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 प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा-जी-20 की अध्‍यक्षता भारत के लिए विश्‍व कल्‍याण की दृष्टि से एक बडा अवसर

 नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि जी-20 समूह की अध्‍यक्षता भारत के लिए विश्‍व की भलाई और विश्‍व कल्‍याण का एक बड़ा अवसर है। आज आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में उन्‍होंने कहा कि जी-20 की विश्‍व जनसंख्‍या में दो-तिहाई, विश्‍व व्‍यापार में तीन-चौथाई और विश्‍व सकल घरेलू उत्‍पाद में 85 प्रतिशत की भागीदारी है। श्री मोदी ने कहा कि ये इसलिए भी विशेष हो जाता है कि भारत को यह जिम्‍मेदारी आजादी के अमृतकाल में मिली है। उन्‍होंने कहा कि शांति हो या एकता, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता हो या टिकाऊ विकास, भारत के पास इन सबसे जुड़ी चुनौतियों का समाधान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने एक धरा, एक परिवार और एक भविष्‍य का नारा दिया है जो वसुधैव कटुम्‍बकम के प्रति हमारे संकल्‍प को प्रदर्शित करता है।

 प्रधानमंत्री ने तेलंगाना के राजन्ना सिरसिल्‍ला जिले के एक बुनकर येल्धी हरिप्रसाद गारू की चर्चा की जिन्‍होंने उन्‍हें जी-20 का प्रतीक चिह्न यानी लोगो अपने हाथों से बुनकर भेजा है। श्री मोदी ने कहा कि आगामी दिनों में, जी-20 की भारत की अध्‍यक्षता से जुड़े कई कार्यक्रम देशभर में आयोजित किए जाएंगे। उन्‍होंने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि यह हमारी संस्‍कृति के विविधतापूर्ण और विशिष्‍ट रंगों से विश्‍व समुदाय के परिचय का एक अवसर होगा। प्रधानमंत्री ने विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्‍वविद्यालयों से अपील की कि वे जी-20 से जुड़ी चर्चाओं, बहसों और प्रतियोगिताओं के अवसर सृजित करें। प्रधानमंत्री ने 18 नवंबर को एक ऐतिहासिक दिन बताया, जब निजी क्षेत्र के पहले रॉकेट विक्रम-एस को अंतरिक्ष में भेजने में सफलता मिली। उन्‍होंने कहा कि अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े अन्‍य देशों के मुकाबले इसकी लागत बहुत कम है।
 प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी सफलता को अपने पड़ोसी देशों के साथ भी साझा कर रहा है। भारत ने कल ही एक उपग्रह का प्रक्षेपण किया है, जिसे भूटान के साथ मिलकर विकसित किया है। श्री मोदी ने कहा कि इस उपग्रह से उच्‍च गुणवत्‍ता वाली तस्‍वीरें प्राप्‍त होंगी जिससे भूटान को अपने प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में सहूलियत होगी। उन्‍होंने कहा कि यह प्रक्षेपण भारत और भूटान के प्रगाढ़ संबंधों को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में उल्‍लेखनीय कार्य के लिए युवाओं की प्रशंसा की। 
 प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी से जुड़े नवाचार के बारे में कहा कि भारत ड्रोन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्‍होंने कहा कि कुछ ही दिन पहले हिमाचल प्रदेश के किन्‍नौर जिले में ड्रोन की मदद से सेब की खेप लाई गई। प्रधानमंत्री ने मस्‍कुलर डिस्ट्रॉफी के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अपील की क्‍योंकि यह बीमारी मेडिकल चिकित्‍सा विज्ञान के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। यह एक जीन संबंधी बीमारी है जो किसी भी उम्र में हो सकती है जिससे शरीर की मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं। श्री मोदी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सोलन में मानव मंदिर नामक केंद्र में मस्‍कुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज की दिशा में एक नई आशा जगी है।
