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नयी दिल्ली. एपीएसी सस्टेनेबिलिटी सीड फंड 2.0 के तहत अनुदान के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र में चार भारत-आधारित संगठनों को 14 अन्य प्राप्तकर्ताओं के बीच चुना गया है। इसे प्रौद्योगिकी दिग्गज की परोपकारी शाखा गूगल.ओआरजी से 50 लाख डॉलर के अनुदान से समर्थित किया गया है। एशियन वेंचर फिलैंथ्रोपी नेटवर्क (एवीपीएन) द्वारा प्रबंधित इस कोष का उद्देश्य महत्वपूर्ण पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रौद्योगिकी और एआई-संचालित समाधानों को बढ़ावा देना है। गूगल.ओआरजी ने एक बयान में कहा कि भारतीय प्राप्तकर्ताओं में आईएनआरईएम फाउंडेशन, सीईपीटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (सीआरडीएफ), इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंशियल मैनेजमेंट एंड रिसर्च (वेल लैब्स) और गुजरात महिला हाउसिंग सेवा ट्रस्ट (एमएचटी) शामिल हैं। आईएनआरईएम फाउंडेशन जल प्रदूषण डेटा तक सामुदायिक पहुंच के लिए एआई-सक्षम ओपन डिजिटल समाधान विकसित करेगा। सीआरडीएफ झीलों और उनके कार्बन सिंक फंक्शन की सुरक्षा के लिए मशीन लर्निंग और सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग करने की योजना बना रहा है। बयान में कहा गया है कि वेल लैब्स गांव-स्तर की जल सुरक्षा अंतर्दृष्टि के लिए उन्नत मॉडल विकसित करेगा, जबकि एमएचटी शहरी ताप द्वीपों की पहचान करने और समुदाय-केंद्रित समाधान सुझाने के लिए एआई-संचालित मॉडल बनाएगा।
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मुंबई। वैश्विक बाजारों में मजबूती के रुख और विदेशी कोषों की लिवाली के चलते शुक्रवार को प्रमुख शेयर सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी अपने नए सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गए। सूचकांक में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाली कंपनियों भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक और इन्फोसिस के शेयरों में खरीदारी से भी बाजार धारणा को बल मिला। लगातार 9वें कारोबारी सत्र में तेजी के साथ, 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 231.16 अंक या 0.28 प्रतिशत चढ़कर 82,365.77 अंक के सर्वकालिक उच्चस्तर पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में यह 502.42 अंक या 0.61 प्रतिशत उछलकर 82,637.03 अंक के नए रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया था। बीएसई पर कुल 2,228 शेयरों में तेजी आई, जबकि 1,701 में गिरावट आई और 116 शेयरों के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 83.95 अंक या 0.33 प्रतिशत बढ़कर 25,235.90 अंक के नये सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया। निफ्टी लगातार 12वें दिन तेजी के साथ बंद हुआ। दिन के कारोबार में यह 116.4 अंक या 0.46 प्रतिशत बढ़कर 25,268.35 अंक के नये उच्चस्तर पर पहुंचा था। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘वैश्विक बाजार सितंबर में ब्याज दरों में कटौती के अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आश्वसन से प्रभावित हैं। अमेरिकी और भारतीय बाजारों ने हाल के उच्चस्तर को फिर से हासिल कर लिया है।'' पूरे सप्ताह की बात करें तो बीएसई सेंसेक्स 1,279.56 अंक या 1.57 प्रतिशत चढ़ा है, जबकि निफ्टी 412.75 अंक या 1.66 प्रतिशत के लाभ में रहा है। सेंसेक्स पिछले नौ दिन की लगातार तेजी में 1,941.09 अंक या 2.41 प्रतिशत बढ़ा। निफ्टी 12 सत्रों की लगातार तेजी में 1,096.9 अंक या 4.54 प्रतिशत चढ़ा। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध के प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘‘निफ्टी शुक्रवार को लगातार 12वें सत्र में बढ़त के साथ बंद हुआ। सूचकांक की 1996 में पेशकश के बाद से यह लगातार तेजी का सबसे लंबा दौर है।'' सेंसेक्स की 30 कंपनियों में बजाज फाइनेंस, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एनटीपीसी, पावर ग्रिड, बजाज फिनसर्व, भारती एयरटेल और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में उल्लेखनीय बढ़त हुई। दूसरी ओर टाटा मोटर्स, एचडीएफसी बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टेक महिंद्रा और आईटीसी के शेयरों में गिरावट आई। व्यापक बाजारों में बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 0.75 प्रतिशत और मिडकैप 0.53 प्रतिशत चढ़ा।
क्षेत्रवार बात करें तो सभी सूचकांक बढ़त के साथ बंद हुए। रियल्टी में 1.88 प्रतिशत, स्वास्थ्य देखभाल में 1.41 प्रतिशत, उपयोगिता में 0.77 प्रतिशत, जिंस में 0.70 प्रतिशत, प्रौद्योगिकी में 0.63 प्रतिशत और सेवाओं में 0.61 प्रतिशत का उछाल आया। एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग बढ़त के साथ बंद हुए। यूरोपीय बाजार सकारात्मक क्षेत्र में कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजार बृहस्पतिवार को मिले-जुले रुख के साथ बंद हुए थे। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को 3,259.56 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.08 प्रतिशत बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। -
नयी दिल्ली। अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (एपीएसईजेड) लिमिटेड ने एस्ट्रो ऑफशोर में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी 18.5 करोड़ डॉलर में खरीदने के लिए समझौता किया है। एपीएसईजेड ने शुक्रवार को कहा कि यह सौदा पूर्ण रूप से नकद में है।
कंपनी ने कहा कि एस्ट्रो के मौजूदा प्रवर्तकों के पास शेष 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी।
कंपनी ने कहा, “एपीएसईजेड ने एस्ट्रो में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए 18.5 करोड़ डॉलर के पूर्ण नकद सौदे में एक पक्का समझौता किया है।” बयान के अनुसार, साल 2009 में गठित एस्ट्रो पश्चिम एशिया, भारत, सुदूर पूर्व एशिया और अफ्रीका की एक अग्रणी वैश्विक ओएसवी परिचालक है। कंपनी ने कहा कि एस्ट्रो के पास 26 ऑफशोर सपोर्ट वेसल्स (ओएसवी) का बेड़ा है। 30 अप्रैल, 2024 को समाप्त वर्ष के दौरान एस्ट्रो का राजस्व 9.5 करोड़ डॉलर और कर-पूर्व आय (एबिटा) 4.1 करोड़ डॉलर रही थी। -
5जी, 6जी प्रौद्योगिकी के लिए 350 पेटेंट आवेदन: अंबानी
