प्रतिरक्षा प्रणाली पर अहम शोध के लिए तीन वैज्ञानिकों को 2025 का चिकित्सा नोबेल पुरस्कार
नई दिल्ली। अमेरिका और जापान के तीन वैज्ञानिकों को प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) पर महत्वपूर्ण खोज के लिए 2025 का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) शरीर-क्रिया विज्ञान या चिकित्सा (Physiology or Medicine) के क्षेत्र में प्रदान किया गया है।
कैरोलीन्स्का इंस्टीट्यूट (Karolinska Institutet) की नोबेल असेंबली ने घोषणा की कि मैरी ई. ब्रनको (अमेरिका), फ्रेड रैम्सडेल (अमेरिका) और शिमोन साकागुची (जापान) को यह पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया जाएगा। विजेताओं के बीच 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर (Swedish Kronor) की राशि समान रूप से बांटी जाएगी।
नोबेल समिति ने कहा कि यह पुरस्कार ‘पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस’ (Peripheral Immune Tolerance) पर उनकी खोजों के लिए दिया गया है, जो एक ऐसी प्रक्रिया है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को अपने ही ऊतकों पर हमला करने से रोकती है। वैज्ञानिकों ने रेगुलेटरी टी-सेल्स (Regulatory T Cells) की पहचान की, जिन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली के सुरक्षा प्रहरी कहा जाता है। ये टी-सेल्स सुनिश्चित करते हैं कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली संतुलित रहे और अपने ही अंगों पर आक्रमण न करे।
उनकी खोजों ने पेरिफेरल टॉलरेंस नामक नए शोध क्षेत्र की नींव रखी, जिसने कैंसर, ऑटोइम्यून बीमारियों (Autoimmune Diseases) और अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplantation) के इलाज के नए रास्ते खोले हैं। इनमें से कई उपचार वर्तमान में क्लीनिकल ट्रायल्स (Clinical Trials) में हैं।
नोबेल समिति के अध्यक्ष ओले कैंपे (Olle Kämpe) ने कहा, “उनकी खोजों ने यह समझने में निर्णायक भूमिका निभाई है कि प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे काम करती है और क्यों हम सभी गंभीर ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित नहीं होते।”
मैरी ई. ब्रनको का जन्म 1961 में हुआ था। उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी (Princeton University) से पीएचडी की है और वर्तमान में इंस्टीट्यूट फॉर सिस्टम्स बायोलॉजी (Institute for Systems Biology), सिएटल में सीनियर प्रोग्राम मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। फ्रेड रैम्सडेल का जन्म 1960 में हुआ था और उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-लॉस एंजिलिस (UCLA) से 1987 में पीएचडी की। वे वर्तमान में सोनोमा बायोथेराप्यूटिक्स (Sonoma Biotherapeutics), सैन फ्रांसिस्को में वैज्ञानिक सलाहकार हैं। शिमोन साकागुची का जन्म 1951 में हुआ था। उन्होंने क्योटो यूनिवर्सिटी (Kyoto University) से 1976 में एमडी और 1983 में पीएचडी की है। वे वर्तमान में ओसाका यूनिवर्सिटी (Osaka University) के इम्यूनोलॉजी फ्रंटियर रिसर्च सेंटर (Immunology Frontier Research Center) में विशिष्ट प्रोफेसर हैं।
पिछले वर्ष 2024 का नोबेल पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एम्ब्रोस (Victor Ambros) और गैरी रुवकुन (Gary Ruvkun) को माइक्रोआरएनए (microRNA) और इसके माध्यम से जीन नियमन (Gene Regulation) की खोज के लिए दिया गया था।


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