SECI का कड़ा एक्शन: फर्जी दस्तावेज मामले में रिलायंस पावर पर तीन साल का बैन!
नई दिल्ली। सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने रिलायंस पावर पर बड़ी कार्रवाई करते हुए कंपनी को अगले तीन साल तक अपने किसी भी टेंडर में भाग लेने से बैन कर दिया है। SECI द्वारा यह फैसला इस साल जून में जारी किए गए एक टेंडर में फर्जी दस्तावेज जमा करने के आरोपों के चलते लिया गया है।
SECI की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि इस प्रतिबंध का असर रिलायंस पावर की सहायक कंपनियों पर भी पड़ेगा। यानी रिलायंस पावर की कोई भी सहायक कंपनी अगले तीन साल तक SECI के किसी भी टेंडर में हिस्सा नहीं ले सकेगी।
SECI ने 6 नवंबर को जारी नोटिस में स्पष्ट किया, “M/s रिलायंस NU BESS लिमिटेड और M/s रिलायंस पावर लिमिटेड (सहित इसकी सभी सहायक कंपनियां) को SECI के भविष्य के सभी टेंडरों में तीन साल तक भाग लेने से रोका जाता है।”
जून में सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने 1 गीगावाट सौर ऊर्जा और 2 गीगावाट स्टैंडअलोन बैटरी स्टोरेज के लिए बोली आमंत्रित की थीं। अनिल अंबानी की रिलायंस पावर (R-Power) की सहायक कंपनी महाराष्ट्र एनर्जी जनरेशन लिमिटेड ने इस टेंडर में सफल बोली लगाई थी। कंपनी ने बैटरी स्टोरेज के लिए प्रति यूनिट ₹3.81 की सबसे कम बोली लगाई, जो अब तक की सबसे सस्ती दरों में से एक थी। इसी तरह की एक और सफल बोली JSW एनर्जी ने लगाई थी।
SECI की ओर से जारी नोटिस में कहा गया, “M/s महाराष्ट्र एनर्जी जनरेशन लिमिटेड, जिसे अब M/s रिलायंस NU BESS लिमिटेड के नाम से जाना जाता है, द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि बैंक गारंटी, जो विदेशी बैंक द्वारा जारी की गई थी और बोलीदाता ने जमा की थी, वह फर्जी थी। यह गड़बड़ी इलेक्ट्रॉनिक रिवर्स नीलामी के बाद पता चली, जिसके कारण SECI को पूरी निविदा प्रक्रिया रद्द करनी पड़ी।”इससे पहले इस हफ्ते, रिपोर्ट में बताया गया था कि R-Power ने इस टेंडर के लिए दो बार गलत बैंक दस्तावेज़ जमा किए थे। इसमें एक ईमेल आईडी का उपयोग किया गया, जिसे बाद में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने फर्जी बताया।सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) ने अपने नोटिस में कहा कि टेंडर शर्तों के अनुसार, फर्जी दस्तावेज़ जमा करने पर रिलायंस पावर (R-Power) को भविष्य के सभी टेंडरों में भाग लेने से अयोग्य ठहराना जरूरी था।
नोटिस में बताया गया कि बोलीदाता (जो रिलायंस पावर की सहायक कंपनी है) ने अपनी वित्तीय योग्यता अपने पैरेंट कंपनी की ताकत के आधार पर पूरी की थी। जांच में पाया गया कि सभी व्यावसायिक और रणनीतिक फैसले पैरेंट कंपनी द्वारा ही लिए गए थे। इसी कारण SECI ने रिलायंस पावर लिमिटेड को भविष्य के टेंडरों में भाग लेने से रोकना जरूरी समझा।
R-Power ने फिलीपींस स्थित FirstRand Bank की ओर से बैंक गारंटी जमा की थी, जिसका दावा था कि उसे दिल्ली स्थित भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शाखा से समर्थन मिला है। लेकिन SBI ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उसने ऐसा कोई समर्थन जारी नहीं किया और इस्तेमाल की गई ईमेल आईडी को फर्जी बताया। इस मामले में रिलायंस पावर ने अपने ईमेल जवाब में कहा कि यह गारंटी एक थर्ड पार्टी द्वारा तैयार की गई थी और कंपनी को गुमराह किया गया है।
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