नयी दिल्ली| रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने गुरुवार को कहा कि भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार है और जियो अपने 49 करोड़ ग्राहकों के साथ वैश्विक मोबाइल इंटरनेट कंपनी बन गई है। रिलायंस जियो के ग्राहक औसतन प्रति माह 30 जीबी से अधिक डेटा (इंटरनेट) का उपयोग कर रहे हैं।उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज लि. (आरआईएल) की 47वीं वार्षिक आम बैठक में कहा कि भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा डेटा बाजार है, जिसमें जियो ने वैश्विक ट्रैफिक में लगभग आठ प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली है और प्रमुख वैश्विक कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। अंबानी ने कहा, “जियो के कारण भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा डेटा बाजार बन गया है। आज, जियो वैश्विक मोबाइल ट्रैफिक का लगभग आठ प्रतिशत वहन करता है, जो विकसित बाजारों सहित प्रमुख वैश्विक कंपनियों से भी आगे है।” उन्होंने कहा कि जियो के ग्राहक औसतन हर महीने 30 जीबी से ज्यादा डेटा इस्तेमाल कर रहे हैं।अंबानी ने कहा, “जियो की शुरुआत को सिर्फ आठ साल हुए हैं और आठ साल में जियो दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल डेटा कंपनी बन गई है।” उन्होंने कहा, “डिजिटल होम सर्विस के मामले में भी जियो दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। जियो तीन करोड़ से अधिक घरों में डिजिटल सेवा देती है। जियो एयरफाइबर का लक्ष्य हर 30 दिनों में 10 लाख घरों को जोड़ कर रिकॉर्ड 10 करोड़ घरों तक पहुंचना है।” अंबानी ने कहा कि जियो ने 5जी और 6जी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 350 पेटेंट आवेदन किए हैं।मुकेश अंबानी ने 2जी ग्राहकों को 4जी में लाने की योजना पेश करते हुए कहा, “जैसे-जैसे 5जी फोन किफायती होते जाएंगे, जियो के नेटवर्क पर 5जी अपनाने की गति बढ़ेगी, जिससे डेटा खपत में और वृद्धि होगी। जैसे-जैसे अधिक उपयोगकर्ता 5जी नेटवर्क की ओर बढ़ेंगे, हमारे 4जी नेटवर्क की क्षमता बढ़ती जाएगी। इससे जियो भारत में 20 करोड़ से अधिक 2जी उपयोगकर्ताओं को अपने 4जी परिवार में शामिल करने की स्थिति में होगा।” -
नयी दिल्ली. सरकार जल्द ही 14 से 18 साल की लड़कियों को गैर-पारंपरिक नौकरियों के लिए प्रशिक्षित करने की एक योजना शुरू करेगी, जिसका मकसद श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव अनिल मलिक ने कहा कि योजना को शुरुआती चरण में 27 जिलों में अगले दो से तीन सप्ताह में शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह योजना शुरुआती चरण में 27 जिलों में पेश की जा रही है और अंततः इसे देशभर के 218 जिलों में विस्तारित किया जाएगा।'' गैर-पारंपरिक पेशे को आमतौर पर एक निश्चित भूमिका के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें पुरुष या महिला की भागीदारी 25 प्रतिशत से कम होती है। ‘किशोरियों व महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए विशेष परियोजना की शुरूआत' के तहत 14 से 18 वर्ष की लड़कियों को उनकी शिक्षा जारी रखने के दौरान उनके स्कूलों तथा घरों के नजदीक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। सचिव ने बताया कि योजना शुरुआती स्तर पर दो से तीन सप्ताह में शुरू की जाएगी, जिसके तहत डिजिटल कौशल, डिजिटल मार्केटिंग और व्यक्तित्व अभिविन्यास के साथ-साथ गैर-पारंपरिक नौकरियों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से अंततः श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
मलिक ने कहा, ‘‘ हमने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत वर्तमान में देशभर के 27 जिलों तथा बाद में 218 जिलों की 14-18 वर्ष आयु वर्ग की किशोरियों को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के प्रशिक्षण साझेदारों, जन शिक्षण संस्थानों तथा सरकारी संस्थानों के जरिये गैर-परंपरागत भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।'' दोनों मंत्रालयों के अधिकारियों को इस योजना के संबंध में जागरूक करने के लिए आयोजित कार्यशाला से इतर पत्रकारों के साथ बातचीत में उन्होंने यह बात कही। सचिव ने कहा कि इस कार्यक्रम से अंततः श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि इसे ‘‘ सरकार के उच्चतम स्तर पर बहुत जल्द'' शुरू किया जाएगा।
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नयी दिल्ली. चल्ला श्रीनिवासुलु शेट्टी ने बुधवार को सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन का पदभार संभाल लिया। एसबीआई ने शेयर बाजारों को यह जानकारी दी। वह दिनेश खारा का स्थान लिया। खारा मंगलवार को कारोबारी समय समाप्त होने पर बैंक की सेवाओं से सेवानिवृत्त हो गए। शेट्टी इससे पहले एसबीआई के वरिष्ठतम प्रबंध निदेशक थे।
परंपरा के अनुसार, चेयरमैन की नियुक्ति एसबीआई के मौजूदा प्रबंध निदेशकों में से की जाती है। आमतौर पर सबसे वरिष्ठ प्रबंध निदेशक ही बैंक का चेयरमैन बनता है। शेट्टी ने भारत सरकार द्वारा गठित विभिन्न कार्य बल/समितियों का भी नेतृत्व किया है। वह बैंक के खुदरा और डिजिटल बैंकिंग खंड की देखरेख भी कर चुके हैं। कृषि विज्ञान में स्नातक और भारतीय बैंकर्स संस्थान के प्रमाणित एसोसिएट, शेट्टी ने 1988 में एसबीआई में प्रोबेशनरी ऑफिसर (पीओ) के रूप में अपना करियर शुरू किया था। -
नयी दिल्ली. पेटीएम ब्रांड का स्वामित्व रखने वाली वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी वन97 कम्युनिकेशन को पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज लिमिटेड (पीपीएसएल) में ‘डाउनस्ट्रीम' निवेश के लिए सरकार की मंजूरी मिल गई है। कंपनी ने बुधवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि वह भुगतान एग्रीगेटर (पीए) लाइसेंस के लिए नए सिरे से आवेदन करेगी। पेटीएम ने कहा, “पीपीएसएल को भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले वित्तीय सेवा विभाग से 27 अगस्त, 2024 के एक पत्र के माध्यम से मूल कंपनी से निवेश के लिए मंजूरी मिल गई है। इसके साथ पीपीएसएल भुगतान एग्रीगेटर लाइसेंस के लिए फिर से आवेदन करेगी। इस बीच, पीपीएसएल मौजूदा भागीदारों को ऑनलाइन भुगतान एग्रीगेटर सेवाएं प्रदान करना जारी रखेगी।” भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नवंबर, 2022 में पेटीएम के भुगतान एग्रीगेटर लाइसेंस परमिट आवेदन को खारिज कर दिया था और कंपनी को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मानदंडों के तहत प्रेस नोट-3 अनुपालन के साथ फिर से आवेदन करने का निर्देश दिया था। प्रेस नोट-3 के अनुसार, सरकार ने भारत के साथ स्थलीय सीमा साझा करने वाले देशों से निवेश के लिए अपनी पूर्व स्वीकृति अनिवार्य कर दी थी। आवेदन खारिज होने के समय, चीन का अलीबाबा समूह कंपनी में सबसे बड़ा शेयरधारक था।
