आस की किरणें उजाला, भर रही हैं जिंदगी में...
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
जग बनाने पुण्य पावन, प्रेम का विस्तार कर लें ।
बाँध लें स्नेहिल पलों को, अक्षयी भंडार कर लें ।।
है सुहानी शाम शीतल, भोर भी लगती भली- सी ।
प्रिय तुम्हारी बाँह प्यारी, ठौर स्वप्निल सुख गली- सी ।
बाग मनहर हो सुवासित, पुष्प घर संसार कर लें ।।
आस की किरणें उजाला, भर रही हैं जिंदगी में ।
मधुरिमा विश्वास की ले, आस बैठी बंदगी में ।
कल्पनाओं को सजा कर, रूप हम साकार कर लें ।।
भावनाओं की कलम से, हम लिखें अपनी कहानी ।
रागिनी गूँजे मधुरतम, नाद हो पावन रुहानी ।
साथ हो अपना हमेशा, ईश का आभार कर लें ।।
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