60 की उम्र के बाद दिमाग़ को कसरत कराएं....मस्तिष्क स्वस्थ रहेगा
मस्तिष्क एक मांसपेशी की तरह है, आप इसका जितना अधिक उपयोग करते हैं, यह उतना ही मज़बूत होता जाता है। शरीर की किसी भी मांसपेशी की तरह मस्तिष्क को भी स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम की आवश्यकता होती है। परंतु 60 की उम्र के बाद मस्तिष्क की गति धीमी पडऩे लगती है। ख़ासतौर पर तब जब बुज़ुर्ग अपनी सारी जि़म्मेदारियों से ख़ुद को मुक्त कर लेते हैं। शरीर के साथ-साथ दिमाग़ को आराम मिलता है, लेकिन इसके कारण उनकी सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है। दिमाग़ को जितना व्यस्त रखेंगे यह उतना ही स्वस्थ रहेगा। ऐसे में कुछ दिमाग़ी व्यायाम नियमित रूप से करना फ़ायदेमंद होगा।
पहेलियां सुलझाएं
शब्द, वर्ग पहेली जैसी पहेलियां सुलझाने की कोशिश करें। इससे संज्ञानात्मक कौशल (कॉग्निटिव स्किल) का विस्तार होगा और समस्या का समाधान ढूंढने की क्षमता बढ़ेगी। इसके अलावा, पहेलियां विश्राम और तनाव प्रबंधन में भी मदद करती हैं। पर इस बात का ध्यान रखें कि कागज़ पर मौजूद पहेलियां ही हल करनी हैं। जब पेन कपड़कर पहेलियां सुलझाएंगे तो दिमाग़ और हाथ, दोनों की कसरत साथ-साथ होगी और समन्वय बनेगा।
कला और शिल्प
हाथों से कुछ बनाना न केवल कल्पना करने का अच्छा ज़रिया है, बल्कि दिमाग़ और हाथों का समन्वय बनाने के लिहाज़ से भी ये प्रभावी कसरत है। पेंटिंग करें, मिट्टी के खिलौने बनाएं, सिलाई, बुनाई करें या कोई क्राफ्ट बना सकते हैं। यदि देखकर या पढ़कर इसे बनाते हैं तो बेहतर परिणाम मिलेंगे क्योंकि इससे आंखों, हाथों और मस्तिष्क के बीच समन्वय बनेगा।
वाद्य यंत्र से तालमेल
संगीत भावनाओं को संतुलित करता है, एकाग्रता और याद्दाश्त बढ़ाने में मदद करता है। ऐसे में साठ की उम्र के बाद संगीत के साथ समय बिताएं। साथ में वाद्य यंत्र बजाएं। कोई ऐसा आसान वाद्य यंत्र चुनें जिसे बजाने में अधिक ऊर्जा न लगे, जैसे कि हार्मोनियम। संगीत सुनने और वाद्य यंत्र बजाने से चिंता, तनाव और अवसाद भी कम होगा।
शतरंज खेलें
शतरंज एक ऐसा खेल है जो मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। शतरंज गहराई से सोचने और खोज करने की प्रवृत्ति को बढ़ाता है। यह विशेष रूप से एकाग्रता से जूझ रहे वृद्ध वयस्कों के लिए फ़ायदेमंद है। शतरंज के साथ-साथ लूडो और सांप-सीढ़ी भी खेल सकते हैं।
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