आरबीआई के भुगतान एग्रीगेटर दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि एक एकल इकाई भुगतान एग्रीगेटर सेवाओं के साथ-साथ ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस प्रदान करना जारी नहीं रख सकती है और ऐसी भुगतान एग्रीगेटर सेवाओं को ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस कारोबार से अलग किया जाना चाहिए। -
नयी दिल्ली। दिग्गज सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सलिल पारेख ने कहा है कि भारत में उनकी कंपनी के लिए 'बहुत बड़ा अवसर' है क्योंकि इस देश की 'शानदार' आर्थिक प्रगति ने इसे बाकी दुनिया से अलग मुकाम दिया है।
इन्फोसिस ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अपने भारतीय कारोबार में 'मजबूत वृद्धि' दर्ज की है। पारेख ने कहा, भारत एक बहुत बड़ा अवसर है... भारतीय परिवेश में विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए हम जो वृद्धि देख रहे हैं, वह बहुत बड़ी है। हम यह सुनिश्चित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं कि हम निजी क्षेत्र की कंपनियों और सरकारी एजेंसियों के साथ जुड़ें, जहां हम सरकार के दृष्टिकोण का समर्थन कर सकते हैं। इसलिए, हम डिजिटल इंडिया के लिए कुछ आधारशिलाएं बनाने में मदद कर रहे हैं।" उन्होंने कि कंपनी सरकारी परियोजनाओं के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा, "आयकर प्रणाली (आयकर विभाग के लिए कर दाखिल करने वाला पोर्टल) पर हमने जो कुछ काम किया है, उसे बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
इन्फोसिस का पहली तिमाही में एकीकृत शुद्ध लाभ सात प्रतिशत की वृद्धि के साथ 6,368 करोड़ रुपये हो गया। एक साल पहले की समान अवधि में कंपनी ने 5,945 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था। पारेख ने कहा कि भारत की आर्थिक सफलता शानदार है जो दुनिया के किसी भी अन्य हिस्से में चल रही सफलता से बहुत अलग है। पारेख ने कहा, "अर्थव्यवस्था के संदर्भ में, हमने मुद्रास्फीति को बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित किया है। इसलिए सरकार ने अर्थव्यवस्था को अच्छी तरह से विकसित करने के लिए बहुत मजबूत दृष्टिकोण अपनाया है। -
नयी दिल्ली। अप्रैल-जून तिमाही में देश के आठ प्रमुख शहरों में औसत आवास कीमतों में सालाना आधार पर 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस दौरान दिल्ली-एनसीआर में घरों के दाम सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत बढ़े हैं। रियल्टी कंपनियों के निकाय क्रेडाई, संपत्ति सलाहकार कोलियर्स और डेटा विश्लेषण कंपनी लियासेस फोरास ने घरों की कीमतों की निगरानी करने वाली दूसरी तिमाही की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
वार्षिक आधार पर, जून तिमाही के अंत में आठ प्रमुख शहरों में औसत आवास कीमतों में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दिलचस्प बात यह है कि समीक्षाधीन आठ में से सात शहरों में वार्षिक मूल्यवृद्धि देखी गई, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में साल दर साल सबसे अधिक 30 प्रतिशत की कीमत वृद्धि हुई।
क्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा, पिछली कुछ तिमाहियों में रियल एस्टेट क्षेत्र में तेजी देखी गई है, जिसकी पुष्टि शीर्ष आठ शहरों में लेनदेन की मात्रा के साथ-साथ आवास के प्रति प्रचलित सकारात्मक भावनाओं से होती है। आवास कीमतों पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा है - यह न केवल अंतर्निहित मांग को दर्शाता है, बल्कि एक पसंदीदा परिसंपत्ति वर्ग के रूप में रियल एस्टेट की ओर निश्चित बदलाव को भी दर्शाता है।'' आंकड़ों के अनुसार, अहमदाबाद में आवास कीमतें अप्रैल-जून, 2024 में 13 प्रतिशत बढ़कर 7,335 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं, जो एक साल पहले की समान अवधि में 6,507 रुपये प्रति वर्ग फुट थीं। बेंगलुरू में यह 8,688 रुपये प्रति वर्ग फुट से 28 प्रतिशत बढ़कर 11,161 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई। चेन्नई में कीमतें 7,690 रुपये प्रति वर्ग फुट पर स्थिर रहीं। दिल्ली-एनसीआर में कीमतों में अधिकतम 30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। यह 8,652 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 11,279 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई। हैदराबाद में आवास कीमतें 10,530 रुपये प्रति वर्ग फुट से सात प्रतिशत बढ़कर 11,290 रुपये प्रति वर्ग फुट पर पहुंच गई। कोलकाता में दरें 7,315 रुपये से छह प्रतिशत बढ़कर 7,745 रुपये प्रति वर्ग फुट पर पहुंच गईं।
मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में आवास कीमतें 19,111 रुपये प्रति वर्ग फुट से छह प्रतिशत बढ़कर 20,275 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं। पुणे में, आवासीय संपत्तियों की कीमतें अप्रैल-जून, 2024 में 13 प्रतिशत बढ़ीं। यह 9,656 रुपये प्रति वर्ग फुट रहीं। एक साल पहले समान अवधि में यह आंकड़ा 8,540 रुपये प्रति वर्ग फुट था। लियासेस फोरास के प्रबंध निदेशक पंकज कपूर ने कहा, ‘‘कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद भारत के शहरों में बिक्री में वृद्धि जारी है।
कोलियर्स इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बादल याग्निक ने कहा, ‘‘पिछली कुछ तिमाहियों में घरों की मांग लगातार अच्छी बनी हुई है। साथ ही, स्थिर ब्याज दर और हाल ही में सकारात्मक बजटीय घोषणाओं ने देश के आवास बाजार को मजबूती दी है।'' उन्हें यह पूरा साल आवास बाजार के लिए अच्छा रहने की उम्मीद है। - नयी दिल्ली। सीके बिड़ला समूह की इकाई बिड़ला एचआईएल पाइप्स ने पाइप और फिटिंग्स खंड में एक नया रिसाव-रोधी उत्पाद पेश किया है। बिड़ला एचआईएल पाइप्स ने यह मूल्य अस्थिरता से निपटने और पोर्टफोलियो को प्रीमियम बनाने के लिए अधिक मूल्यवर्धित उत्पाद लाने की अपनी रणनीति के तहत किया है। घरेलू और निर्माण सामग्री समाधान उपलब्ध कराने वाली कंपनी बिड़ला एचआईएल पाइप्स ने एक बयान में कहा कि कंपनी अधिक मूल्यवर्धित उत्पाद पेश कर रही है, जिससे उसे अप्रैल-जून तिमाही में देखी गई मूल्य अस्थिरता से निपटने में मदद मिलेगी। कंपनी ने कहा कि उसने ट्रूफिट रिसाव-रोधी (लीक-प्रूफ) तकनीक पेश की है, जो बार-बार मरम्मत और रखरखाव की आवश्यकता को काफी कम कर देगी। एचआईएल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपाल अधिकारी (सीईओ) अक्षत सेठ ने कहा, "एचआईएल में हमारा नवाचार एजेंडा रोजमर्रा की उपभोक्ता जरूरतों के लिए समाधान बनाने पर केंद्रित है"। उन्होंने कहा कि नए उत्पादों और मूल्यवर्धित उत्पाद लाने से पोर्टफोलियो को प्रीमियम बनाने और मूल्य अस्थिरता से लड़ने में मदद मिलेगी।
