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 अभिनेत्री  नंदा को  53 की उम्र में मिला था सच्चा प्यार..... लेकिन शादी होते-होते रह गई......

  गुजरे जमाने की मशहूर अभिनेत्री नंदा को लोग भूले नहीं हैं। आज भी फिल्म शोर में उन पर फिल्माया गया गाना एक प्यार का नगमा..बजता  है तो लोगों को उनका खूबसूरत चेहरा याद आ जाता है।  आज यदि ये अभिनेत्री जीवित होती तो अपना 83 वां जन्मदिन मना रही होतीं।  8 जनवरी 1939 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में जन्मीं अभिनेत्री नंदा ने 6
0 और 70 के दशक में बहुत सी फिल्मों में काम किया। अशोक कुमार, किशोर कुमार, देवानंद, ,राजेश खन्ना, मनोज कुमार, शशिकपूर जैसे हीरो के साथ उनकी जोड़ी को लोगों ने पसंद किया। शशिकपूर हमेशा कहा करते थे कि नंदा उनकी फेवरेट हिरोइन है। 
 उनका पूरा नाम नंदा कर्नाटकी था। नंदा अपने दौर की बेहद खूबसूरत और बेहतरीन हीरोइन थीं। नंदा कहती थीं मैं बहुत छोटी थी तभी पिता का साया सिर से उठ गया। शादी नहीं हुई इसलिए पति और बच्चों का सुख भी नहीं मिला। लेकिन मेरे भाईयों ने हमेशा मेरा ख्याल रखा। नंदा ने अपना फिल्मी सफर बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट ही शुरू किया था। उनके पिता का नाम था मास्टर दामोदर विनायक कर्नाटकी। वे भी अपने वक्त के मशहूर एक्टर और डायरेक्टर थे। पिता की मौत के बाद नंदा को फिल्मों में काम करना पड़ा। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वे बचपन से आजाद हिंद फौज में जाना चाहती थीं लेकिन, किस्मत ने उन्हें एक्ट्रेस बना दिया। नंदा पूरे लगन के साथ फिल्मों में काम करती रहीं और अपनी जिम्मेदारी निभाती रहीं।  हिंदी में नंदा ने बतौर हीरोइन 1957 में अपने चाचा वी शांता राम की फिल्म 'तूफान और दिया' में काम किया था। साल 1972 में आई मनोज कुमार की फिल्म 'शोरÓ बतौर अभिनेत्री नंदा की अंतिम हिट फिल्म साबित हुई। नंदा ने अपने करियर में कुल 70 हिंदी फिल्मों में काम किया। इनमें से ज्यादातर में वे हीरो की बहन के किरदार में ही दिखाई दीं। राजकपूर ने जब उन्हें फिल्म प्रेम रोग में पद्मिनी कोल्हापुरी की मां के रोल का प्रस्ताव दिया तो उन्होंने इंकार नहीं किया।  बाद में उन्होंने आहिस्ता-आहिस्ता और मजबूर फिल्मों में भी मां का रोल निभाया। 
 इतनी फिल्मों में काम करने के बाद भी नंदा अपनी जिंदगी से खुश नहीं थीं।  परिवार की जिम्मेदारियां उठाने में उन्हें अपने बारे में सोचने का कभी मौका ही नहीं मिला। डायरेक्टर मनमोहन देसाई से वो बेइंतहां मोहब्बत करती थीं। देसाई भी उन्हें चाहते थे। लेकिन बेहद शर्मीली नंदा ने मनमोहन को कभी अपने प्यार का इजहार नहीं किया और देसाई की शादी हो गई।   सालों बाद जब देसाई की पत्नी की मौत हो गई तो उन्होंने नंदा से अपने प्यार का इजहार किया। इस वक्त नंदा 52 साल की हो चुकी थीं लेकिन उन्होंने देसाई के प्यार को अपना लिया। 1992 में 53 साल की नंदा ने देसाई से सगाई कर ली। लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। सगाई के दो साल बाद ही मनमोहन देसाई की एक हादसे में मौत हो गई। दोनों कभी एक नहीं हो पाए और नंदा अविवाहित ही रह गईं। 25 मार्च 2014 में वे सुबह उठीं किचन में गईं अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे गिर पड़ीं। यह दिन उनके जीवन का आखिरी दिन साबित हुआ। 
उनकी मशहूर फिल्मों में जब जब फूल खिले, गुमनाम, इत्तफाक, शोर जैसी फिल्में शामिल हैं। 

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