मंद-मंद बहती हवा...
-दीक्षा के दोहे
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
मंद-मंद बहती हवा, पड़ती ओस फुहार।
प्रेम प्रसारित हर हृदय, करती सुख-संचार ।।
चंचल चितवन रूपसी, करते नैन कटाक्ष।
पाती लेकर प्रेम की, झाँके हृदय-गवाक्ष।।
काया कंचन कामिनी, अद्भुत मोहापाश।
कदमों में सिमटी धरा, बाँहों में आकाश।।
नवाचार का सूर्य ले, ढूँढें नवल वितान।
कठिन प्रश्न को हल करें, सोचें सरल विधान।।
बोझ नहीं हों पाठ सब, मनरंजन भरपूर।
खेल-खेल में सीख दें, मुश्किल कर दें दूर।।
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