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नयी दिल्ली. भारतीय दूरसंचार कंपनियां अगले तीन वर्षों में सभी 6जी पेटेंट में 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल करने और वैश्विक मानकों में छठे हिस्से का योगदान करने का लक्ष्य बना रही है। एक आधिकारिक बयान में शनिवार को यह जानकारी दी गई। दूरसंचार उद्योग की कंपनियों ने अनुसंधान को भारत की जरूरतों के अनुरूप बनाने और एक जीवंत 'मानक समुदाय' स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव शुक्रवार को केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अध्यक्षता में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) पर हितधारक सलाहकार समिति (एसएसी) की दूसरी बैठक के दौरान सामने आया। बयान में कहा गया कि उद्योग के प्रमुख लोगों ने अनुसंधान को व्यवस्थित रूप से भारत की जरूरतों के अनुरूप बनाने और एक जीवंत मानक समुदाय स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। बैठक में अंतरराष्ट्रीय मानकों और बौद्धिक संपदा तथा मानक आवश्यक पेटेंट (एसईपी) में भारत की हिस्सेदारी, दूरसंचार में संपर्क अंतराल और दूरसंचार सेवाओं की गुणवत्ता पर विचार-विमर्श किया गया। बयान में कहा गया कि भारत ने पहले ही भारत 6जी विजन और भारत 6जी अलायंस, पेटेंट और आईपीआर समर्थन ढांचे, टेस्टबेड की कमीशनिंग जैसी कई पहल की हैं और देश सभी 6जी पेटेंट का 10 प्रतिशत और वैश्विक मानकों में छठा योगदान करने की आकांक्षा रख सकता है। एसएसी ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तीन साल का मसौदा प्रस्तावित किया है।
बैठक में रिलायंस जियो के प्रबंध निदेशक पंकज पवार, वोडाफोन आइडिया के सीईओ अक्षय मूंदड़ा, बीएसएनएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक रॉबर्ट जे रवि, तेजस नेटवर्क के निदेशक मंडल के चेयरमैन एन जी सुब्रमण्यम और उद्योग निकाय सीओएआई के महानिदेशक एस पी कोचर शामिल हुए। -
उदयपुर। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि इसलिए केंद्र सरकार के बजट में इसे विशेष प्राथमिकता दी गई है।' सीतारमण ने उदयपुर के सुखेर औद्योगिक क्षेत्र के मार्बल एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। एक आधिकारिक बयान के अनुसार वित्त मंत्री ने कहा,'' एमएसएमई का भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में इनकी अहम भूमिका होगी, ऐसा हमारी सरकार का मानना है।'' उन्होंने कहा,'' इसी कारण इस बजट में एमएसएमई पर विशेष ध्यान दिया गया है।''
सीतारमण ने बताया कि देशभर में एमएसएमई क्लस्टरों के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं, जिसकी शुरुआत उदयपुर में मार्बल क्लस्टर से हुई। उन्होंने कहा कि मेवाड़ क्षेत्र के एमएसएमई उद्योग की जरूरतों को समझने के लिए हितधारकों से चर्चा करना जरूरी है। वित्त मंत्री ने कहा कि सिडबी अब सूक्ष्म उद्योगों को सीधे ऋण उपलब्ध करा रहा है, जो बड़ी राहत की बात है। इससे सूक्ष्म उद्योगों को आसानी से सुविधाजनक ऋण उपलब्ध हो सकेगा। इस अवसर पर केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि सूक्ष्म एवं लघु उद्योग देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जिसका देश की अर्थव्यवस्था में 30 प्रतिशत योगदान है और जो 20 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। मांझी ने कहा कि सूक्ष्म उद्योगों पर विशेष ध्यान देकर ही भारत को विकसित देशों की श्रेणी में लाया जा सकता है। कार्यक्रम के दौरान उदयपुर जिले में मार्बल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सिडबी और उदयपुर मार्बल एसोसिएशन के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
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नयी दिल्ली. अनियमित मानसून के बावजूद भारत की आर्थिक गति बरकरार है और आर्थिक समीक्षा में 6.5 से 7.0 प्रतिशत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर का अनुमान सही जान पड़ता है। वित्त मंत्रालय की बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई। जुलाई की मासिक आर्थिक समीक्षा के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार महीनों में अपनी गति बनाए रखी है। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया, चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार (अप्रैल-जुलाई) महीनों में वस्तु एवं सेवा कर संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह कर आधार के विस्तार तथा आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के दम पर मुमकिन हुआ। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के क्रय प्रबंधकों के सूचकांक के मजबूत प्रदर्शन से भी घरेलू गतिविधियों में मजबूती का पता चलता है। विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि का कारण मांग का बढ़ना, नए निर्यात ऑर्डर में तेजी तथा उत्पादन कीमतों का बढ़ना है।'' राजकोषीय मोर्चे पर इसमें कहा गया कि बजट वित्त वर्ष 2024-25 ने राजकोषीय मजबूती का मार्ग प्रशस्त किया है। मजबूत राजस्व संग्रह, राजस्व व्यय में अनुशासन तथा मजबूत आर्थिक प्रदर्शन के समर्थन से राजकोषीय घाटे में कमी आने का अनुमान है। साथ ही, इसमें कहा गया कि पूंजीगत व्यय को उच्च स्तर पर बनाए रखा गया है, जिससे नए निजी निवेश चक्र को समर्थन मिल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया, खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई 2024 में घटकर 3.5 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर 2019 के बाद सबसे कम है। यह खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी का नतीजा है। दक्षिण-पश्चिम मानसून में स्थिर प्रगति ने खरीफ की बुवाई का समर्थन किया है। इसमें कहा गया है कि जलाशयों में जल स्तर का फिर से बढ़ना मौजूदा खरीफ तथा आगामी रबी फसल के उत्पादन के लिए अच्छा संकेत है। इससे आने वाले महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘कुल मिलाकर भारत की आर्थिक गति बरकरार है। कुछ हद तक अनियमित मानसून के बावजूद जलाशयों में जलस्तर की भरपाई हो गई है। क्रय प्रबंधकों के सूचकांक के अनुसार विनिर्माण और सेवा क्षेत्र बढ़ रहा है।'' इसमें कहा गया कि कर संग्रह, खासकर अप्रत्यक्ष कर (जो लेन-देन को दर्शाते हैं) अच्छी तरह बढ़ रहे हैं, तथा बैंक ऋण भी बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ मुद्रास्फीति कम हो रही है और वस्तुओं तथा सेवाओं दोनों का निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर रहा है। शेयर बाजार अपने स्तर पर बने हुए हैं। सकल प्रवाह बढ़ने के कारण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ रहा है।'' इसमें कहा गया, फिलहाल 2023-24 की आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 6.5-7.0 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान उचित जान पड़ता है।
