पाद शुल्क में छह रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई है। इसके साथ ही केंद्र ने उपभोक्ताओं को अधिक राहत देने के लिए स्थानीय स्तर पर लगने वाले वैट में भी कटौती करने का आह्वान राज्य सरकारों से किया था। इसी के बाद महाराष्ट्र, केरल एवं राजस्थान ने वैट में कटौती की घोषणा की है। इस तरह की मांग अन्य राज्यों से भी आने लगी है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य की भाजपा सरकार से पेट्रोल एवं डीजल पर वैट कम करने की मांग की है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने योगी आदित्यनाथ सरकार से भी लोगों को राहत देने के लिए वैट में कमी करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों की सरकारों को भी पेट्रोलियम उत्पादों पर वैट में कटौती करनी चाहिए। इस बीच भाजपा के शासन वाले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने इस फैसले पर विचार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पेट्रोल एवं डीजल पर वैट शुल्क कम करने के बारे में विचार करेगी। लेकिन भाजपा के ही शासन वाले एक अन्य राज्य गोवा की सरकार इसके पक्ष में नहीं है। गोवा में पेट्रोल पर 26 फीसदी और डीजल पर 22 फीसदी वैट लगता है। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि वह केंद्र के पास राज्य का बकाया 97,000 करोड़ रुपये का फंड जारी किए जाने पर ही पेट्रोल एवं डीजल पर वैट घटाने का फैसला लेगी। इस बीच पूर्व वित्त मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा है कि राज्यों को पेट्रोल एवं डीजल पर लागू शुल्क केंद्र के साथ साझा करने पर बहुत कम रकम ही मिल पा रही है।
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नयी दिल्ली. शेयर बाजारों में तेजी और खुदरा निवेशकों की रुचि बढ़ने के बीच परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां (एएमसी) 2021-22 में 176 नई कोष पेशकश (एनएफओ) लेकर आई हैं, जिनके जरिये कुल 1.08 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए। फायर्स के शोध प्रमुख गोपाल कवालिरेड्डी ने कहा, ‘‘ नकदी की सख्त स्थिति, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, शेयर बाजार में मजबूती, दफ्तर से काम फिर शुरू होने के बाद आगे चलकर एनएफओ में रुचि घट सकती है। वहीं निश्चित परिपक्वता वाली योजनाओं (एफएमपी) में उल्लेखनीय रूप से नई पेशकशें देखने को मिल सकती हैं। उन्होंने कहा कि लगभग सभी एएमसी ने विभिन्न श्रेणियों में नई योजनाएं पेश की हैं और पहले मौजूद उत्पादों के अंतराल को पाटने का काम किया है। उन्होंने बताया कि निवेश के उद्देश्यों में अंतर, विशिष्ट योजनाओं में निवेशकों की रुचि, धन की उपलब्धता, कोष प्रबंधकों की विश्वसनीयता और शेयर बाजारों के प्रदर्शन के आधार पर नई पेशकशों की संख्या तय होगी। मॉर्निंगस्टार इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में 176 नई कोष पेशकशें आईं। इन एनएफओ के जरिये 1,07,896 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में कहीं ऊंचा आंकड़ा है। 2020-21 में 84 एनएफओ आए थे और इनके जरिये कुल 42,038 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।
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नयी दिल्ली. विमानन कंपनी विस्तार के मुख्य वाणिज्य अधिकारी (सीसीओ) दीपक राजावत ने कहा है कि 90 मिनट से अधिक उड़ान समय वाले विमानों में एयरलाइन यात्रियों को नार्केल बोरा मलाई करी जैसे विभिन्न क्षेत्रीय पकवान और ग्रिक सलाद जैसे स्वास्थ्यवर्धक भोजन परोसेगी। एयरलाइन मेन्यू में खानपान के स्वास्थ्यवर्धक विकल्प देने के प्रयास कर रही है जिनमें गैर-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, सुपर फूड और प्रोटीन-युक्त विभिन्न प्रकार के सलाद शामिल हैं। राजावत ने कहा, ‘‘ मेन्यू में यात्रियों की पसंदीदा खान-पान वस्तुओं के अलावा हम बीते दो से तीन महीने से उन्हें स्वास्थ्यवर्धक भोजन विकल्प भी दे रहे हैं।'' उन्होंने बताया कि इसके अलावा यात्रियों को विभिन्न प्रकार के फलों के ताजा रस भी उपलब्ध कराया जा रहा है। राजावत ने बताया कि विस्तार ने एक मई से क्षेत्रीय पकवान भी देने शुरू किए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अभी इनकी पेशकश बिजनेस श्रेणी में की जा रही है, उन उड़ानों में जिनकी यात्रा अवधि 90 मिनट या अधिक है।
