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 इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मांग 2030 तक पांच गुना बढ़कर 240 अरब डॉलर होगी: सीआईआई

  नयी दिल्ली।  इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और ‘सब-असेंबली' की मांग 2030 तक पांच गुना बढ़कर 240 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा रविवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें मदरबोर्ड, लिथियम आयन बैटरी, कैमरा मॉड्यूल आदि जैसे कुछ प्रमुख कलपुर्जे शामिल हैं, जिन्हें बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है। रिपोर्ट में सरकार से आयात पर निर्भरता कम करने के लिए 35-40 प्रतिशत की सीमा में उच्च प्रोत्साहन के साथ संशोधित इलेक्ट्रॉनिक घटक की उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं लाने की सिफारिश की गई है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, “पिछले साल 102 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का समर्थन करने के लिए घटकों और ‘सब-असेंबली' की मांग 45.5 अरब डॉलर थी। साल 2030 तक 500 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का समर्थन करने के लिए यह मांग 240 अरब डॉलर तक बढ़ सकती है। पीसीबीए सहित प्राथमिकता वाले घटकों और ‘सब-असेंबली' के 30 प्रतिशत की मजबूत सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान है, जो 2030 तक 139 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।” रिपोर्ट में बैटरी (लिथियम-आयन), कैमरा मॉड्यूल, मैकेनिकल (एनक्लोजर आदि), डिस्प्ले और पीसीबी के घटकों और उप-संयोजनों को भारत के लिए उच्च प्राथमिकता के रूप में चिन्हित किया गया है, जो 2022 में घटकों की मांग का संचयी रूप से 43 प्रतिशत हिस्सा था और 2030 तक 51.6 अरब डॉलर तक बढ़ने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया, “इन घटकों का भारत में या तो नाममात्र उत्पादन होता है या फिर ये भारी मात्रा में आयात पर निर्भर होते हैं। प्राथमिकता वाले घटकों के आयात की इस प्रवृत्ति को बनाए रखना देश के हित में नहीं है।

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