 प्रधानमंत्री ने महात्‍मा गांधी की डेढ़ सौवीं जयंती पर बापू के पसंदीदा भजन को आवाज देने वाले ग्रीस के गायक कोंसतान्तीनोस कलाजिस की चर्चा की। जिनमें भारतीय संगीत के प्रति जबरदस्‍त लगाव है। श्री मोदी ने कहा कि कलाजिस को भारत से इतना लगाव है कि उन्‍होंने पिछले 42 वर्षों में लगभग हर वर्ष भारत का दौरा किया है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की कि पिछले आठ वर्षों में भारत से वाद्य यंत्रों का निर्यात साढ़े तीन गुना बढ़ गया है। भारतीय वाद्य यंत्रों के प्रमुख खरीदारों में अमरीका, जर्मनी, फ्रांस, जापान और ब्रिटेन शामिल हैं। श्री मोदी ने इसे सौभाग्‍य का विषय बताया कि भारत में संगीत, नृत्‍य और कला की विरासत इतनी समृद्ध है। प्रधानमंत्री ने महान संत - कवि भर्तृहरि की चर्चा की जिन्‍होंने अपनी विख्‍यात कृति नीति शतक में लिखा है कि कला, संगीत और साहित्‍य से लगाव ही मानवता की असली पहचान है। श्री मोदी ने कहा कि हमारी संस्‍कृति इसे मनुष्‍यता से ऊपर उठाकर देवत्‍व तक ले जाती है।
 प्रधानमंत्री ने गयाना में हुए भजन-कीर्तन का अंश साझा किया। उन्‍होंने कहा कि 19वीं और 20वीं सदी में बड़ी संख्‍या में भारतीय गयाना गए थे, जहां वे अपने साथ बहुत-सी भारतीय परंपराओं को भी ले गए। इसी तरह भारत से फिजी गए लोग भी रामचरितमानस से जुड़े पारंपरिक भजन-कीर्तन गाया करते हैं। प्रधानमंत्री ने परंपरा और पारंपरिक ज्ञान को सहेजने के लिए नागालैंड में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि राज्‍य में लिडी-क्रो-यू नाम का संगठन है जो राज्‍य की संस्‍कृति के उन आयामों को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा है जो लुप्‍तप्राय होने की कगार पर हैं। प्रधानमंत्री ने श्रोताओं से उनके क्षेत्र में किए जा रहे ऐसे अन्‍य विशिष्‍ट प्रयासों को साझा करने की अपील की।
 प्रधानमंत्री ने शिक्षा के महत्‍व पर उत्‍तर प्रदेश के हरदोई जिले के बांसा गांव के जतिन ललित सिंह की चर्चा की। उन्‍होंने दो वर्ष पूर्व अपने गांव में सामुदायिक पुस्‍तकालय और संसाधन केंद्र की स्‍थापना की है जहां प्रतिदिन गांव के करीब 80 विद्यार्थी अध्‍ययन के लिए आते हैं। प्रधानमंत्री ने झारखंड के संजय कश्‍यप की भी चर्चा की जो राज्‍य के कई जिलों के बच्‍चों के लिए लाइब्रेरी मैन बन गए हैं। श्री मोदी ने कहा कि पुस्‍तकालय खोलने का उनका यह मिशन आज एक सामाजिक आंदोलन का एक रूप ले चुका है।
 वहीं तेलंगाना के राजन्‍ना सिरसिला जिले के हरि प्रसाद ने अपने द्वारा बुना हुआ जी-20 इंडिया लोगो स्‍वीकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को धन्‍यवाद दिया है। प्रधानमंत्री ने भारत में होने वाले जी-20 सम्‍मेलन के महत्‍व को दर्शाने के लिए हरिप्रसाद के प्रयासों की आज मन की बात कार्यक्रम में सराहना की थी। हरिप्रसाद इस सराहना से बेहद खुश हैं।
 

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