सृष्टि की रचयिता नारी
सजल
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
सृष्टि की रचयिता नारी, उसका मत अपमान करो ।
श्रद्धा के पुष्प चढ़ाओ , नारी का सम्मान करो ।।
अपना प्रतिरूप बनाकर ,माँ को ईश्वर ने भेजा ।
पालन- पोषण वह करती , जग उनका गुणगान करो ।।
दया क्षमा का संगम वह , बुद्धि शक्ति की धात्री है ।
धैर्य त्याग की मूरत वह , क्षमता की पहचान करो ।।
हृदय -सरोवर ममता का , सदा छलकता ही रहता ।
नेह- नीर में पीर छुपी , अधरों पर मुस्कान करो ।।
भार्या ,भगिनी और सुता , सारे दायित्व निभाती ।
आदरणीय हर रूप में ,नारी पर अभिमान करो ।।
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