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नयी दिल्ली. लग्जरी कार बनाने वाली जर्मनी की कंपनी ऑडी ने बृहस्पतिवार को अपने प्रमुख मॉडल क्यू8 का नया संस्करण पेश किया। इस कार की शुरूआती कीमत कीमत 1.17 करोड़ रुपये (एक्स-शोरूम) है। ऑडी इंडिया के प्रमुख बलबीर सिंह ढिल्लन ने कहा, “नई ऑडी क्यू8 हमारी क्यू शृंखला में सबसे ऊपर है। यह गाड़ी न केवल भारतीय बाजार के प्रति हमारे समर्पण को मजबूत करती है, बल्कि लग्जरी कार प्रेमियों और हमारे ग्राहकों की अपेक्षाओं से लगातार आगे जाने के हमारे वादे को भी मजबूत करता है।” इसके अलावा, ऑडी इंडिया ने 15 साल में भारत में एक लाख गाड़ियां बेचने का महत्वपूर्ण आंकड़ा हासिल करने की भी घोषणा की। ढिल्लन ने कहा, “भारत में 1,00,000 ऑडी कार की बिक्री की महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करना हमारे ग्राहकों द्वारा ऑडी ब्रांड पर जताए गए भरोसे का प्रमाण है...।'' ऑडी समूह प्रीमियम और लग्जरी खंड में ऑटोमोबाइल और मोटरसाइकिल के सबसे सफल विनिर्माताओं में से एक है। इसके ब्रांड ऑडी, बेंटले, लैम्बोर्गिनी और डुकाटी को 12 देशों में 21 जगहों पर बनाया जाता है। ऑडी और उसके साझीदार दुनिया भर के 100 से ज्यीदा बाजारों में मौजूद हैं।
- नयी दिल्ली। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने रिलायंस समूह की मीडिया इकाई वायकॉम18 और स्टार इंडिया के विलय संबंधी 8.5 अरब डॉलर के प्रस्तावित सौदे को लेकर प्रतिस्पर्धा-रोधी आशंकाएं जताते हुए संबंधित पक्षों से विस्तृत जवाब मांगे हैं। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि यदि निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने वाला सीसीआई इस सौदे को लेकर संबंधित पक्षों के जवाबों से संतुष्ट नहीं होता है तो वह सौदे की सार्वजनिक जांच का कदम उठा सकता है। इस साल मई में दोनों कंपनियों ने विलय सौदे को मंजूरी के लिए प्रतिस्पर्धा आयोग के पास भेजा था। नियामक ने इस पर संबंधित पक्षों से विभिन्न स्पष्टीकरण और अतिरिक्त जानकारियां मांगी थीं। सूत्रों ने कहा कि संबंधित पक्षों को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा गया है कि सौदे की विस्तृत जांच क्यों नहीं की जानी चाहिए क्योंकि क्रिकेट प्रसारण अधिकारों सहित कुछ व्यावसायिक क्षेत्रों के संबंध में प्रतिस्पर्धा-रोधी चिंताएं हैं। इस संबंध में टिप्पणी के लिए प्रतिस्पर्धा आयोग और डिज्नी-स्टार को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला है। वायकॉम18 का स्वामित्व रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास है जबकि स्टार इंडिया का नियंत्रण अमेरिकी कंपनी वॉल्ट डिज्नी के पास है। इस साल फरवरी में दोनों कंपनियों ने कई अरब डॉलर के इस विलय सौदे की घोषणा की थी।सौदा अमल में आने पर बनने वाली नई इकाई भारतीय मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी होगी। उसके पास कई भाषाओं में प्रसारित होने वाले 100 से अधिक चैनल, दो प्रमुख ओटीटी मंच और देशभर में 75 करोड़ का दर्शक आधार होगा। प्रतिस्पर्धा कानून के तहत यदि प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रावधानों की प्रथम दृष्टया चिंताएं हैं तो आयोग उस सौदे को व्यापक सार्वजनिक जांच के लिए भेज सकता है। ऐसा होने पर संबंधित पक्षों को व्यापक परामर्श के लिए अपने प्रस्तावित लेनदेन के बारे में ब्योरा सार्वजनिक करना होगा। नियामक के पास प्रतिस्पर्धा-रोधी मुद्दों के समाधान के लिए कंपनियों को अपनी कुछ संपत्तियां बेचने का निर्देश देने का भी अधिकार है। हालांकि, प्रतिस्पर्धा आयोग का प्रस्तावित सौदे की सार्वजनिक जांच की दिशा में कदम बढ़ाना दुर्लभ है क्योंकि आमतौर पर संबंधित कंपनियां संबंधित आशंकाएं दूर करने के लिए नियामक के सामने योजनाएं पेश करती हैं। मई में सौदे की मंजूरी मांगने के लिए सीसीआई को सौंपे गए नोटिस के मुताबिक, प्रस्तावित लेनदेन का उद्देश्य रिलायंस समूह के हिस्से वायकॉम 18 और वॉल्ट डिज्नी कंपनी (टीडब्ल्यूडीसी) के पूर्ण-स्वामित्व वाली स्टार इंडिया (एसआईपीएल) के मनोरंजन व्यवसायों (कुछ अन्य चिह्नित कारोबारों समेत) को मिलाना है। उस नोटिस में कहा गया था, ‘‘लेनदेन के बाद एसआईपीएल एक संयुक्त उद्यम बन जाएगी, जिसका स्वामित्व संयुक्त रूप से रिलायंस इंडस्ट्रीज, वायकॉम18 और मौजूदा टीडब्ल्यूडीसी अनुषंगियों के पास होगा।'' नोटिस में दावा किया गया था कि प्रस्तावित सौदे से भारत में प्रतिस्पर्धा पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। स्टार इंडिया टीवी प्रसारण, फिल्मों और एक ओटीटी मंच का संचालन करती है। वहीं वायकॉम18 टेलीविजन चैनलों के प्रसारण, ओटीटी मंच के संचालन के अलावा फिल्म निर्माण एवं वितरण के कारोबार से भी जुड़ी है।
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नई दिल्ली। बैंकों की जमा वृद्धि सुस्त है और कम लागत वाली जमा की हिस्सेदारी घटने के साथ ही ऋण आवंटन भी पिछड़ रहा है। ऐसे में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) ने वित्त मंत्रालय से सरकारी नकदी शेष को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास जमा कराने के बजाय बैंकों के पास रखने का आग्रह किया है जिससे उन्हें चालू और बचत खाता जमा (कासा) का हिस्सा बढ़ाने में मदद मिलेगी।
