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 वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में चुनौतीपूर्ण रहा बजट बनाना, समावेशी विकास पर ध्यान दिया गया: सीतारमण

 नयी दिल्ली।  वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट को राष्ट्रीय विकास आवश्यकताओं का राजकोषीय प्राथमिकताओं के साथ संतुलन कायम करने वाला बताते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में गिरावट के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारण हैं। लोकसभा में केंद्रीय बजट पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में विश्व का परिदृश्य 180 अंश घूम गया है और बजट बनाना पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह बजट अत्यंत अनिश्चितता और बदलते वैश्विक परिदृश्य में आया है, इसलिए इसे तैयार करने में कई चुनौतियां रहीं। वित्त मंत्री ने कहा कि पश्चिम एशिया के हालात, रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक जीडीपी में स्थिरता जैसे वैश्विक कारकों का असर इस बजट पर भी पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बजट राष्ट्रीय विकास आवश्यकताओं का राजकोषीय प्राथमिकताओं के साथ संतुलन कायम करने वाला है।'' उन्होंने कहा कि सरकार 99 प्रतिशत उधारी का उपयोग पूंजीगत व्यय के लिए कर रही है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 4.3 प्रतिशत है। सीतारमण ने कहा कि केंद्रीय बजट में घरेलू अर्थव्यवस्था के सामने आ रहीं चुनौतियों पर ध्यान दिया गया है और इसमें विकास को बढ़ाने, समावेशी विकास, निजी क्षेत्र के निवेश में वृद्धि करने और सामान्य परिवारों की भावनाओं का ध्यान रखने जैसे लक्ष्य रखे गए हैं। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बाद देश में पूंजी व्यय और राज्यों को संसाधनों का हस्तांतरण बढ़ रहा है। उन्होंने देश में बेरोजगारी संबंधी कुछ विपक्षी सदस्यों की चिंताओं का जवाब देते हुए कहा कि 2023-24 के श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार श्रम शक्ति सहभागिता दर 2017-18 में 49 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 60 प्रतिशत से अधिक हो गई है, वहीं बेरोजगारी की दर 6 प्रतिशत से घटकर 3.4 प्रतिशत हो गई है। सीतारमण ने कहा कि इस सरकार की पहली प्राथमिकता खाद्य महंगाई को नियंत्रित रखना है और इसके कई मानकों पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार मौसम संबंधी कारकों या आपूर्ति शृंखला व्यवधान के कारणों पर भी नजर रख रही है।
 उन्होंने कहा कि संप्रग के समय मुद्रास्फीति दहाई के अंक में थी और 10 से अधिक पहुंच गई थी, लेकिन अब ऐसी स्थिति बिल्कुल नहीं है। उन्होंने डॉलर के मुकाबले रुपये का मूल्य गिरने संबंधी विपक्षी सदस्यों के दावों पर कहा कि इसे डॉलर सूचकांक की गतिविधि, कच्चे तेल के दाम और चालू खाता घाटा जैसे अनेक घरेलू और वैश्विक कारक प्रभावित करते हैं। सीतारमण ने कहा कि दक्षिण कोरिया और मलेशिया जैसे बड़े एशियाई देशों की मुद्रा भी कमजोर हुई है।
 उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के गत 15 जनवरी को दिए गए एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने भी कहा है कि वह रुपये के गिरते मूल्य पर चिंतित नहीं हैं। सीतारमण ने कहा कि (कांग्रेस की) ‘भारत जोड़ो यात्रा' में भाग लेने वाले राजन ने कहा था, ‘‘निश्चित रूप से, हमेशा रुपया-डॉलर विनिमय दर पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। वास्तविकता यह है कि डॉलर कई मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हो रहा है। यूरो में लगभग छह से सात प्रतिशत की गिरावट है।'' इस दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सदन में उपस्थित थे।

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