राजकपूर अपनी नायिकाओं को सफेद साड़ी में दिखाना क्यों पसंद करते थे....
--शो मैन राजकपूर की जयंती पर जाने ऐसे ही कुछ किस्से
'शोमैन' के खिताब से नवाजे गए एक्टर और निर्देशक राज कपूर की आज जयंती है। राज कपूर को बचपन से एक्टिंग करने का शौक था। जैसे जैसे वो बड़े होते गए उनकी रूचि और बढ़ती गयी। 14 दिसंबर 1924 को जन्मे राज कपूर ने अपने फिल्मी कॅरिअर में 3 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर पुरस्कार हासिल किए।
- राज कपूर का असली नाम रणबीर राज कपूर था। अभिनेता का नाम उनके पोते रणबीर कपूर ने साझा किया है। राज कपूर ने भारतीय सिनेमा में अपनी शुरुआत 1945 में आई फिल्म 'इंकलाब' के साथ की, जब वो सिर्फ 10 साल के थे। मात्र 24 साल की उम्र में उन्होंने अपना स्टूडियो - आरके फिल्म्स बनाया था। इस स्टूडियो में बनी पहली फिल्म 'आग' कमर्शियल फ्लॉप थी।
- राज कपूर की पहली जॉब क्लैपर बॉय की थी। इस नौकरी से उन्हें 10 रुपये प्रति महीना मिलते थे।
- फिल्म 'बॉबी' का एक सीन जब ऋषि कपूर डिम्पल कपाडिय़ा से उनके घर पर मिलते हैं। यह राज कपूर की रियल लाइफ पर आधारित था। नरगिस से उनकी पहली मुलाकात ऐसे ही हुई थी। किसी दौर में राज कपूर नरगिस दत्त के प्यार में पागल थे। कहा जाता है वो नरगिस को पहली नजर में दिल दे बैठे थे।
-राज कपूर ने म्यूजिक डायरेक्टर जोड़ी शंकर-जयकिशन के साथ करीब 20 फिल्मों में काम किया। मुकेश और मन्ना डे जैसे मशहूर गायक की हमेशा राज कपूर को आवाज़ देते थे। इनमें से भी मुकेश ने उनके लिए कई गाने गाए। कहा जाता है, जब मुकेश का निधन हुआ, तब राज कपूर ने कहा, 'मैंने अपनी आवाज़ को खो दिया'।
- राज कपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद को भारतीय सिनेमा की पहली तिकड़ी माना जाता है। उनके बीच किसी प्रकार की स्पर्धा नहीं थी, बल्कि वे काफी अच्छे दोस्त थे। दिलीप कुमार साहब की शादी उस वक्त की सबसे भव्य शादियों में से एक थी। राज कपूर से उनके रिश्ते ऐसे थे, कि राज कपूर अपने पिता पृथ्वीराज कपूर और देव आनंद के साथ बारात में सबसे आगे गए थे। असल जिदंगी में राज कपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद की जो गहरी दोस्ती थी, लेकिन उसे परदे पर उतारा न जा सका। फिल्म निर्माता विजय आनंद ने एक फिल्म इन तीनों के साथ शुरू ज़रूर की, लेकिन डेट्स की दिक्कतों और अहम के टकराव के कारण यह फिल्म कभी पूरी नहीं हो सकी।
-'मेरा नाम जोकर' फिल्म राजकपूर ने काफी लंबी बनाई थी और इसमें दो इंटरवेल थे। इस मूवी को अद्वितीय इसलिए कहा जाता है कि यह हर दौर में नई ही लगती है। यह भारत की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक है। कहा जाता है कि फिल्म का सब्जेक्ट इतना गहरा है, कि यह पहली हिंदी फिल्म थी जिसमें दो इंटरवल किए गए और यह फिल्म साढ़े 4 घंटे लंबी है।
-जब राज कपूर 'सत्यम शिवम सुंदरम' फिल्म के लिए ऐक्ट्रेस फाइनलाइज़ कर रहे थे। तभी, ज़ीनत एक गांव की लड़की की तरह कपड़े पहनकर और जले हुए चेहरे का मेकअप कर उनके ऑफिस पहुंच गईं। राज कपूर उनके डेडिकेशन से इतने खुश हुए कि तुरंत उन्हें फाइनल कर दिया।
- इसे लकी चार्म कह लीजिए या राज की चाहत, उनकी हर हीरोइन ने एक बार सफेद साड़ी ज़रूर पहनी है। कहा जाता है, राज कपूर ने अपनी पत्नी कृष्णा को एक सफेद साड़ी गिफ्ट की थी। उन्हें वह इतनी भाई कि आगे उनकी हर ऐक्ट्रेस ने फिल्म के कम-से-कम एक सीन में वह साड़ी ज़रूर पहनी। कहा जाता है कि राजकपूर की खातिर नरगिस शादी से पहले अक्सर सफेद साड़ी पहना करती थीं।
-राज कपूर की बिगड़ती सेहत और अपने जिगरी दोस्त को खो देने के डर ने ऋषिकेश मुखर्जी को इस कदर ख़ौफज़़दा कर दिया कि उन्होंने राज के लिए 'आनंद' बनाई। राज कपूर को अक्यूट ऐस्थमा था।
- राज कपूर अस्थमा के मरीज थे। राज कपूर जब दादा साहब फाल्के अवार्ड लेने दिल्ली आये थे, वहीं उन्हें अस्थमा का अटैक पड़ गया और उनका निधन हो गया था।
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