औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं पान के पत्ते, जानें फायदे-नुकसान और सेवन के तरीके
भारतीय संस्कृति में पान का उपयोग प्राचीन काल से किया जाता रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पान केवल एक आदत नहीं बल्कि सेहत के लिए भी लाभकारी हो सकता है? अधिकतर लोग पान के सही उपयोग, फायदे और नुकसान के बारे में अनजान होते हैं। पान का आयुर्वेद में एक विशेष स्थान है, पान के पत्ते का उपयोग केवल खाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे विभिन्न औषधीय तरीकों से भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, पान का अत्यधिक सेवन कुछ समस्याएं भी पैदा कर सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार पान के पत्ते का महत्व
आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि आयुर्वेद में पान को पाचनीय (पाचन में सहायक), वातहर (वायु दोष को कम करने वाला) और दीपनीय (भूख बढ़ाने वाला) बताया गया है। यह न केवल मुंह की दुर्गंध को दूर करता है, बल्कि गले की खराश, खांसी और कफ जैसी समस्याओं में भी फायदेमंद होता है। पान हल्का काम उत्तेजक भी होता है और शरीर में ऊर्जा बनाए रखता है। साथ ही पान के पत्तों का रस लेने से गले की खराश, बलगम और सांस की समस्याओं में आराम मिलता है।
हालांकि, पान का अत्यधिक सेवन कुछ समस्याएं भी पैदा कर सकता है। यह शरीर में पित्त को बढ़ा (What does paan do to your body) सकता है, जिससे कुछ लोगों को मुंह में छाले, जलन या बेचैनी महसूस हो सकती है। विशेष रूप से तंबाकू और चूना मिलाकर खाया जाने वाला पान स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, आयुर्वेद में इसे संतुलित मात्रा में और सही तरीके से सेवन करने की सलाह दी गई है।
पान की तासीर क्या होती है?
आयुर्वेदिक डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि पान की तासीर गर्म होती है, ऐसे में जिन लोगों के शरीर में पित्त ज्यादा होता है उन्हें पान का सेवन करने से परहेज करना चाहिए।
पान के पत्ते के क्या फायदे हैं?
1. पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद
पान का सेवन अपच, गैस और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। इसके सेवन से भूख भी बढ़ती है और पाचन सही रहता है।
2. सर्दी-खांसी और श्वसन संबंधी विकारों में उपयोगी
पान के रस को शहद में मिलाकर लेने से खांसी और गले की खराश में राहत मिलती है। छोटे बच्चों के सीने पर अरंड के तेल के साथ पान का पत्ता बांधने से बलगम बाहर निकलने में मदद मिलती है।
3. घाव और सूजन को कम करे
किसी चोट, सूजन या गांठ पर पान के गर्म पत्ते को बांधने से दर्द कम होता है और घाव जल्दी ठीक होते हैं। यह रक्त संचार को भी बढ़ाता है, जिससे सूजन कम होती है।
4. सांसों की दुर्गंध को दूर करे
पान चबाने से मुंह की सफाई होती है और लार बनने की प्रक्रिया तेज होती है। यह दांतों और मसूड़ों को भी मजबूत बनाता है।
5. जोड़ों के दर्द और वात रोगों में सहायक
पान का तेल जोड़ों के दर्द और वात रोगों में राहत देने के लिए उपयोग किया जाता है। इसे हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर लगाने से सूजन और दर्द कम होता है।
6. डिप्थीरिया में लाभकारी
जिन लोगों या बच्चों को रोहिणी या डिप्थीरिया (Diphtheria) की समस्या हो उन्हें पान के 4 पत्तों का रस गुनगुने पानी में मिलाकर दिया जा सकता है, इससे लाभ मिलेगा।
पान के नुकसान
-जहां पान के कई फायदे हैं, वहीं इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, खासकर यदि ज्यादा मात्रा में या गलत तरीके से सेवन किया जाए।
-अत्यधिक सेवन से मुंह में छाले हो सकते हैं। दरअसल, पान पित्त को बढ़ाता है, जिससे संवेदनशील लोगों को छाले होने की संभावना रहती है।
-पान केंद्रीय वात नाड़ी संस्थान (नर्वस सिस्टम) को उत्तेजित करता है, जिससे हल्का नशा महसूस (Is paan a drug) हो सकता है।
-यदि किसी ने पहले कभी पान नहीं खाया है, तो पहली बार खाने पर स्वाद कम लगना, बेचैनी, जलन, भ्रम, चक्कर आना या हल्का नशा महसूस हो सकता है।
क्या पान उत्तेजित करता है?
पान का सेवन करने से हल्का नशा महसूस हो सकता है और इसके लत भी लग सकते हैं। लेकिन ये नशा इतना नहीं होता है कि शरीर को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचे।
पान कब नहीं खाना चाहिए?
जिन लोगों को नेत्र रोग, ब्लीडिंग डिसऑर्डर, शरीर में विषाक्तता, अधिक शराब पीने की आदत या गंभीर वात विकार हो, उन्हें पान का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी इसके सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
पान को आयुर्वेद में एक औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। यह पाचन, श्वसन और वात-कफ संतुलन में सहायक होता है। हालांकि, इसका सेवन संतुलित मात्रा में और सही विधि से करना चाहिए, अन्यथा यह कुछ समस्याएं भी उत्पन्न कर सकता है। यदि किसी को पहली बार सेवन करने के बाद परेशानी महसूस हो तो उसे तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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