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  क्या कम या ज्यादा नींद लेने से महिलाओं का हार्मोन प्रभावित होता है?

 नींद हम सभी के लिए बहुत जरूरी होती है। लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच हम सुकून से अपनी नींद ही पूरी नहीं कर पाते हैं। अधूरी नींद की समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है। घर की जिम्मेदारी, ऑफिस वर्क और सोसायटी में आगे रहने की दौड़ में महिलाएं अक्सर अपनी नींद कुर्बान कर देती हैं। नींद की परेशानी का सामना करने वाली महिलाएं अक्सर वजन बढ़ना, थकान, मूड स्विंग, अनियमित पीरियड्स की समस्या से गुजरती हैं।
 इस तरह की परेशानियां तब होती हैं, जब हार्मोन का संतुलन बिगड़ता है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या कम और ज्यादा नींद महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकती है?  
 नींद और हार्मोन संतुलन के बीच कनेक्शन- 
  नींद और हार्मोन का गहरा संबंध है। शरीर में कई हार्मोन नींद से प्रभावित होते हैं, और नींद की गुणवत्ता इन हार्मोनों के संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।
 1. कोर्टिसोल (Cortisol) में बढ़ोतरी
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि कोर्टिसोल को स्ट्रेस हार्मोन भी कहा जाता है। नींद की कमी से महिलाओं में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है। इसकी वजह से चिंता, डिप्रेशन और वजन बढ़ने की समस्या ज्यादा देखी जाती है।
 2 मेलाटोनिन (Melatonin)
मेलाटोनिन को स्लीप हार्मोन भी कहा जाता है। यह रात के समय बढ़ता है और नींद लाने में मदद करता है। रात को स्क्रीन का इस्तेमाल करने से मेलाटोनिन का स्तर कम हो जाता है, जिससे नींद प्रभावित होती है।
 3. एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का संतुलन
एक्सपर्ट का कहना है कि कम नींद लेने से महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। जिसकी वजह से अनियमित पीरियड्स, पीसीओएस और लो फर्टिलिटी की समस्या होती है। इतना ही नहीं हार्मोन असंतुलन महिलाओं में भूख की कमी का कारण बनता है। जिसकी वजह से महिलाओं को पोषक तत्वों की कमी के कारण हार्मोन असंतुलन का सामना करना पड़ता है।
 4. मेटाबॉलिज्म को स्लो होना
जो महिलाएं रात को भी पर्याप्त नींद लेती हैं और दिन में भी आराम करती हैं, उनमें भी हार्मोन संबंधी परेशानी देखी जाती है। बहुत अधिक सोने से शरीर का मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है। जिससे वजन बढ़ना और मोटापे की परेशानी देखी जाती है।
 5. लो फर्टिलिटी
नींद ज्यादा लेने से मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से मूड स्विंग, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन और गुस्सा आने की समस्या महिलाओं में देखी जाती है। साथ ही ज्यादा नींद महिलाओं में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में बदलाव कर सकती है। इसकी वजह से लो फर्टिलिटी रेट देखा जाता है, जो भविष्य में गर्भधारण में परेशानी ला सकता है।
 नींद और हार्मोन को संतुलित करने के लिए क्या करें?
 कम या ज्यादा नींद दोनों ही स्थितियां महिलाओं के हार्मोन को प्रभावित करता है। हार्मोन संतुलन के लिए प्रतिदिन 8  से 9 घंटों की नींद लें। खाने में हरी सब्जियां, फल और नट्स को शामिल करें। कम या ज्यादा नींद महिलाओं में हार्मोन असंतुलन का कारण बनती है। इसलिए डॉक्टर की सलाह पर पर्याप्त नींद लें और सही खानपान का चुनाव करें।

 

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