वायदा एवं विकल्प खंड में परिवार हर साल गंवा रहे 60,000 करोड़ रुपयेः सेबी प्रमुख
मुंबई. बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने मंगलवार को कहा कि बाजार के वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) खंड में शिरकत करने से देश के परिवारों को साल भर में 60,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की मुखिया ने यहां नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में इस बात पर आश्चर्य जताया कि डेरिवेटिव बाजारों में इस तरह के दांव को ‘व्यापक मुद्दा' क्यों नहीं कहा जाना चाहिए। बुच ने कहा, ‘‘अगर एफएंडओ खंड में हर साल 50,000-60,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है तो यह व्यापक मुद्दा क्यों नहीं है? यह राशि आने वाले आईपीओ, म्यूचुअल फंड या अन्य उत्पादक उद्देश्यों के लिए लगाई जा सकती थी।'' सेबी की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, 90 प्रतिशत सौदे घाटे में रहे। पूंजी बाजार नियामक ने मंगलवार को एक परामर्श पत्र भी जारी किया, जिसमें इस गतिविधि को सीमित करने के तरीके सुझाए गए हैं। बुच ने कहा कि भले ही शेयर बाजारों को एफएंडओ कम होने पर शुल्क कम मिल सकता है लेकिन लंबी अवधि में यह सभी हितधारकों के लिए फायदेमंद ही होगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) निवेशकों के लिए जोखिम से भरी डेरिवेटिव गतिविधि का विकल्प नहीं हो सकते हैं क्योंकि इनकी तरलता और लाभ बहुत अलग है। इस बीच, सेबी प्रमुख ने म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए बैंक ग्राहकों के समान केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) सत्यापन का उपयोग करने की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि सेबी प्रतिभूति बाजार में पेटीएम जैसी गड़बड़ी की अनुमति नहीं देगा।
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