वर्ष 2021 में सरकार ने केंद्र प्रयोजित योजनाओं के अंतर्गत धन के प्रवाह के लिए संशोधित फ्रेमवर्क (एसएनए-स्पर्श प्लेटफॉर्म) लागू किया था। इसका उद्देश्य राज्यों को जारी किए गए पैसों की उपलब्धता और उपयोगिता की बेहतर निगरानी करना था। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद सरकार अपनी नकद शेष बैंकों के बजाय भारतीय रिजर्व बैंक के पास जमा कराने लगी थी।बैंकरों के अनुसार इससे बैंकों में नकदी का प्रवाह घट गया और परिचालन दक्षता भी प्रभावित हुई है। इसके साथ ही उनकी जमा लागत भी बढ़ गई और शुद्ध ब्याज मार्जिन पर भी असर पड़ा है। बैंकरों ने इस मुद्दे पर सरकार के समक्ष विस्तृत प्रस्तुति दी है और उनके प्रस्ताव पर विचार करने का अनुरोध किया है।बैक इस तरह के पैसों को ब्याज वाले बचत खाते में रख रहे थे जबकि आरबीआई नकद शेष पर किसी तरह के ब्याज का भुगतान नहीं करता है। इससे सरकार की आय को भी नुकसान हो रहा है। इस हफ्ते वित्त मंत्री के साथ हुई बैठक में बैंकरों ने सरकार की नकद शेष को संबंधित बैंकों में रखने का प्रस्ताव दिया था जिससे उन्हें मौजूदा तरलता की कमी से निपटने में मदद मिलेगी।ताजा आंकड़ों के अनुसार 9 अगस्त को सरकार का नकद शेष 2.1 लाख करोड़ रुपये था, जो आम चुनाव के बाद सरकारी खर्च में तेजी आने से कम हो गया। बैंकों ने तर्क दिया है कि संशोधित फ्रेमवर्क से केंद्रीय बैंक के तरलता प्रबंधन पर भी असर पड़ता है क्योंकि यह प्रणालीगत तरलता को प्रभावित करता है।पिछले एक साल में ज्यादातर बैंकों की कुल जमा में कम लागत वाली जमा (चालू और बचत खाता जमा) की हिस्सेदारी में गिरावट आई है। उदाहरण के लिए चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के अंत में भारतीय स्टेट बैंक का कासा अनुपात घटकर 40.7 फीसदी रह गया जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 42.88 फीसदी था।आरबीआई के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार बैंकों की ऋण वृद्धि 13.7 फीसदी बढ़ी है जबकि जमा वृद्धि 10.6 फीसदी रही। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, दोनों ने बैंकों को ऋण वृद्धि के लिए संसाधन जुटाने के लिए जमा बढ़ाने के लिए कहा है।इस हफ्ते सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक के दौरान वित्त मंत्री ने भी बैंकों को विशेष अभियान चलाकर जमा जुटाने के ठोस प्रयास करने के लिए कहा था।इस बीच आरबीआई ने बैंकों को कम अवधि वाली कॉर्पोरेट जमा पर ज्यादा निर्भर रहने की प्रवृत्ति पर आगाह किया है क्योंकि इससे संरचनात्मक तरलता की समस्या हो सकती है। ज्यादातर बैंकों ने हाल के समय में अपनी जमा दरें बढ़ाई हैं और जमाकर्ताओं को ऊंची दरों के लिए नई योजनाएं शुरू की हैं। कोष की लागत बढ़ने से आने वाली तिमाहियों में बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन पर असर पड़ सकता है। -
नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बढ़ती मांग और उपयोग से भारत की डेटा सेंटर क्षमता अगले चार सालों में 500 मेगावाट तक बढ़ने की संभावना है। यह जानकारी इन्वेस्टमेंट बैंक अवेंडस कैपिटल की रिपोर्ट “पावरिंग डिजिटल इंडिया वॉल्यूम II” में दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में 540 मेगावाट से 2023 में 1,011 मेगावाट तक की वृद्धि के साथ, भारत का डेटा सेंटर बाजार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाले बाजारों में से एक बन गया है। अगले तीन सालों में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 26 प्रतिशत की कंपाउंड वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) पर होने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में निवेशकों का काफी ध्यान आकर्षित हो रहा है, जिनमें ग्रोथ-स्टेज प्राइवेट इक्विटी फर्म्स, लंबी अवधि के पेंशन फंड्स, और सॉवरेन वेल्थ फंड शामिल हैं।डेटा सेंटर बाजार में निवेश का बढ़ता आकर्षणअवेंडस कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर और इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं रियल एसेट्स इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के हेड, प्रतीक झावर ने कहा, “हम मानते हैं कि भारत का डेटा सेंटर बाजार रियल एस्टेट और एआई में नए निवेश के लिए रास्ता खोलेगा। इससे सभी निवेशकों को बड़ा फायदा होगा। डेवलपर्स एक निर्माण और बिक्री मॉडल के साथ 25 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न कमा सकते हैं, जो इस क्षेत्र की अन्य रियल एसेट्स की तुलना में बेहतर रिटर्न दिखाता है।”रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि AI वर्कलोड्स में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो पारंपरिक क्लाउड कंप्यूटिंग से आगे निकल जाएगी। इसके चलते डेटा सेंटर्स की मांग में भी तेज वृद्धि की संभावना है। वैश्विक रुझानों से हटकर, भारत में हाइपरस्केलर्स अपने विशेष स्पेसिफिकेशन्स के अनुसार डेटा सेंटर्स बनाने और खुद रखने का विकल्प चुन रहे हैं। इस कदम को भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाओं और डेटा संप्रभुता के लिए नियामक दिशा-निर्देशों का समर्थन मिल रहा है।अवेंडस कैपिटल के अनुसार, इस समय भारत की लगभग 94 प्रतिशत डेटा सेंटर क्षमता देश के सात प्रमुख शहरों में है। आने वाले पांच वर्षों में, कुल नई क्षमता का लगभग 40 प्रतिशत मुंबई में जोड़ा जा सकता है। चेन्नई में 25 प्रतिशत और दिल्ली में 15 प्रतिशत नई क्षमता जुड़ने की उम्मीद है। इसके अलावा, टियर II और III शहरों में बढ़ते डेटा उपयोग और उपभोग के कारण छोटे डेटा सेंटर्स (एज डीसी) की मांग में भी काफी बढ़ोतरी हो सकती है।जो डेवलपर्स डेटा सेंटर्स का बड़ा नेटवर्क बना रहे हैं, उन्हें काफी फायदा होने की उम्मीद है। इस मांग को पूरा करने के लिए तैयार किए गए (प्रीफैब्रिकेटेड) डेटा सेंटर्स एक तेज और असरदार समाधान के रूप में उभर रहे हैं। जो डेवलपर्स सिर्फ निर्माण से आगे बढ़कर काम कर रहे हैं, वे कोलोकेशन और प्रबंधित सेवाओं जैसी एंटरप्राइज सॉल्यूशंस भी दे रहे हैं, जिससे उनके पूंजी पर रिटर्न (ROCE) में 50 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हो रही है।निवेश और उद्योग का भविष्यप्रतीक झावर ने कहा, “हम उम्मीद कर रहे हैं कि सार्वजनिक और निजी बाजारों में लेनदेन गतिविधियां बढ़ेंगी। चार साल से पुराने बड़े निवेश लिस्ट होने के मौके देखेंगे, जबकि डेवलपर्स इस डेवलपमेंट के लिए धन जुटाने की कोशिश करेंगे। लंबे समय तक निवेश करने वाले, जो प्रति निवेश $250 मिलियन से ज्यादा की कमिटमेंट कर रहे हैं, उनके आने से उद्योग परिपक्व हो रहा है और यह सुरक्षित रिटर्न भी दे रहा है।” इस रिपोर्ट से साफ है कि भारत का डेटा सेंटर बाजार तेजी से बढ़ रहा है और इसमें निवेशकों की बढ़ती रुचि का भी बड़ा योगदान है। -