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नयी दिल्ली।' देश के ज्यादातर हिस्सों में पड़ रही भीषण गर्मी के कारण ठंडक प्रदान करने वाले उत्पाद मसलन रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, कूलर और पंखों की मांग बढ़ गई है और इन गर्मियों में इनकी बिक्री दोगुना हो गई है।। टाटा समूह के उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की खुदरा विक्रेता क्रोमा की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। ‘अनबॉक्स्ड समर 2022' रिपोर्ट में बताया गया कि 2021 की तुलना में इस बार रेफ्रिजरेटर की बिक्री सौ प्रतिशत से अधिक बढ़ी है, वहीं एसी भी तीन गुना ज्यादा बिके हैं। कूलर की बिक्री 2.5 गुना अधिक रही और इनकी सर्वाधिक बिक्री पुणे में हुई। पंखों की बिक्री भी दोगुनी रही और हर पांच में से एक ग्राहक बेंगलुरु से था। रिपोर्ट में बताया गया कि मुंबई, ठाणे, पुणे और कोलकाता में बिकने वाले ज्यादातर एसी एक टन के थे, उत्तर और मध्य भारत में 1.5 टन के एसी ज्यादा खरीदे गए और इस क्षमता के एसी की संख्या कुल बिक्री में 60 फीसदी रही। हैदराबाद, दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु में बिके कुल एसी में सर्वाधिक संख्या बिजली की कम खपत करने वाले 5-स्टार एसी की थी, जबकि मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, चेन्नई, वडोदरा और इंदौर मे 50 फीसदी से अधिक खरीदारों ने 3-स्टार एसी खरीदे। पोर्टेबल एसी में से 50 फीसदी मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में खरीदे गए। वहीं 62 फीसदी हॉट ऐंड कोल्ड एसी दिल्ली-एनसीआर में इन गर्मियों में खरीदे गए। क्रोमा के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अविजीत मित्रा ने बताया, ‘‘उपभोक्ता आरामदायक और बिजली की कम खपत करने वाले उत्पाद ले रहे हैं। -
नयी दिल्ली। दिल्ली में ई-साइकिल खरीदने वालों को जल्द ही प्रोत्साहन राशि मिलेगी क्योंकि अरविंद केजरीवाल नीत सरकार आगामी सप्ताह में सब्सिडी भुगतान के लिए दिशा-निर्देश जारी कर सकती है। पिछले महीने दिल्ली सरकार ने राजधानी में बिकने वाली पहली 10,000 ई-साइकिल के लिए प्रत्येक को 5,500 रुपये की सब्सिडी देने की घोषणा की थी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘‘ई-साइकिल की खरीद पर सब्सिडी के भुगतान के लिए परिचालन दिशा-निर्देश आगामी सप्ताह में जारी किए जाएंगे। दिशा-निर्देशों में सब्सिडी योजना के तहत आने वाले ब्रांड और प्रोत्साहनों का लाभ उठाने के तौर तरीकों सहित अन्य विवरण होंगे।'' परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा था कि ई-साइकिल के पहले 1,000 खरीदारों को भी दिल्ली इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति के तहत 2,000 रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी। सरकार ने व्यावसायिक उपयोग के लिए कार्गो ई-साइकिल और ई-कार्ट के पहले 5,000 खरीदारों के लिए 15,000 रुपये की सब्सिडी को भी मंजूरी दी है। अधिकारियों ने कहा कि पहले ई-कार्ट के व्यक्तिगत खरीदारों को सब्सिडी दी जाती थी, लेकिन अब इन वाहनों को खरीदने वाली कंपनी या कॉरपोरेट घराने को भी 30,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद करने के लिए ई-साइकिल को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। आधार नंबर रखने वाले दिल्ली निवासियों को प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा। योजना की शर्तें पूरा करने वाली कंपनियों और मॉडल के बारे में परिचालन दिशा-निर्देश लोगों को अच्छी गुणवत्ता वाली ई-साइकिल के चुनाव में मदद करेंगे। इनकी कीमत लगभग 25,000 रुपये से 30,000 रुपये के बीच है। अधिकारियों ने कहा कि कार्गो ई-साइकिल की कीमत लगभग 40,000 रुपये से 45,000 रुपये है। उन्होंने कहा कि बाजार में 90,000 रुपये से लेकर लगभग तीन लाख रुपये तक के ई-कार्ट के विभिन्न मॉडल उपलब्ध हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के अलावा सरकार पूरे शहर में चार्जिंग के लिए आधारभूत ढांच स्थापित करने पर भी ध्यान दे रही है। -
नयी दिल्ली। उद्योग संगठन फिक्की ने सरकार से अनुरोध किया है कि घरेलू इस्पात उद्योग को अपने ऑर्डर पूरे करने के लिए तीन महीने की मोहलत दी जाए। इस्पात के कुछ उत्पादों पर निर्यात शुल्क लगाने के सरकार के कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए फिक्की की इस्पात समिति में सह-अध्यक्ष वी आर शर्मा ने कहा, ‘‘मेरा सुझाव है कि कम-से-कम तीन महीने का वक्त दिया जाना चाहिए ताकि जो ऑर्डर लिए जा चुके हैं उनकी आपूर्ति की जा सके।'' शर्मा जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड में प्रबंध निदेशक भी हैं। उन्होंने कहा कि करीब 20 लाख टन इस्पात के ऑर्डर लिए जा चुके हैं जिनके लिए ऋण अनुरोध या बिक्री अनुबंध किए जा चुके हैं। अब कर लगाने से इन ऑर्डर की मौजूदा दरों पर आपूर्ति प्रभावित होगी। सरकार ने शनिवार को कुछ कच्चे माल पर सीमा शुल्क समाप्त करने की भी घोषणा की जिसमें कोकिंग कोयला और फेरोनिकल शामिल हैं। इनका इस्तेमाल इस्पात उद्योग द्वारा किया जाता है। इस कदम से घरेलू इस्पात उद्योग के लिए लागत घटेगी और कीमतें नीचे आएंगी। इसके अलावा घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क 50 प्रतिशत बढ़ाया गया है। वहीं कुछ अन्य इस्पात के मध्यवर्ती सामान पर इसमें 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।


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