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 शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने युक्तियुक्तकरण पर कलेक्टर ने ली प्रेस वार्ता

- महासमुंद जिले में अब एक भी शाला शिक्षक विहीन नहीं और न ही एकल शिक्षकीय हैं - कलेक्टर श्री लंगेह
-700 अतिशेष शिक्षकों का किया गया युक्तियुक्तकरण
-एक ही परिसर में स्थित विद्यालयों को समाहित कर क्लस्टर मॉडल विकसित किया जा रहा है
 महासमुंद / राज्य शासन द्वारा विद्यालयीन शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ एवं सुव्यवस्थित, बेहतर और समावेशी बनाने शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण की कार्रवाई की जा रही है। इसी संबंध में आज कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह द्वारा कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन अपराह्न 3.30 बजे किया गया। प्रेस वार्ता में जिला पंचायत सीईओ श्री एस. आलोक, जिला शिक्षा अधिकारी श्री विजय लहरे, शिक्षा विभाग के अधिकारी एवं प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रतिनिधि मौजूद थे।
कलेक्टर श्री लंगेह ने प्रेस वार्ता में बताया कि शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य शालाओं में शिक्षकों की उपलब्धता को संतुलित करना है, ताकि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। इस प्रक्रिया के तहत ऐसे विद्यालयों की पहचान की जा रही है, जहां शिक्षकों की संख्या अधिक है, और उन्हें उन विद्यालयों में समायोजित किया जाएगा जहां शिक्षकों की कमी है। इस प्रकार युक्तियुक्तकरण के माध्यम से छात्र-शिक्षक अनुपात स्कूलों में संतुलित हो, यह सुनिश्चित किया जा रहा है।
 कलेक्टर श्री लंगेह ने बताया कि जिले में प्राथमिक स्तर पर छात्र-शिक्षक अनुपात 20ः78 बच्चे प्रति शिक्षक एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 21ः19 बच्चे प्रति शिक्षक है, जो राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। उन्होंने बताया कि जिले में 15 प्राथमिक शालाएं शिक्षक विहीन एवं 316 शालाएं एकल शिक्षकीय थे। वहीं 01 पूर्व माध्यमिक शाला शिक्षक विहीन और 01 एकल शिक्षकीय था। कलेक्टर ने बताया कि जिले में प्राथमिक स्कूलों में 535 शिक्षक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में 272 शिक्षकों की आवश्यकता थी। जिसमें से 700 शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया गया है। जिले में प्राथमिक शालाओं में 444 एवं पूर्व माध्यमिक शालाओं में 146 शिक्षक अतिशेष था और हाई/हायर सेकेण्डरी से 110 अतिशेष व्याख्याता एवं सहायक शिक्षक विज्ञान कुल 700 अतिशेष शिक्षक संवर्ग को समायोजित किया गया। इस तरह जिले में 09 शालाओं का समायोजन किया गया है, जबकि 1957 स्कूलों में 1948 से स्कूल यथावत संचालित होंगे। कलेक्टर ने बताया कि अब जिले में एक भी शाला शिक्षक विहीन नहीं है और न ही एकल शिक्षकीय है।  उल्लेखनीय है कि जिले में 01 एवं 02 जून को युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूर्णतः पारदर्शी एवं शांतिपूर्ण तरीके से पूर्ण किया गया था। सभी शिक्षकों को पदस्थापना आदेश दे दिए गए हैं। 
उन्होंने बताया कि एक ही परिसर में स्थित विद्यालयों को समाहित कर क्लस्टर मॉडल विकसित किया जा रहा है। युक्तियुक्तकरण से लगभग 90 प्रतिशत बच्चों को तीन बार प्रवेश प्रक्रिया मुक्ति मिलेगी और बच्चों को पढ़ाई में गुणवत्ता के साथ ही निरंतरता भी बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से नियमों एवं शैक्षणिक आवश्यकता के अनुसार की गई है, साथ ही यह भी आश्वस्त किया गया कि समायोजन करते समय विषय विशेषज्ञ, सेवा काल एवं प्राथमिकता का भी ध्यान रखा गया है। 
 

 

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