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भारत के 2026 तक दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद : पीएचडीसीसीआई

 नयी दिल्ली. उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई ने बुधवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 6.8 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष में 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके साथ ही उद्योग मंडल ने कहा कि वर्ष 2026 तक भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में मजबूती से आगे बढ़ने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था के 2026 तक जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है। पीएचडीसीसीआई ने बयान में कहा कि उसने वित्त वर्ष 2024-25 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.8 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2025-26 में 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया है। इसके साथ ही उद्योग मंडल ने चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति की दर 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताते हुए कहा कि कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, वित्त-प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य और बीमा जैसे संभावनाशील क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उद्योग मंडल ने अगले वित्त वर्ष (2025-26) के बजट के संदर्भ में कहा कि आयकर की उच्चतम दर केवल 40 लाख रुपये से अधिक आय वाले व्यक्तियों पर लागू ही होनी चाहिए और आयकर छूट सीमा को भी बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाना चाहिए। उसने कहा कि लोगों के हाथों में खर्च के लायक अधिक आय रखकर खपत को बढ़ावा देना जरूरी है। पीएचडीसीसीआई ने उम्मीद जताई है कि रिजर्व बैंक अगले महीने अपनी मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा जिससे खुदरा मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है। पीएचडीसीसीआई के उप महासचिव एस पी शर्मा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अगली समीक्षा में 0.25 प्रतिशत अंक की कटौती होनी चाहिए। अब खुदरा मुद्रास्फीति कम हो रही है लेकिन कुछ खाद्य पदार्थों की कीमतें अब भी अधिक हैं। इसके बावजूद हमें उम्मीद है कि आने वाली तिमाहियों में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर चार से 2.5 प्रतिशत के बीच आ जाएगी।'' उन्होंने कहा कि उद्योग मंडल ने बजट में आयकर की अधिकतम दर के लिए आय सीमा को 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 40 लाख रुपये किए जाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘आज 15 लाख रुपये एक मध्यम आय है और हम इसपर उच्चतम कर दर लगा रहे हैं। इस तरह की मध्यम आय पर कोई उच्चतम दर नहीं होनी चाहिए और यदि हम उपभोग अर्थव्यवस्था हैं तो उच्चतम दर भी 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।'' इसके अलावा पीएचडीसीसीआई ने स्वामित्व या साझेदारी और एलएलपी के तहत संचालित संस्थाओं पर कर की दर को भी 33 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने की मांग रखी है।

 

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