नयी दिल्ली. एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया ने चौड़े आकार के अपने मौजूदा विमानों में उड़ान के दौरान बेतार (वायरलेस) मनोरंजन सेवा उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। कई यात्री टाटा समूह के स्वामित्व वाली इस एयरलाइन के कुछ विमानों में खराबी और उड़ान के दौरान मनोरंजन प्रणाली के काम न करने की शिकायत करते रहे हैं। यह एयरलाइन अपने पुराने बेड़े में सुधार करने और नए विमान शामिल करने की प्रक्रिया में है। बयान के अनुसार, हाल ही में चौड़े आकार के अपने मौजूदा विमान बेड़े में उड़ान के दौरान शुरू की गई नई मनोरंजन सेवा ‘विस्टा' को छोटे विमानों में भी उपलब्ध कराया जाएगा। यह हाल ही में शामिल किए गए बी777 और ए350 विमानों में उपलब्ध नहीं होगी। इसमें कहा गया है कि विस्टा को मौजूदा बड़े विमानों के बेड़े में शामिल किया गया है ताकि ग्राहकों को निर्बाध मनोरंजन प्रदान किया जा सके। एयर इंडिया के नए बड़े विमानों में नई मनोरजंन प्रणाली है। एयरलाइन के पास 140 विमानों का परिचालन बेड़ा है। विस्टा के साथ यात्री अपने निजी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर मनोरंजन सामग्री का आनंद ले सकते हैं। इसमें उड़ान ‘ट्रैकिंग' के लिए लाइव मानचित्र डिस्प्ले भी होगा।
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नयी दिल्ली. राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि आयकर विभाग ने आकलन वर्ष वर्ष 2024-25 के लिए 15 दिन में करीब चार करोड़ आयकर रिटर्न का प्रसंस्करण किया है। आकलन वर्ष 2024-25 के लिए 31 जुलाई, 2024 तक 7.28 करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न दाखिल किये गये हैं। कर विभाग लगभग 4.98 करोड़ आयकर रिटर्न (आईटीआर) पहले ही प्रसंस्कृत कर चुका है और करदाताओं को इस बारे में सूचना भेज दी गई है। इनमें से 3.92 करोड़ आईटीआर 15 दिन से भी कम समय में प्रसंस्कृत किये गये। मल्होत्रा ने 165वें आयकर दिवस समारोह में कहा, ‘‘हमने डिजिटलीकरण के क्षेत्र में प्रगति की है...15 दिन के भीतर लगभग चार करोड़ रिटर्न प्रसंस्कृत किये गये।'' उन्होंने कहा कि पिछले दशक में प्रत्यक्ष कर राजस्व 5.59 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 20 लाख करोड़ रुपये हो गया है। साथ ही, इस अवधि में कर-जीडीपी अनुपात 5.6 प्रतिशत से बढ़कर छह प्रतिशत हो गया है।
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास को केंद्रीय बैंकरों की वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष रेटिंग मिलने पर बधाई दी और इसे उनके नेतृत्व को मान्यता बताया।मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास को इस उपलब्धि के लिए बधाई, और वह भी दूसरी बार। यह आरबीआई में उनके नेतृत्व और आर्थिक विकास तथा स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में उनके काम को मान्यता है।”
Congratulations to RBI Governor Shri @DasShaktikanta for this feat, and that too for the second time. This is a recognition of his leadership at the RBI and his work towards ensuring economic growth and stability. https://t.co/lzfogAQb15— Narendra Modi (@narendramodi) August 21, 2024अमेरिका स्थित ‘ग्लोबल फाइनेंस’ पत्रिका द्वारा दास को लगातार दूसरे वर्ष वैश्विक स्तर पर शीर्ष केंद्रीय बैंकर के रूप में चुना गया है। दास को दो अन्य केंद्रीय बैंक गवर्नर के साथ सूची में सबसे ऊपर रखा गया है, जिन्हें ‘ए प्लस’ रेटिंग दी गई है।‘ग्लोबल फाइनेंस’ पत्रिका के एक बयान के अनुसार, मुद्रास्फीति नियंत्रण, आर्थिक विकास लक्ष्यों, मुद्रा स्थिरता और ब्याज दर प्रबंधन में सफलता के आधार पर ‘ए’ से ‘एफ’ तक ग्रेड दी जाती है। -
नई दिल्ली। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक एलन मस्क की कंपनी ने एक दिन में मात्र 7 घंटे काम करने पर 28 हजार रुपये दे रही है। दिग्गज कार कंपनी टेस्ला ने प्रति घंटे 48 डॉलर (लगभग 4,000 रुपये) तक पेशकश की है। बता दें टेस्ला आवश्यक डेटा इकट्ठा करने में मदद करने के लिए ह्यूमनॉइड रोबोट विकसित करने की अपनी खोज में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। इसके लिए कंपनी ने लोगों को नौकरी पर रखने की योजना बनाई है और वेकेंसी भी निकाली है।
इस नौकरी में आपको एआई (AI) से चलने वाले रोबोटों को ट्रेनिंग देनी होगी। ये रोबोट ‘मूवमेंट डेटा’ एकत्र करेंगे और इन्हें टेस्ला के कारखानों में कार्यों को संभालने के लिए डिज़ाइन किया गया है।इसके अलावा आपको मोशन-कैप्चर सूट और वर्चुअल रियलिटी हेडसेट पहनकर रोबोट को अलग-अलग ट्रेनिंग देनी होगी। यह डेटा बाद में ऑप्टिमस को और ज्यादा इंसानों जैसा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।जॉब के लिए क्वालिफिकेशन ?जॉब लिस्टिंग के अनुसार, इच्छुक व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम सात घंटे से अधिक चलने में सक्षम होना चाहिए। टेस्ला की तरफ प्रदान किए जाने वाले मोशन-कैप्चर सूट को चलाने के लिए आवेदक की लंबाई 5’7″ और 5’11″ फुट के बीच होनी चाहिए। इसके अलावा, शारीरिक रूप से कठिन इस काम के लिए वेतन 25.25 से 48 डॉलर प्रति घंटे के बीच होगा, जो भारतीय करेंसी में लगभग 2000-4000 रुपये बनता है। साथ ही 30 पाउंड तक वजन उठाने की क्षमता और विस्तारित अवधि के लिए वीआर उपकरण चलाने की क्षमता भी होनी जरुरी है। -
नयी दिल्ली. आगामी त्योहारी सत्र के लिए हवाई यात्रा के किराये में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है, और दिवाली के लिए प्रमुख घरेलू मार्गों पर औसत एकतरफा टिकट की कीमत 10-15 प्रतिशत बढ़ चुकी है। दूसरी ओर ओणम के दौरान केरल के शहरों के लिए कुछ उड़ानों का किराया 20-25 प्रतिशत अधिक है। ‘ ट्रैवल पोर्टल इक्सिगो के एक विश्लेषण से पता चलता है कि 30 अक्टूबर से पांच नवंबर के दौरान दिल्ली-चेन्नई मार्ग पर सीधी उड़ान के लिए ‘इकनॉमी' श्रेणी का औसत एकतरफा किराया 25 प्रतिशत बढ़कर 7,618 रुपये है। यह किराया पिछले साल 10-16 नवंबर के मुकाबले है। इसी अवधि में मुंबई-हैदराबाद मार्ग पर टिकट की कीमत 21 प्रतिशत बढ़कर 5,162 रुपये हो गई है। दिल्ली-गोवा तथा दिल्ली-अहमदाबाद मार्गों पर किराया 19 प्रतिशत बढ़कर 5,999 रुपये तथा 4,930 रुपये हो गया है। विश्लेषण के अनुसार, कुछ अन्य मार्गों पर किराया 1-16 प्रतिशत के दायरे में बढ़ा है।
इक्सिगो समूह के सह-सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) रजनीश कुमार ने कहा कि दिवाली के लिए यात्रा की मांग बढ़ रही है तथा हवाई किराया पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। विश्लेषण से पता चला कि बेंगलुरु-हैदराबाद और मुंबई-जम्मू जैसे कुछ मार्गों पर हवाई यात्रा का किराया पिछले साल के मुकाबले कम है। -
