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‘विकसित भारत' के लिए सालाना 10 प्रतिशत मूल्यानुसार जीडीपी वृद्धि की जरूरत: सीआईआई अध्यक्ष

 नयी दिल्ली।   भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष राजीव मेमानी ने कहा है कि सरकार के 2047 तक ‘विकसित भारत' के सपने को पूरा करने के लिए भारत को सालाना 10 प्रतिशत की औसत मूल्यानुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर की जरूरत है। मूल्य के आधार पर या मूल्यानुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) किसी देश में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य है, जिसे वास्तविक जीडीपी के विपरीत, मुद्रास्फीति के समायोजन के बिना, वर्तमान बाजार मूल्यों का उपयोग करके मापा जाता है। मेमानी ने  कहा, “भारत को विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए औसतन लगभग 10 प्रतिशत की मूल्यानुसार वृद्धि की आवश्यकता होगी।” उद्योग मंडल सीआईआई के नवनियुक्त अध्यक्ष मेमानी ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच अंतरिम व्यापार समझौता, जिसे शीघ्र ही अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है, ‘अनिश्चितता' के बादल को दूर करेगा तथा भारतीय कंपनियों को, विशेष रूप से श्रम-प्रधान क्षेत्रों में, बड़े बाजार तक पहुंच प्रदान करेगा। सीआईआई अध्यक्ष ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अधिक संयुक्त उद्यमों और साझेदारी का भी रास्ता खोलेगा। उन्होंने कहा, “..तो मुझे लगता है कि सबसे पहले जो अनिश्चितता थी, मुझे लगता है कि वह दूर हो जाएगी। लोगों को भविष्य में क्या होगा, इसकी स्पष्ट दिशा मिलेगी, और मुझे लगता है कि इसका बहुत सकारात्मक प्रभाव होगा।” सीआईआई के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग के कारण चालू वित्त वर्ष (2025-26) के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था के 6.4-6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, भू-राजनीतिक अनिश्चितता के कारण नकारात्मक जोखिम बना हुआ है। उन्होंने कहा, “आर्थिक रूप से हमारी स्थिति बहुत अच्छी है, चीजें बहुत स्थिर हैं।”
 मेमानी ने भारत की संभावनाओं के बारे में कहा, “हमारे संस्थान, चाहे वह पूंजी बाजार हो, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) हो, बैंक हों, अच्छी स्थिति में हैं। कॉरपोरेट बही-खाता मजबूत दिख रहा है।” रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखते हुए कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक अनिश्चितता की पृष्ठभूमि में मजबूती, स्थिरता और अवसर की तस्वीर पेश करती है। चालू वित्त वर्ष के वृद्धि अनुमानों की तुलना पिछले वित्त वर्ष ‘2024-25' में दर्ज 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से की गई है।  

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