सफलता की कहानी- भिलाई निवासी श्री टंडन की सौर ऊर्जा यात्रा
दुर्ग. कैलाश नगर, भिलाई के निवासी निषाद टंडन एक जागरूक और पर्यावरण-प्रेमी व्यक्ति हैं। एनएमडीसी बैलाडीला में वर्षों तक सेवा देने के बाद वे साल 2012 में सेवानिवृत्त हुए। तीनों बच्चे आज अपनी-अपनी सेवाओं में कार्यरत हैं। एक दिन उन्होंने अख़बार में सौर ऊर्जा (सोलर पैनल) योजना के बारे में पढ़ा। बच्चों ने भी उन्हें प्रोत्साहित किया। पापा सोलर पैनल लगाने से बिजली बिल कम होगा और बचत भी होगी। फिर निषाद टंडन ने आवेदन दिया, वेंडर से बात की और बिजली विभाग से भी सहयोग प्राप्त किया। उन्होंने 13 दिसम्बर 2024 को अपने घर में 2 किलोवाट का सोलर पैनल लगवाया। इसके बाद से उनका अनुभव बेहद सकारात्मक रहा। अब तक उनका सोलर सिस्टम 3590 यूनिट बिजली का उत्पादन कर चुका है, जिसमें से 1000 यूनिट बिजली विभाग को बेची गई है।
राज्य सरकार द्वारा 8 सितम्बर 2025 को उन्हें 30,000 रुपये की राज्य सब्सिडी और 60,000 रुपये की केंद्र सरकार की सहायता प्राप्त हुई। श्री निषाद जी बताते हैं कि उन्होंने सारा खर्च खुद वहन किया, किसी बैंक से लोन नहीं लिया। वे सोलर पैनल की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं और कहते हैं कि पहले की तुलना में अब बिजली बिल बहुत कम आ रहा है। यह योजना बहुत अच्छी है और भविष्य के लिए बेहद जरूरी भी। श्री निषाद मानते हैं कि इनवर्टर और सोलर ऊर्जा के माध्यम से बिजली की बचत न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभदायक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण का उपहार भी है। सौर ऊर्जा अपनाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। इससे आने वाली पीढ़ियों को बिजली की कमी का सामना नही करना पड़ेगा। वे अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को भी सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। यदि हर घर इस दिशा में कदम बढ़ाए तो देश ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है।


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