सुरक्षा से जीवन, सेवा से आश्वासन : एक कर्मठ श्रमिक की संघर्ष और संकल्प की कहानी"
सेफ्टी शू ने बचाया अपाहिज होने से: श्री दानेंद्र कुमार
रायपुर। सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र में मेसर्स जॉन इंटरप्राइजेज के अंतर्गत ठेकाकर्मी के रूप में कार्यरत श्री दानेंद्र कुमार की कहानी, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों के महत्व और जेएलएन चिकित्सालय एवं अनुसन्धान केंद्र, सेक्टर-9 के बर्न यूनिट के असाधारण समर्पण एवं लगन का एक जीवंत उदाहरण है। यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि कैसे सही समय पर मिली चिकित्सा और मानवीय सहयोग जीवन को अपाहिज होने से बचा सकती है।
14 अप्रैल 2025: दानेंद्र कुमार के जीवन का दुर्भाग्यपूर्ण हादसा
ठेकाकर्मी श्री दानेंद्र कुमार, जो वर्ष 2014 से भिलाई इस्पात संयंत्र में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं, 14 अप्रैल 2025 को ब्लास्ट फर्नेस-06 में कार्य करते समय एक भयावह हादसे का शिकार हो गए। अचानक हुए एक ब्लास्ट के कारण, वे स्लैग के नाले में फिसल गए। यह कोई साधारण स्लैग नहीं था, बल्कि इसका तापमान 1400 से 1500 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच था। जिसके फलस्वरूप उनके दोनों पैर इस हॉट मेटल के स्लैग में डूब गए।
हादसे के उस पल को याद करते हुए श्री दानेंद्र कुमार बताते हैं, "मेरे दोनों पैर स्लैग में डूब गए थे, और मेरे सेफ्टी शू पूरी तरह जल गए।" लेकिन यही सेफ्टी शू, मेरे लिए जीवनरक्षक साबित हुए। "सेफ्टी शू के कारण मेरे पैरों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। अगर उस दिन मैंने सेफ्टी शू नहीं पहने होते, तो मेरे पैर उस हॉट स्लैग के संपर्क में आते ही किसी मोमबत्ती की भांति पिघल जाते और मैं हमेशा के लिए अपाहिज हो जाता।" यह घटना सुरक्षा सामग्री के उपयोग की महत्ता को रेखांकित करती है, जो कार्यस्थल पर प्रत्येक कर्मचारी के लिए अनिवार्य हैं। दानेंद्र की कहानी एक कड़वी सच्चाई के साथ यह संदेश देती है कि पीपीई सुरक्षा उपकरण संयंत्र में कार्यरत हर कार्मिक की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी है, प्रत्येक व्यक्ति उसका उपयोग करें और अपना जीवन सुरक्षित रखें।
14 अप्रैल 2025 को गंभीर रूप से झुलसे हुए पैरों के साथ श्री दानेंद्र को तत्काल सेक्टर-9 अस्पताल के बर्न यूनिट में भर्ती कराया गया एवं बिना किसी देरी के उनका त्वरित रूप से इलाज प्रारंभ किया गया। यद्यपि उनकी चिकित्सा अभी भी जारी है, लेकिन वे जेएलएन अस्पताल कि सेवा से अभिभूत हैं। दानेंद्र भावुक होकर कहते हैं "मैंने तो सोचा था मेरे दोनों पैर काट दिए जाएंगे और मैं अपाहिज हो जाऊंगा, लेकिन सेक्टर-9 अस्पताल के बर्न यूनिट के प्रमुख तथा सीएमओ डॉ उदय कुमार और उनकी टीम ने सही समय पर सही इलाज व ऑपरेशन आदि हरसंभव चिकित्सकीय सहायता व एक सहारा बनकर मेरे पैरों को बचा लिया, और आज मैं इस दुर्घटना से न केवल उबर चूका हूँ बल्कि सहारे के साथ चल पाने में सक्षम हूँ।" दानेंद्र ने बर्न यूनिट के डॉक्टरों, नर्सों और समर्पित स्टाफ के सेवा भावना की सराहना की तथा कहा कि अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था, समय पर ड्रेसिंग, दवाइयों की उपलब्धता, साफ-सफाई, पौष्टिक खानपान के साथ ही हॉस्पिटल स्टाफ के सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार ने इस कठिन परिस्थिति में उनके मनोबल को बढ़ाया। आज घुटनों तक गंभीर रूप से जल जाने और पैरों की सभी उंगलियाँ गवां देने के बावजूद डॉक्टर्स के सहयोग और उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ने दानेंद्र को फिर से अपने पैरों पर खड़े होकर चलने में सक्षम बनाया हैं।
श्री दानेंद्र कुमार का उपचार कार्यपालक निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ) डॉ रवींद्रनाथ एम के मार्गदर्शन में जेएलएन अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने किया, जिसमें सीएमओ डॉ. उदय कुमार, एडीशनल सीएमओ डॉ. अनिरुद्ध मेने, सीएमओ डॉ विनीता दिवेदी और उनकी एनेस्थीसिया विभाग की टीम शामिल है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वय डॉ कौशलेंद्र ठाकुर और डॉ सौरभ मुखर्जी ने भी समय-समय पर उचित परामर्श एवं सहयोग प्रदान किया।
श्री दानेंद्र कुमार ने इस कठिन समय में मिले सहयोग के लिए अस्पताल के सभी स्टाफ, डॉक्टरों, अस्पताल प्रबंधन, मेसर्स जॉन इंटरप्राइजेज के ठेकेदार श्री पूर्णांचल और अपने श्रमिक भाइयों का भी धन्यवाद किया। ठेकेदार श्री पूर्णांचल ने उनके इलाज का पूरा खर्च उठाया और अस्पताल में उनकी देखभाल के लिए दो सहयोगी भी प्रदान किए, जिन्होंने पूरी लगन से उनकी देखभाल की।
श्री दानेंद्र कुमार की कहानी भिलाई इस्पात संयंत्र की सुरक्षा प्रतिबद्धता और उसके कर्मचारियों के कल्याण के प्रति समर्पण का एक सशक्त प्रमाण है। दानेंद्र की कहानी यह भी दर्शाती है कि सेक्टर-9 अस्पताल का बर्न यूनिट वास्तव में एक ऐसा विभाग है जो विश्व स्तरीय सेवा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी गंभीर स्थिति में बेहतर इलाज प्रदान कर सकता है। सेक्टर-9 अस्पताल का बर्न यूनिट आज सिर्फ इलाज ही नहीं करता, बल्कि लोगों को नई जिंदगी देने का कार्य कर रहा है।
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