मुंबई. देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने सोमवार को कहा कि जमा में वृद्धि पर चिंता एक ‘सांख्यिकीय मिथक' है, क्योंकि वित्त वर्ष 2021-22 से जमा की कुल राशि आवंटित ऋण से कहीं अधिक रही है। भारतीय स्टेट बैंक के अर्थशास्त्रियों की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय प्रणाली में लगभग आधी सावधि जमाएं वरिष्ठ नागरिकों के पास हैं जबकि युवा आबादी उच्च प्रतिफल वाले अन्य विकल्पों की तलाश कर रही है। अर्थशास्त्रियों ने जमा पर लगने वाले कर की संरचना में बदलाव की वकालत की है ताकि बैंकों के पास आने वाली बड़ी जमा राशि का इस्तेमाल ऋण वृद्धि में किया जा सके। रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2021-22 से जमा में कुल 61 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जो ऋण वृद्धि के 59 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। रिपोर्ट के मुताबित, ‘‘जमा वृद्धि के सुस्त पड़ने का मिथक महज ‘सांख्यिकीय' है। दरअसल जमा वृद्धि के मुकाबले ऋण वृद्धि में सुस्ती को जमा वृद्धि में कमी के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है।'' पिछले एक साल से जमा और ऋण वृद्धि के बीच की खाई को लेकर चिंता जताई जा रही है। पर्याप्त जमा वृद्धि के अभाव में ऋण वृद्धि की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में जमाओं के लिए बैंकों को ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने स्वीकार किया कि वित्त वर्ष 2022-23 और वित्त वर्ष 2023-24 में जमा की वृद्धि क्रमशः 24.3 लाख करोड़ रुपये और 27.5 लाख करोड़ रुपये के साथ ऋण से कम रही है। रिपोर्ट कहती है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली लगातार 26वें महीने धीमी जमा वृद्धि की स्थिति में है। ऐतिहासिक रूप से देखें तो जमा वृद्धि के ऋण वृद्धि से कम रहने के मामले दो-चार साल तक चलते रहे हैं। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि पिछले अनुभवों के आधार पर इस सुस्ती का मौजूदा दौर जून, 2025-अक्टूबर, 2025 के बीच खत्म हो सकता है। उन्होंने इस दौरान ऋण वृद्धि धीमी होने की आशंका जताई है। इसके अतिरिक्त, बैंकों से व्यापक बफर रखने के लिए कहने वाले तरलता संबंधी नए दिशानिर्देशों से ऋण वृद्धि में अल्पकालिक सुस्ती आ सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी बैंक कम लागत वाली जमाराशियों का लाभ उठाने में अधिक सक्रिय रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की बचत/सावधि जमाराशियों का औसत आकार 72,577 रुपये है, जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए यह 1.60 लाख रुपये और विदेशी बैंकों के लिए 10.5 लाख रुपये है।
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नयी दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के प्रमुखों के साथ प्रदर्शन समीक्षा बैठक की और उनसे जमा वृद्धि में सुधार लाने को कहा। पिछले कुछ महीनों में ऋण वृद्धि जमा वृद्धि की तुलना में 3-4 प्रतिशत कम रही है, जिससे बैंकों के लिए परिसंपत्ति-देयता का असंतुलन पैदा हो गया है। सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्री ने बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन के साथ ही पीएम आवास योजना, पीएम सूर्य घर और पीएम विश्वकर्मा योजना सहित सरकार की विभिन्न प्रमुख योजनाओं के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की समीक्षा की। सूत्रों ने यह भी बताया कि सीतारमण ने जमा वृद्धि, ऋण-जमा अनुपात (सीडी अनुपात) और परिसंपत्ति गुणवत्ता का भी जायजा लिया। वित्त मंत्री ने बैंकों के प्रमुखों से मुख्य बैंकिंग कारोबार पर ध्यान केंद्रित करने और नवोन्मेषी उत्पादों को पेश करके जमा वृद्धि की गति बढ़ाने को कहा। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि जमा और कर्ज वृद्धि के बीच असंतुलन है। उन्होंने कहा, ‘‘कर्ज देने में वृद्धि अधिक है... मैं विभिन्न कारणों से (19 अगस्त को) बैंकों से मिलूंगी और उनसे जमा संग्रह के महत्व के बारे में बात करूंगी।'' सीतारमण ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को ब्याज दर के मामले में स्वतंत्रता दी है, और इस आजादी का इस्तेमाल करके उन्हें जमा को अधिक आकर्षक बनाना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान साइबर सुरक्षा और वित्तीय क्षेत्र के जोखिमों से संबंधित चिंताओं पर भी चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी और जानबूझकर चूक करने वालों से संबंधित मुद्दे और राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) की प्रगति पर भी चर्चा हुई। बजट 2024-25 पेश होने के बाद यह पहली समीक्षा बैठक थी। सरकारी बैंकों का शुद्ध लाभ मार्च, 2024 को समाप्त वित्त वर्ष में 1.4 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है, जो इससे पिछले साल की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक है।
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नयी दिल्ली .तेज आर्थिक वृद्धि और कंपनी संचालन पर बढ़ते जोर के बीच भारत को 2030 तक लगभग एक लाख कंपनी सचिवों की आवश्यकता होगी। कंपनी सचिवों का शीर्ष निकाय आईसीएसआई ने यह कहा है। वर्तमान में, 73,000 से अधिक कंपनी सचिव हैं और इनमें से लगभग 12,000 कंपनी सचिव कार्यरत हैं।
कंपनी सचिव कंपनियों में विभिन्न सांविधिक जरूरतों का अनुपालन सुनिश्चित कर कॉरपोरेट संचालन ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) के अध्यक्ष बी नरसिम्हन ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को देखने के नजरिये में महत्वपूर्ण बदलाव आया है और कंपनी सचिव भारत को दुनिया के सबसे पसंदीदा निवेश स्थलों में से एक बनाने में एक महत्वपूर्ण कड़ी बन गये हैं। उन्होंने कहा कि भारत को 2030 तक लगभग एक लाख कंपनी सचिवों की आवश्यकता होगी। आईसीएसआई हर साल औसतन 2,500 से अधिक लोगों को सदस्यता देता है।
विभिन्न अनुमानों के अनुसार भारत के 2030 तक 7,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।
वित्त मंत्रालय की इस साल जनवरी में जारी रिपोर्ट में कहा गया था, ‘‘वित्तीय क्षेत्र और हाल के तथा भविष्य के संरचनात्मक सुधारों के दम पर आने वाले वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सात प्रतिशत से ऊपर रहेगी। मुद्रास्फीति रुख और विनिमय दर के आधार पर, भारत अगले छह से सात साल में (2030 तक) 7,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।'' संस्थान ने पेशे में अधिक युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए कंपनी सचिव कार्यकारी कार्यक्रम में स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों का सीधा पंजीकरण भी शुरू किया है। आईसीएसआई ने अन्य उपायों के अलावा कॉरपोरेट निदेशक मंडल में अपनाई जाने वाली सचिव स्तर की गतिविधियों में एकरूपता लाने के लिए मानक पेश किये हैं।